Administration departments are not able to raise funds from resources

प्रशासन के महकमे नहीं जुटा पा रहे संसाधनों से धनराशि, नगर निगम नहीं वसूल पा रहा बड़े-बड़े सरकारी महकमों से प्रापर्टी टैक्स की मोटी रकम

Administration departments are not able to raise funds from resources

Administration departments are not able to raise funds from resources

Administration departments are not able to raise funds from resources- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I प्रशासन के महकमे अपने विभिन्न संसाधनों से पैसा बटोरने में फेल हो रहे हैं। नगर निगम सहित कई अन्य महकमों की आर्थिक हालत इससे खराब हो चली है। इन महकमों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिये कोई खास प्रयास भी नहीं किये जा रहे। नगर निगम बड़े बड़े सरकारी महकमों से प्रापर्टी टैक्स की राशि नहीं वसूल पा रहा है। एक एक संस्थान पर करोड़ों की राशि बकाया  है।

शहर में इसकी वजह से विकास कार्य रुके पड़े हैं। खासतौर से नगर निगम के आर्थिक हालात तो बहुत ही खराब हैं। प्रशासन को जो बजट केंद्र सरकार से मिला उसमें से काफी राशि खर्च हो चुकी है। अंतिम क्वार्टर में विभिन्न मदों पर खर्चे के लिये प्रशासन के पास बहुत कम पैसा बचा है। नगर निगम को राज्यपाल व प्रशासक गुलाब चंद कटारिया की ओर से कहा गया है कि वह अपने संसाधनों (रिसोर्सेज) को बढ़ाएं और अपने खर्चों को घटाएं ताकि आर्थिक सेहत में सुधार हो।

प्रशासन के अन्य महकमों को भी इसी तरह की हिदायतें पहले भी जारी होती रही हैं और आगे जारी होती रहेंगी।प्रशासन के महकमों को भले ही ऐसी हिदायतें समय समय पर जारी होती रही हैं लेकिन बावजूद इसके इससे जुड़े महकमों की कार्यशैली में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा। प्रशासन के महकमों ने हाल ही में जो 116 टेंडर इशू किए हैं उन टेंडरों पर अगर नजर दौड़ायें तो यह ज्यादातर रिपेयर एंड मेंटेनेंस के हैं। घरों की रेनोवेशन के लिए या कहीं टाइल लगाने के लिए कहीं छोटे-छोटे काम करने के लिए ज्यादातर टेंडर निकाले जाते हैं। इनमें कोई भी ऐसा आधारभूत टेंडर नहीं है जो कोई इंफ्रास्ट्रक्चर की डेवलपमेंट को दिखाता हो। जो टैंडर निकाले भी जाते हैं वह ओवर प्राइज टैंडर हैं।

समाजसेवी व आरटीआई कार्यकर्ता आरके गर्ग के अनुसार प्रशासन के महकमों की जो फाइनेंशियल प्रॉब्लम होती है, इसकी एक सबसे बड़ी वजह है कि उनके पास रिसोर्सेस तो है लेकिन उससे जो इनकम है उसको ठीक तरह से कलेक्ट नहीं किया जाता है। दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि जो टेंडर की प्रक्रिया है वह जबरदस्त फॉल्टी है। टैंडर प्रक्रिया में जबरदस्त भ्रष्टाचार है। ऑडिट में भी यह कहा गया है कि टैंडर की ओवर प्राइसिंग होती है और ओवर प्राइसिंग की वजह से टैंडर हाई वैल्यूएशन होते हैं। उनका कहना है कि टैंडर की प्रक्रिया को ठीक करके वहां व्यापक भ्रष्टाचार को ठीक नहीं करेंगे तो महकमों की फाइनेंशियल हालत है वह ऐसे ही रहेगी। शासन में जो ज्यादा पैसा खर्च हो रहा है, यह जांच का विषय है कि क्या वह सही में रेवेन्यू एक्सपेंडिचर है। ऐसा तो नहीं कि कोई दूसरा एक्सपेंडिचर इसके अंदर डाला जा रहा है?