After the June-July 2022 survey of Chandigarh Housing Board

चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के जून-जुलाई 2022 सर्वे के बाद: अवैध रूप से रह रहे 83 लोगों की अलाटमेंट कैंसिल

After the June-July 2022 survey of Chandigarh Housing Board

After the June-July 2022 survey of Chandigarh Housing Board

After the June-July 2022 survey of Chandigarh Housing Board- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने 2022 के जून-जुलाई माह में स्मॉल फ्लैट स्कीम के तहत 18,138 फ्लैटों का डोर टू डोर सर्वे किया था। इनमें 2 हजार फलैट अफोर्डेबल रेंटर हाऊसिंग कांप्लेक्स स्कीम के थे। इस सर्वे में पाया गया कि कुल 18,138 फ्लैटों में से 15,995 फ्लैटों में तो ओरिजनल अलॉटी रह रहे हैं लेकिन बाकि बचे 2143 फ्लैटों में से 1117 में गैर कानूनी ढंग से कोई ओर रह रहा है। 636 मकानों में ताला पाया गया व 168 रिहाइशों ने सर्वे टीम को कोई जानकारी देने से इंकार कर दिया।

नवंबर 2022 में उन 636 मकानों का दूसरा सर्वे किया गया जिन पर पहले सर्वे में ताला लगा पाया गया था। समय समय पर इस सर्वे को सीएचबी की डब्लयूडब्लयूडब्लयू.सीएचबीऑनलाइन.इन वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया था। 2143 स्मॉल फ्लैट डिफॉल्टरों में से 540 को 28 सितंबर तक नोटिस दिये जा चुके हैं। इन्हें कार्यालय की तरफ से सुना गया और अब पाया गया है कि महज 83 रिहाइशी अपना मालिकाना हक दिखाने में नाकामयाब रहे हैं। इनके खिलाफ फ्लैट अलॉटमेंट की कैंसलेशन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और इन सभी की अलॉटमेंट कैंसिल कर दी गई है। यह लोग अब दोबारा अपील कर सकते हैं।

सीएचबी की ओर से कहा गया है कि सेक्रेट्री एस्टेट के पास कानूनी हल की भी एक तय प्रक्रिया है। कैंसलेशन के 30 दिन के भीतर कैंसलेशन आदेशों के साथ अपील फाइल की जा सकती है। जिनके अलॉटमेंट कैंसिल हुए हैं उनकी लिस्ट भी सीएचबी की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है। अपीलेट अथॉरटी के आदेश को हाईकोर्ट व एपेक्स कोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा सकती है। फिलहाल सेक्रेट्री एस्टेट के समक्ष अलॉटमेंट कैंसिल किये गए अलॉटियों की अपील है लिहाजा किसी को घर खाली करने को नहीं कहा गया है। प्रभावित लोगों को इस वजह से डरने की जरूरत नहीं है। जो भ्रम या अफवाह फैलाई जा रही है कि ऐसे लोगों को तत्काल प्रभाव से मकान खाली करना पड़ेगा, बिलकुल निराधार है।

मंथली फीस पर हुई है अलॉटमेंट

चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने स्मॉल फ्लैट स्कीम के तहत 18,138 फलैटों की अलॉटमेंट की है। इसमें से 2 हजार फलैट अफोर्डेबल रेंटरल हाऊसिंग कांप्लेक्स स्कीम के तहत हैं। इन्हें अलॉटी व उनके परिवारों के लिए मंथली लाइसेंस फीस पर अलॉट किया था। इसमें शर्त यह रखी गई थी कि फ्लैट न तो बेचे जा सकते हैं और ही इन्हें सब-लेट, ट्रांसफर या किसी अन्य को हैंडओवर किया जा सकता है। चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड को यह ज्ञात हुआ था कि कुछ अलॉटियों ने अवैध तौर पर अपने फ्लैट बेच दिये हैं या ट्रांसफर कर दिये हैं जबकि ऐसा करना गैर कानूनी है और अलॉटमेंट के समय दी गई शर्तों का उल्लंघन है। ऐसा करने वालों पर धोखाधड़ी का आपराधिक केस दर्ज हो सकता है। यही पता लगाने के लिए सर्वे किया गया था।

800 रुपये रेंट भी नहीं दे रहे कई अलॉटी

सीएचबी की ओर से कहा गया है कि ये भी सामने आ रहा है कि बहुत से अलॉटी 800 रुपये का निर्धारित मंथली रेंट भी नहीं जमा करा रहे हैं। ऐसे डिफॉल्टरों के खिलाफ 52 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि बन गई है। सीएचबी की वेबसाइट पर ऐसे डिफाल्टरों की लिस्ट भी बकाया रकम के साथ अपलोड कर दी गई है। आउटस्टैंडिंग अमाउंट सीएचबी की वेबसाइट पर ऑनलाइन या संपर्क सेंटर में जाकर जमा किया जा सकता है। अगर सीएचबी ने ऐसे मामलों में किसी का अलॉटमेंट कैंसिल कर दिया है तो अलॉटमेंट रेस्टोरेशन के लिए अपनी अलॉटमेंट के दस्तावेज दिखाकर व सारे ब्याज सहित सारे पैंडिंग ड्यूज देकर व रिवाइवल चार्ज देकर इसे बहाल करा सकता है। अगर कोई अलॉटी अपनी अलॉटमेंट आगे नहीं चलाना चाहता तो वह सीएचबी को अपने फ्लैट सरेंडर कर सकता है। उसका सिक्योरटी अमाउंट उसे वापिस कर दिया जाएगा।