अटल मेडिकल विश्वविद्यालय में फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद MBBS की खाली हुई सीट को न भरने पर विश्वविद्यालय को लगाई फटकार
- By Arun --
- Friday, 14 Jul, 2023
After the disclosure of fraud in Atal Medical University, the university was reprimanded for not fil
शिमला:हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अटल मेडिकल विश्वविद्यालय में फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद MBBS की खाली हुई सीट को न भरने पर विश्वविद्यालय को फटकार लगाई है। कोर्ट ने प्रार्थी संजना ठाकुर को MBBS में दाखिला न देने पर राष्ट्रीय मेडिकल आयोग और अटल मेडिकल विश्वविद्यालय को दो-दो लाख रुपये मुआवजा अदा करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा आयोग और विश्वविद्यालय को 10-10 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मुआवजे और हर्जाने की राशि अदा करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। कोर्ट ने मौजूदा सत्र में एक सीट बढ़ाने के पश्चात याचिकाकर्ता को MBBS में दाखिला देने के आदेश भी दिए।
यह है पूरा मामला
मामले के अनुसार प्रार्थी ने अटल मेडिकल विश्वविद्यालय में MBBS की दो खाली सीटों को भरने की गुहार लगाई थी। कोर्ट के समक्ष दलील दी गई कि 2022-23 के शैक्षणिक सत्र में दो अभ्यर्थियों के फर्जी दस्तावेज पाए जाने के कारण विश्वविद्यालय में MBBS की दो सीटें खाली रह गई है। प्रार्थी ने नीट परीक्षा में 508 अंक प्राप्त किए और 479 अंकों वाली अंतिम छात्रा को MBBS में प्रवेश दिया गया था।
फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद दो सीटें खाली होने के कारण प्रार्थी का प्रवेश संभव हो सकता है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कार्तिक शर्मा और शिवानी शर्मा के फर्जी दस्तावेज पाए जाने के कारण दो सीटें खाली रह गई है।
समय पर जवाब क्यों नहीं दिया
कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि MBBS की पढ़ाई नवंबर 2022 को शुरू हो गई है और राष्ट्रीय मेडिकल आयोग और अटल मेडिकल विश्वविद्यालय ने अभी तक इस मामले में जवाब दायर नहीं किया है। कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादियों के इस गैर जिम्मेदाराना व्यवहार से होनहार छात्रा को MBBS में समय पर प्रवेश नहीं मिल पाया। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय मेडिकल आयोग ने विश्वविद्यालय ने 17 जनवरी 2023 के पत्र का जवाब 19 जून 2023 को दिया।
जवाब के माध्यम से यह अवगत करवाया गया कि MBBS की प्रवेश के लिए अंतिम तिथि 29 दिसंबर 2022 थी। सत्र समाप्त होने के कारण अब इस मामले में प्रार्थी का दाखिला नहीं हो सकता। कोर्ट ने प्रतिवादियों के आचरण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि आयोग ने समय से जवाब दिया होता तो याचिकाकर्ता का दाखिला पिछले सत्र में ही हो जाता।