Action is necessary on Amritpal

Editorial: अमृतपाल पर कार्रवाई जरूरी, निर्दोष युवाओं की हो रिहाई

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Action is necessary on Amritpal खालिस्तान समर्थक एवं अलगाववादी अमृतपाल सिंह की लुकाछिपी अब रहस्यमयी हो गई है। पंजाब में वारदात को अंजाम देकर वह जिस तरह बच निकला है, वह अनेक सवाल खड़े करता है। क्या वास्तव में विभिन्न राज्यों की पुलिस उसे पकड़ने की मंशा रखती हैं या फिर उसे कोई सेफ पैसेज दिया गया है।

यह जानकर हैरानी होती है कि पंजाब से सुरक्षित निकल कर वह हरियाणा में आता है और यहां अपने रिश्तेदार के घर ठहरने के बाद हरियाणा रोडवेज की बस से दिल्ली पहुंच जाता है और वहां से उसके नेपाल भागने की चर्चा है। जबकि देशभर की पुलिस को अलर्ट किया जा चुका है, हवाई अड्डों पर उसकी निगरानी हो रही है। सीसीटीवी फुटेज में वह कभी कहीं जाता दिखता है तो कभी कहीं से गुजरता। वह किसी सैलानी की भांति कभी पटियाला में दिखता है तो कभी कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में। अब उसकी एक और तस्वीर सामने आ रही है, जिसमें वह एक आरोपी के साथ एनर्जी ड्रिंक ले रहा है।

सवाल यह है कि आखिर अमृतपाल सिंह को समर्थन की यह एनर्जी मिल कहां से रही है। पंजाब की सियासत अपने आप में बहुत रहस्यमयी है, इसकी न जाने कितनी परते हैं। राज्य में खालिस्तान की अलख अगर लगातार जारी है तो इसके पीछे भी वे सुप्त ताकतें हैं जोकि धीमे-धीमे इस आग को जलाए रखे हुए हैं।

 बेशक, नेपाल समेत तमाम पड़ोसी देशों को इसकी सूचना भारतीय दूतावास ने दे दी है कि अमृतपाल की पहचान करके उसे पकड़ लिया जाए और आगे जाने से रोका जाए। हालांकि इसकी उम्मीद बहुत कम नजर आती है कि ऐसा हो सकेगा। जिन राज्यों से होकर वह गुजर चुका है और जहां की सीमाओं पर उसकी निगरानी की जा रही थी, वहां उसे रोका नहीं जा सका तो क्या यह माना जाए कि नेपाल जोकि भारत विरोधी ताकतों का गढ़ बन गया है, ऐसे में कोई कार्रवाई करेगा। गौरतलब है कि नेपाल के एक अखबार के हवाले से कहा गया है कि अमृतपाल नेपाल पहुंच चुका है।

देशभर की सुरक्षा एजेंसियां, सेंट्रल इंटेलिजेंस आदि आखिर भारत में ही उसकी पहचान कर उसे गिरफ्तार करने में कामयाब क्यों नहीं हो पाई। क्या यह माना जाए कि उसे राजनीतिक संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। हालांकि पंजाब में विपक्षी दलों की ओर से भी अमृतपाल के खिलाफ मान सरकार की कार्रवाई का भरपूर समर्थन किया गया है। बेशक शिअद बादल का रुख नरम रहा है, लेकिन दूसरे दलों ने इसकी व्यापक सराहना की है और पंजाब को खालिस्तानी सोच से बाहर निकालने की जरूरत बताई है।

 इस बीच अकाल तख्त ने बेकसूर सिख युवाओं को 24 घंटे के अंदर छोड़ने का अल्टीमेटम दिया है। जाहिर है, अकाल तख्त को इस संबंध में कदम उठाना ही था। हालांकि पंजाब पुलिस की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि वह निर्दोष युवाओं पर कार्रवाई नहीं करेगी। लेकिन सवाल यह है कि एकाएक इसका निर्णय कैसे लिया जाएगा कि कोई निर्दोष या फिर आरोपी। इस मामले में तो ऐसे लोग भी सामने आ रहे हैं जोकि सरकारी नौकरी में हैं, लेकिन फिर भी उनका समर्थन अमृतपाल सिंह को हासिल है। और अब बगैर समर्थकों की मदद के वह पंजाब से सुरक्षित नहीं निकल सकता था। उसे ग्रामीणों ने भरपूर मदद पहुंचाई है और फिर हरियाणा से होकर भी उसे सेफ पैसेज मुहैया कराया गया है।

बेशक, यह जरूरी है कि इस मामले में निर्दोष लोगों पर कार्रवाई न हो, यानी अगर उन्हें गुमराह करके इस राह पर डाल दिया गया है तो उन्हें इससे बाहर लाने की जरूरत है। यह सच्चाई भी है, अमृतपाल पर शुरुआती कार्रवाई के दौरान यह सामने आया था कि राज्य के युवाओं को गुमराह करके, उन्हें पैसे का प्रलोभन देकर, उनके कर्ज को उतार कर आदि तरीकों से साथ जोड़ा गया है। जाहिर है, यह सब जांच का विषय है।

गौरतलब है कि अकाल तख्त साहिब की बैठक अमृतपाल को आत्मसमर्पण करने का आह्वान किया गया है। इसके अलावा अकाल तख्त की इस बैठक में खालिस्तान समर्थकों को शामिल होने से रोका गया। यह सब बताता है कि राज्य का माहौल पूरी तरह बदल चुका है। अब सभी वर्ग यह चाहते हैं कि राज्य में शांति-व्यवस्था कायम रहे और अमृतपाल जैसे लोगों जोकि यहां व्यवस्था के लिए संकट बन रहे हैं, पर कार्रवाई हो। बेशक, यह आवश्यक भी है, क्योंकि कोई भी मुद्दा हो, उसे संविधान और कानून के दायरे में रहते हुए ही सुलझाया जाना होगा, खालिस्तान या अलगाववाद जैसी मांगों के जरिये कोई पंजाब की समूह स्वीकार्यता हासिल नहीं कर सकता। पंजाब की मान सरकार ने मौजूदा परिस्थितियों में सही कदम उठाए हैं, इससे राज्य की जनता के समक्ष विश्वास बंधता है कि पंजाब में अब कुछ भी अनुचित नहीं होने दिया जाएगा। वास्तव में यही पंजाब की जनता एवं देश चाहता है। 

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