पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2021 (2021 का अधिनियम 23) में संशोधन को मंजूरी दी गई

पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2021 (2021 का अधिनियम 23) में संशोधन को मंजूरी दी गई

Haryana Cabinet Meeting

Haryana Cabinet Meeting

चंडीगढ़, 28 दिसंबर: Haryana Cabinet Meeting: हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2021 (2021 का अधिनियम 23) में संशोधन को मंजूरी दी गई। नए अधिनियम को पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण (संशोधन) अधिनियम, 2024 कहा जाएगा।

हरियाणा नई राजधानी (परिधि) नियंत्रण अधिनियम, 1952 (1953 का पंजाब अधिनियम 1) की शक्तियों का प्रयोग मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा करने के लिए 2021 के मूल अधिनियम-23 में सक्षम प्रावधान करने तथा नगर परिषद, कालका की सीमा के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के संबंध में उपयुक्त धाराओं और खंडों में प्रासंगिक प्रविष्टियां करने के लिए संशोधन किया जाना आवश्यक है।

पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2021 की धारा 15 हरियाणा अनुसूचित सडक़ और नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास प्रतिबंध अधिनियम, 1963 (1963 का पंजाब अधिनियम 41) के तहत प्रदत्त शक्तियों के अनुसार निदेशक, नगर एवं ग्राम नियोजन, हरियाणा की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को समर्थ बनाती है परन्तु जैसाकि प्राधिकरण  का अधिकांश क्षेत्र हरियाणा नई राजधानी (परिधि) नियंत्रण अधिनियम, 1952 (1953 का पंजाब अधिनियम 1) के तहत घोषित नियंत्रित क्षेत्र का हिस्सा है, इसलिए 1953 के अधिनियम-1 प्रावधानों के तहत प्रदत्त निदेशक, नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, चंडीगढ़ की शक्तियों का प्रयोग भी प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा किया जाना आवश्यक है। इसके अलावा, मूल अधिनियम में केवल नगर निगम, पंचकूला का उल्लेख है जबकि नगर परिषद, कालका की सीमा के भीतर स्थित क्षेत्र भी प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आता है।

पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण की स्थापना पीएमडीए अधिनियम, 2021 के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य पंचकूला महानगर क्षेत्र में निरंतर, सतत और संतुलित विकास को बढ़ावा देना है। प्राधिकरण के उद्देश्यों में जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करना और निवासियों के लिए उचित जीवन स्तर प्रदान करना, एकीकृत और समन्वित योजना सुनिश्चित करना, बुनियादी ढांचे का विकास, शहरी सुविधाओं का प्रावधान, गतिशीलता प्रबंधन, शहरी पर्यावरण, सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना शामिल है।