सभी नेताओं की जुबान पर एक ही बात, 36 बिरादरी हमारी, कैसे चलन में आया यह मुहावरा, प्रधानमंत्री मोदी, राहुल गांधी, हुड्डा समेत सभी नेताओं के भाषण का हिस्सा बनी 36 बिरादरी
All the leaders have the same thing on their tongue, 36 communities are ours
All the leaders have the same thing on their tongue, 36 communities are ours : चंडीगढ़। हरियाणा की राजनीति में आपने अक्सर सभी दलों के नेताओं से एक बात सुनी होगी कि वह भाषणों के दौरान खुद को 36 बिरादरी का नेता कहते हैं और सत्ता में आने के बाद सभी 36 बिरादरी के हित में काम करने का आश्वासन देते हैं। यहां तक की हरियाणा में प्रचार के लिए आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी अपने प्रचार के दौरान 36 बिरादरी की सरकार बनाने का दावा करते हुए वोट की अपील की। विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान यह मुहावरा खूब चर्चा में रहा है।
सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने एक मुहावरा उछाला कि वह राज्य की सभी ‘36 बिरादरियों’ के हितों का प्रतिनिधित्व कैसे करते हैं। चुनावी सभाओं में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बात पर जोर देते रहे हैं कि कांग्रेस ‘36 बिरादरियों की पार्टी’ है और कांग्रेस को सभी का समर्थन प्राप्त है। भाजपा भी इसी तरह के दावे करती है। हाल ही में, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और पार्टी की घोषणा पत्र समिति के प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि हमने वादा किया है कि अगर पार्टी चुनावों में सत्ता में वापस आती है तो 36 बिरादरियों में से प्रत्येक के हितों की देखभाल के लिए एक कल्याण बोर्ड बनाया जाएगा।
बिरादरी शब्द बरादर से आया है, जो एक समान वंश वाले कबीले या जनजाति के भाईचारे के लिए फारसी शब्द है। अंग्रेजी शब्द ब्रदर इसी से बना है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष और सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर एस के चहल के अनुसार बिरादरी शब्द को कौम (राष्ट्र) या जाट (जाति) भी कहा जाता है। हालांकि अंतिम दो शब्दों के अलग-अलग अर्थ हैं, लेकिन उत्तर भारत में तीनों शब्दों का इस्तेमाल जाति के पर्यायवाची के रूप में किया जाता है। चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर एम राजीव लोचन के अनुसार बिरादरी विस्तारित परिवार की तरह हैं। हरियाणा महाभारत का क्षेत्र है। ऐसा माना जाता है कि बिरादरी जैसी संरचनाएँ महाभारत के समय से चली आ रही हैं।
क्या है 36 बिरादरी का सामाजिक महत्व
चुनाव में जब भी कोई उम्मीदवार किसी गांव में जाता है, तो उसका स्वागत 36 बिरादरी की ओर से प्रमुख ग्रामीणों द्वारा किया जाता है। इस श्रेणी में आने वाली जातियों और समुदायों में ब्राह्मण, बनिया (अग्रवाल), जाट, गुर्जर, राजपूत, पंजाबी (हिंदू), सुनार, सैनी, अहीर, सैनी, रोड़ और कुम्हार शामिल हैं। अनुसूचित जातियों (एससी) का लगभग आधा हिस्सा चमड़ा-काम करने वाली जातियों से है।
36 नंबर इस वाक्यांश से कैसे जुड़ा। प्रोफेसर चहल के अनुसार अजमेर-मेरवाड़ गजेटियर (1951) में 37 जातियों के अस्तित्व का उल्लेख है, लेकिन 36 का नहीं। प्रारंभिक मध्ययुगीन फारसी लेखन और यात्रा वृत्तांत उत्तर भारत में 36 बिरादरियों (कुलों या राज्यों) के अस्तित्व का उल्लेख करते हैं। इसी तरह, राजपूताना के एक प्रसिद्ध इतिहासकार, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल जेम्स टॉड ने 36 राजवंशों या राज्यों का उल्लेख किया है।
प्रोफेसर चहल के अनुसार हरियाणा में अंत में एक संख्या के साथ एक और शब्द ‘खाप 84’ है। यह 84 गांवों की खाप पंचायत को संदर्भित करता है, लेकिन सभी खापों को मिलाकर 84 गांव नहीं होते। ‘36 बिरादरी’ एक मुहावरा है जिसका उपयोग प्रमुख समुदायों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है और इसका मतलब यह नहीं है कि वास्तव में 36 समुदाय हैं।
राजनेता अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को दर्शाने के लिए इस मुहावरे का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कई लोग एक खास वोट बैंक तक पहुंचने के लिए अपने जाति समूहों के हितों की देखभाल करना पसंद करते हैं। इसी तरह, बड़ी संख्या में मतदाता भी अपनी जाति के उम्मीदवार को ही पसंद करते हैं।
हरियाणा के पूर्व मंत्री प्रो.संपत सिंह के अनुसार ‘36 बिरादरी’ सिफऱ् एक मुहावरा है और वास्तव में हरियाणा में जातियां 36 से ज्यादा हैं। वर्ष 2016 में सभी जातियों के बीच भाईचारे को मजबूत करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन करने वाले संपत सिंह बुलाया था और इसमें करीब 85 जातियों के लोग शामिल हुए थे। हरियाणा में ‘36 बारादरी’ का भाईचारा एक बहुत ही आम शब्द है जिसका इस्तेमाल समाज में सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
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