32 महीनों के संघर्ष के बाद, शिक्षकों का हुआ नियोजन

32 महीनों के संघर्ष के बाद, शिक्षकों का हुआ नियोजन

32 महीनों के संघर्ष के बाद

32 महीनों के संघर्ष के बाद, शिक्षकों का हुआ नियोजन

अर्दली से भी कम वेतन पर इन शिक्षकों का हुआ है नियोजन

 

मुकेश कुमार सिंह

पटना (बिहार) : हर पढ़े-लिखे युवा की तमन्ना होती है कि उन्हें सरकारी नौकरी मिले। जाहिर तौर पर, सरकारी नौकरी में सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ अच्छा वेतन मिलता है। लेकिन मौजूदा समय में, बेरोजगारी एक बड़ी समस्या का शक्ल अख्तियार कर चुकी है। आलम यह है कि इंजीनियर भी चपरासी का फॉर्म भर रहें हैं। बिहार में बड़े पैमाने पर शिक्षकों का नियोजन किया गया है। शिक्षा विभाग के मुताबिक 42 हजार शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। सही मायने में यह नियुक्ति पत्र की जगह, नियोजन पत्र हैं। लोगों के मन में यह सवाल है कि नए शिक्षकों को वेतन के रूप में क्या मिलेगा। इसके लिए बिहार सरकार ने गाईडलाईन जारी कर दी है। छठे चरण के तहत राज्य के प्रारंभिक स्कूलों में बहाल होने वाले लगभग 42 हजार शिक्षकों को हर महीने 22,760 रुपए वेतन मिलेंगे। लेकिन ये शुरुआती दो साल ही मिलेंगे। इसके बाद उनके वेतन में ईजाफा होगा। दो साल के बाद कक्षा 1 से 5 तक के नियोजित शिक्षकों को वर्तमान वेतन के 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता, 8 प्रतिशत मकान भत्ता और 1000 रुपए मेडिकल भत्ता के हिसाब से 31,125 रुपए प्रतिमाह वेतन मिलेंगे। इसी तरह कक्षा 6 से 10 तक के नियोजित शिक्षकों को प्रतिमाह 32,805 रुपए मिलेंगे।कक्षा 11 और 12 के शिक्षक को प्रतिमाह 34,460 रुपए बतौर वेतन मिलेंगे। अगर आज की महंगाई, मकान और मेडिकल भत्ता के हिसाब से देखा जाये, तो 20 साल बाद 1 से 5 तक के शिक्षक को 50,950 रुपए, कक्षा 6 से 10 के शिक्षक को 53,800 रुपए और 11वीं और 12वीं के शिक्षक को 56,460 रुपए प्रतिमाह वेतन मिलेंगे। सभी नियोजित शिक्षकों को एक समान वेतन मिलने का कारण है कि नियुक्ति के दो साल बाद, सेवा संपुष्ट होने के बाद ही ग्रेड पे लागू होता है। शिक्षकों का वेतनमान 5200 से 20200 रुपए हैं। कक्षा 1 से 5 तक के शिक्षक का ग्रेड पे 2000 रुपए, कक्षा 6 से 10 तक के शिक्षक का ग्रेड पे 2400 रुपए और कक्षा 11 और 12 के शिक्षक का ग्रेड पे 2800 रुपए हैं। 2017 के बाद नए पे मैट्रिक्स के आधार वेतनमान 5200 से 20200 किये गए हैं। बिहार शिक्षा विभाग ने नियोजित शिक्षकों के लिए अलग से मानदेय का स्लैब तय किए हैं। जिसमें सरकार की ओर से 1800 रुपए ईपीएफ के मद में काटे जाएंगे। यानि कुल वेतन में 1800 सौ रुपए भविष्य निधि के नाम पर काटे जाएंगे, जो रिटायरमेंट के समय मिलता है। बिहार में जिन शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, उनसे उनकी बीएड और पीजीटी की डिग्री सर्टिफिकेट भी ली गई है। लेकिन उनकी सैलरी एक आदेशपाल (चपरासी) से भी कम है। पुराने शिक्षकों का कहना है कि एक ही स्कूल में साल 1994 और 1999 में बहाल हुए शिक्षकों को 70 से 80 हजार रुपए वेतन के तौर पर मिलते हैं। जबकि साल 2006 में उसी स्कूल में आए नियोजित शिक्षकों को अभी 30 हजार रुपए मिल रहे हैं। कम वेतन की वजह से, योग्य शिक्षक भी अपना सौ फीसदी नहीं दे पाते हैं। ज्यादा से ज्यादा वे छुट्टी लेते हैं ताकि, अलग से कोई दूसरा काम कर के बेहतर तरीके से परिवार चलाने लायक पैसा जुटा सकें। यह नए शिक्षकों का बिहार में बड़ा अपमान है। ज्ञानदाताओं के साथ, सरकार की निटी बिल्कुल तटस्थ और पारदर्शी होनी चाहिए। योग्यता के साथ किसी तरह की दुःभावना नहीं होनी चाहिये। लेकिन मरता क्या नहीं करता। कम से कम 42 हजार युवाओं के कड़े संघर्ष ने उन्हें पेट भर खाने का जरूर स्थायी अवसर दिया है।