कॉलोनी नंबर 4 के बाद अब इस कॉलोनी का नंबर चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिस ने जारी की चेतावनी
- By Vinod --
- Monday, 02 May, 2022
After colony number 4, now the number of this colony, Chandigarh Estate Office has issued a warning
कॉलोनी नंबर 4 को गिराए जाने के बाद अब संजय कॉलोनी के लोग खौफ में जी रहे हैं।
चंडीगढ़। चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया की कॉलोनी नंबर 4 को ढहाने के बाद अब चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिस जल्द ही इस कॉलोनी को ढहाने जा रहा है। संजय कॉलोनी इंडस्ट्रियल एरिया थाने के पीछे बनी है और यहां भी सैकड़ों परिवार रहते हैं।
जानकारी के अनुसार फरवरी में एस्टेट ऑफिस ने दो महीने में कॉलोनी खाली करने का बोर्ड भी लगाया था। वर्ष 2019 से प्रशासन इस कॉलोनी को ढहाने को लेकर चेतावनी जारी करता आ रहा है। कोरोना काल में लोगों को थोड़ी राहत देने के लिए ड्राइव नहीं चलाई गई थी।
कॉलोनी के लोगों का कहना है कि उनके यहां कुछ ही परिवारों का बॉयोमीट्रिक सर्वे में नाम आया था। ऐसे में अगर कॉलोनी ढहाई जाती है तो उनके लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। कॉलोनी में रहने वाले छात्र विजय ने कहा कि उसकी परीक्षाएं चल रही हैं। अगर उसका घर गिराया गया तो उसकी पढ़ाई के लिए संकट खड़ा हो जाएगा।
मलबे में सामान ढूंढते दिखे लोग
इधर कॉलोनी नंबर 4 गिराए जाने के बाद सोमवार को कॉलोनी के कुछ लोग अपने टूटे घरों से ईंटें इकट्ठी करते नजर आए। वहीं कुछ लोग दबा सामान भी ढूंढते दिखे। ईंटें इकट्ठी करने आए राजकुमार ने बताया कि उन्होंने 3 हजार रुपए किराए पर हल्लोमाजरा में मकान लिया हुआ है। दिहाड़ी मजदूरी करके महीने में 15 हजार रुपए तक कमा लेते हैं। कुछ परिवार ऐसे हैं, जिनके पास किराया देने के भी पैसे नहीं हैं। चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिस ने इससे पहले वर्ष 2013 में कॉलोनी नंबर 5 ढहाई थी। यहां पर 7 हजार के लगभग कच्चे मकान बने हुए थे। यह शहर की सबसे बड़ी कॉलोनी थी। एस्टेट ऑफिस कॉलोनी नंबर 5 और कॉलोनी नंबर 4 समेत मजदूर कॉलोनी, कुलदीप कॉलोनी, पंडित कॉलोनी, नेहरू कॉलोनी, अंबेडकर कॉलोनी, कजेहड़ी कॉलोनी और मद्रासी कालोनी को खाली करवाकर लगभग 265 एकड़ जमीन छुड़वा चुका है।
सर्वे के 10 साल पहले से रह रही, मगर मकान नहीं मिला
एक महिला सुनीता देवी ने कहा कि बुलडोजर के नीचे उनका सारा सामान दब गया। उनके बच्चे दिव्यांग हैं और रहने के लिए जगह नहीं है। पति की भी मौत हो चुकी है। वह वर्ष 1996 से कॉलोनी में रह रही थी। अब उनके लिए अपने परिवार को पालना मुश्किल हो रहा है।
रिंकू नामक व्यक्ति ने बताया कि उनके घर का बेड, बर्तन सब मलबे में दब गया। बॉयोमीट्रिक सर्वे होने के बावजूद उन्हें मकान नहीं मिला। उन्होंने कहा कि यहां मजदूर सामान ढोने का 800 तक रुपए मांग रहे हैं। उनके खुद के पैर में रॉड पड़ी हुई है। ऐसे में खुद सामान उठाना मुश्किल हो रहा है।
पति की मौत पर गांव गई और सर्वे में नाम छूट गया
पिछले 30 सालों से संजय कॉलोनी में रहने वाली सावित्री देवी ने बताया कि सर्वे के दिनों में उनके पति की मौत हो गई थी। बच्चे छोटे थे। पति की मौत के बाद गांव जाना पड़ा तो सर्वे में नाम नहीं चढ़ पाया। अब कहां जाएंगे। सोनिया देवी ने बताया कि वह 18 सालों से यहां रह रही है, मगर उसके परिवार को सर्वे में शामिल नहीं किया गया।
वहीं उषा देवी नामक महिला ने बताया कि प्रशासन ने कहा था कि एक ही जगह राशन कार्ड होना चाहिए। ऐसे में गांव से बना राशन कार्ड कटवा दिया था। अब प्रशासन घर उजाड़ रहा है। कहां जाएंगे और क्या खाएंगे। इसके अलावा कुछ और कॉलोनियों और सेक्टरों में भी इनक्रोचमेंट समय-समय पर हटाई जाती रहती है।