अग्निकर्म, विद्घकर्म अत्यायिक दर्द निवारक प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा विद्या : कुलपति प्रदीप कुमार प्रजापति

अग्निकर्म, विद्घकर्म अत्यायिक दर्द निवारक प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा विद्या : कुलपति प्रदीप कुमार प्रजापति

Ancient Ayurvedic Medical Science

Ancient Ayurvedic Medical Science

बीकानेर। Ancient Ayurvedic Medical Science: राजस्थान आयुर्वेद विश्व विद्यालय, जोधपुर के कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार प्रजापति ने शुक्रवार काे बीकानेर में कहा कि अग्निकर्म, विद्घकर्म अत्यायिक दर्द निवारक प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा विद्या है, इनका अधिकाधिक उपयोग बढ़े।

विश्व आयुर्वेद परिषद चिकित्सक प्रकोष्ठ जोधपुर प्रांत की ओर से वेटनरी विश्वविद्यालय ऑडिटोरियम में राष्ट्रीय अग्निकर्म-विद्धकर्म दो दिवसीय कार्यशाला में उन्हाेंने कहा कि इसके लिए निरंतर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और भविष्य में इन विधाओं में डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की दिशा में भी कार्य शुरू किया जाएगा।

मुख्य अतिथि विधायक बीकानेर पश्चिम जेठानंद व्यास ने कहा कि आयुर्वेद प्रभावी, दुष्प्रभाव रहित चिकित्सा पद्धति है, सरकार आयुर्वेद के व्यापक विस्तार के लिए कटिबद्ध है, आयुर्वेद विकाश के क्षेत्र में आ रही सभी समस्याओं का उचित समाधान के पूर्ण प्रयास किए जाएंगे।

अतिथि विश्व आयुर्वेद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद सहाय शुक्ला ने बताया कि विश्व आयुर्वेद परिषद देश विदेश में आयुर्वेद की स्थापना एवं व्यापक प्रचार प्रसार, चिकित्सकों , विद्यार्थियों के कौशल विकास प्रशिक्षण हेतु निरंतर विगत 27 वर्षों से कार्य करने वाला अग्रणी आयुर्वेद संगठन है। राजस्थान के विभिन्न जिलों में अग्नि कर्म, पंचकर्म, जलौका आदि प्राचीन आयुर्वेद विधाओं के उपयोग एवं ज्ञान हेतु अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है , पूर्व में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों से प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रदेश के अनेकों चिकित्सक आज रोगियों को बेहतर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

पशु विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दिक्षित ने कहा कि इस अवसर का लाभ उठाकर आयुर्वेद एवं वेटनरी के क्षेत्र में नए अनुसंधान की दिशा में कदम बढ़ाएंगे। कार्यक्रम में वेटेरिनरी रिसर्च के निदेशक डॉ. बी.एन. श्रृंगी पशु चिकित्सा में आयुर्वेद के महत्व को रेखांकित किया।

कार्यक्रम में वैध कृष्ण मुरारी अखिल भारतीय किसान संगठन मंत्री, भारतीय किसान संघ, विश्व आयुर्वेद परिषद प्रदेश अध्यक्ष डॉ राकेश शर्मा, प्रदेश महासचिव डॉ विनोद गौतम, प्रदेश प्रभारी चिकित्सक प्रकोष्ठ डॉ पवन सिंह शेखावत, आयोजन सचिव डॉ रिडमल सिंह राठौड़ ने अतिथियाें के साथ भगवान धनवंतरी प्रतिमा समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रदेशाध्यक्ष डॉ राकेश शर्मा ने स्वागत भाषण देते हुए, कार्यक्रम का परिचय दिया। चिकित्सक प्रकोष्ठ प्रदेश प्रभारी डॉ पवन सिंह शेखावत ने संगठन का परिचय एवं उद्देश्य की जानकारी रखी।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ रिडमल सिंह राठौड़ ने बताया कि कार्यक्रम में अग्निकर्म और विद्धकर्म विधाओं का प्रशिक्षण जलगांव (महाराष्ट्र) के ख्यातिप्राप्त वैद्य उदय तल्हार से सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक अग्निकर्म प्रशिक्षण देशभर से आए सैंकङों चिकित्सको ने प्राप्त किया।

आयोजन समिति के संयुक्त सचिव डॉ विनीत बागड़ी ने बताया कि इस क्लिनिकल वर्कशॉप में विभिन्न जटिल बीमारियों से पीड़ित माइग्रेन, साइटिका, सर्वाइकल, स्लिप डिस्क, आर्थराइटिस, फ्रोजन शॉल्डर, रिट्रो केल्केनियल बर्साइटिस, काॅर्न, वार्ट्स, साइनुसाइटिस, अस्थमा इनफर्टिलिटी, पीसीओडी, एलोपेसिया, सेरिब्रल पाल्सी, आइबीएस, अल्सर, रीनल केल्कुलस अनेकों रोगियों का लाइव उपचार किया गया एवं पेन मैनेजमेंट का प्रशिक्षण चिकित्सकों को दिया गया।

विश्व आयुर्वेद परिषद के प्रदेश सचिव डॉक्टर बी एल बराला ने बताया कि अग्निकर्म एक पैरासर्जिकल तकनीक है। इसमें लोहा, तांबा, स्वर्ण या पंचधातु की शलाका (प्रोब) द्वारा विशिष्ट बिन्दुओं पर अग्निदग्ध किया जाता है, इसके लिए धातु की छड़ के तीक्ष्ण बिंदु को अग्नि पर लाल तप्त कर शरीर के दर्द युक्त स्थान पर कुछ सेकण्ड के लिए स्पर्श किया जाता है, इस वैज्ञानिक रूप से स्थापित पद्धति से बिना किसी दुष्प्रभाव के बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं। आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ सुश्रुत संहिता में अग्निकर्म का विस्तृत उल्लेख मिलता है। अग्निकर्म विभिन्न वातरोगों में दर्द का तुरंत निवारण होता है। अग्निकर्म से साइटिका, स्लिप डिस्क, स्पॉन्डीलाइटिस, जोड़ों का दर्द, कील (कॉर्न), मुष (वार्ट्स) और नस दबने से होने वाले सभी रोगों में तत्काल राहत मिलती है।