Administration's advisory issued regarding monkey pox

मंकी पॉक्स को लेकर प्रशासन की एडवाइजरी जारी

 Administration's advisory issued regarding monkey pox

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Administration's advisory issued regarding monkey pox- चंडीगढ़। चंडीगढ़ प्रशासन ने मंकीपॉक्स बीमारी को लेकर एडवाइजरी जारी की है। इस बीमारी को लेकर संपूर्ण जानकारी शहर के लोगों के लिये सांझा की गई है ताकि वह बीमारी से बचाव कर सकें। मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) एक वायरल ज़ूनोटिक बीमारी है जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होती है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में भी फैलती है। यह बंदरों से नहीं फैलती है। इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है क्योंकि इसे सबसे पहले अफ्रीका में एक बंदर से आइसोलेट (अलग) किया गया था।

वायरस का भंडार मध्य और पश्चिम अफ्रीका के रोडेंट्स हैं। मंकीपॉक्स आमतौर पर चिकित्सकीय रूप से बुखार (फीवर)और रैश (दाने) के साथ प्रकट होता है। संदिग्ध मामलों में वे लोग शामिल हैं जिन्हें अन्यथा अस्पष्टीकृत चकत्ते हैं, जिन्होंने पिछले 21 दिनों में किसी प्रभावित देश की यात्रा की है, जहां हाल ही में एमपॉक्स के मामलों की पुष्टि हुई है या उनमें संदिग्ध मामले हैं या किसी ऐसे व्यक्ति या लोगों के संपर्क में आए हैं जिनमेंएमपॉक्स की पुष्टि या संदेह है।

आज तक दक्षिण अफ्रीका, केन्या, रवांडा, युगांडा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, बुरुंडी, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, कांगो ब्रेज़ाविल, कैमरून, नाइजीरिया, आइवरी कोस्ट और लाइबेरिया से मंकी पॉक्स के मामले सामने आए हैं। प्रशासन की ओर से कहा गया है कि फिलहाल भारत में इसका कोई मामला सामने नहीं आया है इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। मंकीपॉक्स आमतौर पर एक स्व-सीमित बीमारी है (उपचार के बिना ठीक हो जाती है) जिसके लक्षण 2 से 4 सप्ताह तक रहते हैं।

आम जनता के लिए क्या करें और क्या न करें

यदि किसी को बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, दाने (चेहरे, पैर, जननांग या पेरिअनल पर), सूजन वाले लिम्फ नोड्स हैं, तो उसे खुद को अलग कर लेना चाहिए और निकटतम स्वास्थ्य सुविधा पर जांच करानी चाहिए। संक्रमित जानवरों या इंसानों के संपर्क के बाद अच्छी तरह से हाथ की स्वच्छता अपनाएं। अपने हाथ साबुन पानी से धोएं या अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजऱ का उपयोग करें। यदि किसी ने मंकी पॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा की है, तो उसे 21 दिनों के लिए परिवार और पालतू जानवरों से दूर एक अलग कमरे में रहना होगा और लक्षणों पर नजर रखनी होगी। यदि ऊपर वर्णित कोई भी लक्षण दिखाई देता है तो उसे तुरंत डॉक्टर को सूचित करना चाहिए। बुखार, दाने और सूजी हुई लिम्फ नोड्स वाले व्यक्तियों या उन देशों से यात्रा करके वापस आने वाले लोगों के साथ निकट संपर्क से बचें जहां मंकी पॉक्स के मामले सामने आए हैं।

डायगनोज

एमपॉक्स का डायगनोज एक या अधिक पुटिकाओं या अल्सर से लिए गए वायरल स्वाब पर मंकीपॉक्स वायरस (एमपीएक्सवी) के लिए पीसीआर परीक्षण द्वारा किया जाता है। भारत में एमपॉक्स के लिए 22 लैब हैं जिनमें एनसीडीसी, नई दिल्ली और एम्स, दिल्ली शामिल हैं और 13 बफर लैब हैं। पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ उनमें से एक है।

इलाज

वर्तमान में मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। एमपॉक्स से पीडि़त अधिकांश लोगों के उपचार का उद्देश्य लक्षणों से राहत पाना है। देखभाल में एमपॉक्स दाने से त्वचा की क्षति का प्रबंधन करना, मल को नरम रखने में मदद करने के लिए पर्याप्त तरल पदार्थ पीना और दर्द निवारक दवाओं के साथ दर्द प्रबंधन शामिल हो सकता है।

अफ्रीकी रोडेंट्स के काटने या खरोंच से पशु-से-मानव में फैल सकती है बीमारी

बुश मीट प्रेपरेशन (भोजन के रूप में अफ्रीकी जंगली जानवरों का मांस), सीधे संपर्क से शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री, या घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क, जैसे दूषित बिस्तर के माध्यम से बीमारी फैल सकती है। मनुष्य से मनुष्य में ट्रांसमिशन (संचरण) निकट संपर्क के माध्यम से होता है जिसमें त्वचा से त्वचा, मुंह से मुंह, या मुंह से त्वचा का संपर्क शामिल हैं। यह भी संभव है कि एमपॉक्स वायरस कपड़ों, बिस्तरों, तौलियों, वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स और सतहों पर कुछ समय तक बना रहे जिन्हें एमपॉक्स से पीडि़त व्यक्ति ने छुआ हो। यह वायरस गर्भावस्था के दौरान भ्रूण में, जन्म के दौरान या बाद में त्वचा से त्वचा के संपर्क के माध्यम से, या एमपॉक्स वाले माता-पिता से निकट संपर्क के दौरान शिशु या बच्चे में भी फैल सकता है। एक संक्रमित व्यक्ति दाने निकलने के 1-2 दिन पहले से ही रोग फैला सकता है और तब तक संक्रामक बना रह सकता है जब तक कि सभी पपडिय़ां गिर न जाएं।