प्रशासन ने केंद्र को भेजा ट्रिब्यून फ्लाईओवर का नया एस्टीमेट: पांच साल में बढ़ गई प्रोजेक्ट की 10 फीसदी कीमत
- By Vinod --
- Wednesday, 10 Jul, 2024
Administration sent new estimate of Tribune Flyover to the Centre
Administration sent new estimate of Tribune Flyover to the Centre- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I चंडीगढ़ प्रशासन ने केंद्र सरकार को ट्रिब्यून फ्लाईओवर के लिए नया एस्टीमेट भेजा है। हाईकोर्ट ने हाल ही में इस प्रोजेक्ट पर लगाई गई रोक हटा ली थी।
एक एनजीओ ने कोर्ट में इस प्रोजेक्ट के आड़े आ रहे सैकड़ों पेड़ों के काटे जाने को लेकर याचिका दाखिल की थी जिसके बाद हाईकोर्ट ने नवंबर 2019 में इस प्रोजेक्ट पर स्टे लगाया गया था। मई 2024 में कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया था कि विकास के प्रोजेक्ट में इस तरह की चीजें रुकावट नहीं बननी चाहिए। अब पांच साल बाद केंद्र सरकार को यह प्रोजेक्ट 10 प्रतिशत ज्यादा कीमत खर्च कर बनाना पड़ेगा।
करीब 1.6 किलोमीटर लंबा फ्लाईओवर गवर्नमेंट मेडिकल कालेज एवं अस्पताल, सेक्टर 32 से शुरू होकर चंडीगढ़-दिल्ली दक्षिण मार्ग पर स्थित रेलवे ब्रिज तक ट्रिब्यून चौक के पास से गुजरेगा। हाल ही में प्रशासन ने केंद्रीय रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे मिनिस्ट्री के मांगने पर जो प्रोजेक्ट एस्टीमेट भेजा है उसमें प्रोजेक्ट की लागत बीते पांच साल के दौरान 183 करोड़ रुपये से बढक़र 203 करोड़ रुपये पहुंच गई है। इसी मंत्रालय ने प्रशासन को फलाईओवर के लिये भुगतान करना है।
प्रशासन के इंजीनियरिंग विभाग ने नये सिरे से प्रोजेक्ट का एस्टीमेट बनाकर फ्रेश अप्रूवल के लिये केंद्र के पास भेज दिया है। अब मंत्रालय को इस प्रोजेक्ट पर अंतिम फैसला लेना है कि उसी कंसलटेंट के साथ प्रोजेक्ट को लेकर आगे बढ़े जिसे पहले नियुक्त किया गया था या फिर किसी नये को यह प्रोजेक्ट दिया जाए। यूटी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही इस प्रोजेक्ट पर अप्रूवल मिल जाएगी और प्रोजेक्ट पर अगले दो तीन माह में काम भी शुरू हो जाएगा। जीएमसीएच 32 के चौक से शुरू होकर 1.6 किलोमीटर लंबा फ्लाईओवर रेलवे ओवरब्रिज तक जायेगा। यूटी के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने इस प्रोजेक्ट की नींव 3 मार्च 2019 को रखी थी।
लंबे जाम की समस्या से निजात पाने को लिया था फैसला
फलाईओवर के निर्माण का प्लान ट्रिब्यून चौक के पास लगने वाले लंबे जाम को लेकर लिया गया था। एक सर्वे के दौरान यह जानकारी सामने आई थी कि इस चौक से रोजाना 1.43 लाख वाहन गुजरते हैं जिसमें 1.35 लाख कारें हैं। पहले यूटी प्रशासन ने 7 किलोमीटर लंबा फ्लाईओवर तैयार करने की योजना बनाई थी लेकिन केंद्र सरकार ने इसे छोटा कर महज 3.5 किलोमीटर कर दिया। इसके बाद केंद्रीय रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे मिनिस्ट्री ने इस फ्लाईओवर की लंबाई केवल 1.6 किलोमीटर कर दी। नवंबर 2019 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फ्लाईओवर निर्माण के रास्ते में आने वाले पेड़ों को काटने को लेकर रोक लगा दी थी। दी रन क्लब ने कोर्ट में यूटी प्रशासन के प्रोजेक्ट के दौरान पेड़ काटने को लेकर चुनौती दी थी। करीब चार साल बाद 1 मई को हाईकोर्ट बैंच के जस्टिस जीएस संधवालिया एवं जस्टिस लापिता बनर्जी ने पेड़ों के काटने पर लगाई गई रोक हटाते हुए यूटी प्रशासन को इस प्रोजेक्ट पर अपनी मर्जी के मुताबिक आगे बढऩे का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा, पहले 5 लाख की आबादी का था शहर, अब यह ट्राईसिटी
कोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ शहर को बनाने की परिकल्पना 1950 में हुई और तब यह शहर मात्र 5 लाख की आबादी के लिहाज से तैयार हुआ था। अब शहर वैसा नहीं रह सकता क्योंकि अब यह ट्राईसिटी है जिसमें पंचकूला, मोहाली और न्यू चंडीगढ़ जैसी जगहें भी शामिल हैं। यहां आबादी 15 लाख की सीमा भी पार कर चुकी है। चूंकि डेवलपमेंट एक सतत प्रक्रिया है लिहाजा यह दलील स्वीकार नहीं की जा सकती कि चंडीगढ़ शहर के ओरिजनल करेक्टर में बदलाव नहीं कर सकते।
दिल्ली, करनाल, कुरुक्षेत्र , अंबाला और डेराबस्सी की ओर से आने वाले ट्रैफिक को चंडीगढ़ में दाखिल होते ही 90-90 मिनट के ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ता है। चंडीगढ़ के बराबर में जीरकपुर बस गया जहां की आबादी 1 लाख पार कर गई और चूंकि चंडीगढ़ में रहने की लागत ज्यादा है लिहाजा जीरकपुर से बड़ी तादाद में लोग शहर में रोजाना आते हैं। इसी तरह चंडीगढ़ से भी आसपास के इलाकों में रोजाना लोग जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इंफ्रा प्रोजेक्टों को लेकर ढ़ील बरतने और टेक्नीकल मामलों को लेकर हस्ताक्षेप के आदेशों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि रोज के इस ट्रैफिक को संचालित करने की जरूरत है। ऐसे में विकास के प्रोजेक्ट को रोका नहीं जा सकता।