कर्ज में डूबे अफ्रीकी, जबरन वसूला जा रहा ज्यादा ब्याज
कोरोना के बाद ऋण संकट में फंस गए हैं गरीब देश
अदीस अबाबा। भारी कर्ज में डूबे अफ्रीकी देशों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली से अच्छा सौदा नहीं मिल रहा है और उनसे जबरन ज्यादा ब्याज दर वसूली जा रही है। यह बात संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने शनिवार को कही। वह इथियोपिया में वार्षिक अफ्रीकी संघ शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र प्रमुख विकासशील देशों की जरूरतों को अधिक कुशलता से पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्त की संरचना में दूरगामी सुधार चाहते हैं।
ऋण राहत और पुनर्गठन की जरूरत
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, "हमें एक नए ऋण ढांचे की जरूरत है, जो कमजोर देशों को ऋण राहत और पुनर्गठन दे सकें। वैश्विक वित्तीय प्रणाली नियमित रूप से विकासशील देशों को ऋण राहत और रियायती वित्तपोषण से इनकार करती हैं, जबकि जबरन ज्यादा ब्याज दरें वसूलती हैं।"
कोरोना के बाद ऋण संकट में फंस गए हैं गरीब देश
कोरोनो महामारी ने कई गरीब देशों को ऋण संकट में धकेल दिया है। दरअसल, उनसे अपेक्षा की गई थी कि वे अपने वित्त में भारी नुकसान के बावजूद अपने दायित्वों को पूरा करना जारी रखेंगे। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले साल कहा था कि सब-सहारा अफ्रीका में सार्वजनिक ऋण अनुपात दो दशकों से अधिक समय में अपने उच्चतम स्तर पर है।
बहुत बुरी स्थिति को बयां कर रहे ऋण स्थिरता संकेतक
इथियोपिया सहित महाद्वीप की सरकारों ने आईएमएफ कार्यक्रम के तहत ऋण पुनर्गठन सौदों की मांग की, ताकि उन्हें संकट से निपटने में मदद मिल सके। मगर, प्रक्रिया के समापन में देरी हुई है। केन्या जैसे कुछ अन्य देशों ने जिन्होंने अपने ऋण के पुनर्गठन की मांग नहीं की है। मगर, महामारी ने उनके वित्त को भी प्रभावित किया और इसके बाद उनके ऋण स्थिरता संकेतक बहुत बुरी स्थिति को बयां कर रहे हैं।
एक हाथ पीछे बांधकर नहीं चढ़ सकते विकास की सीढ़ी
गुटेरेस ने कहा कि इन सभी कारकों ने स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश करने की उनकी क्षमता को बाधित किया है। उन्होंने कहा, "अफ्रीकी देश एक हाथ पीछे बांधकर विकास की सीढ़ी पर नहीं चढ़ सकते।" इथियोपिया के प्रधान मंत्री अबी अहमद ने भी गुटरेस के आह्वान का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "लगभग हम सभी अपनी अर्थव्यवस्थाओं को विकास के पथ पर वापस लाना चाहते हैं। मगर, हमारे बाहरी ऋण को टिकाऊ बनाने के लिए पर्याप्त पुनर्गठन के बिना ऐसा नहीं होगा।"
सशस्त्र संघर्ष, सूखे और बाढ़ से लोग बेहाल
शिखर सम्मेलन में 55 अफ्रीकी देशों के नेता मौजूद थे। इस दौरान महाद्वीप में खाद्य और सुरक्षा संकट के गहरा होने पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। साहेल से हॉर्न ऑफ अफ्रीका तक सशस्त्र संघर्ष, सूखे और बाढ़ ने बड़े पैमाने पर अफ्रीकियों को बेघर कर दिया है।
सशस्त्र संघर्षों के प्रभाव और जलवायु परिवर्तन से जुड़े चरम मौसम की वजह से कई देशों में भुखमरी के हालात बन गए हैं। सोमालिया में पांच साल से बरसात नहीं होने की वजह से अकाल के हालात हैं। सैकड़ों-हजारों लोग भोजन की कमी से जूझ रहे हैं। अबी ने कहा कि हमें गंभीर रूप से आकलन करने की जरूरत है कि दुनिया के एक तिहाई भूखे लोग हमारे महाद्वीप में क्यों हैं।