Editorial: हिमाचल, पंजाब में बारिश से हालात असामान्य, देश बढ़ाए हाथ
- By Habib --
- Thursday, 17 Aug, 2023
Situation abnormal due to rain in Himachal, Punjab
Situation abnormal due to rain in Himachal, Punjab हिमाचल, उत्तराखंड और पंजाब में इस बार बारिश से जिस प्रकार की तबाही मची है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चुनौती पर है। हिमाचल प्रदेश में पहली बार ऐसा हो रहा है कि 7170 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है वहीं अब तक 327 लोगों की जान जा चुकी है। शिमला, कुल्लू समेत प्रदेश के सभी जिलों में इस तबाही के निशान देखे जा सकते हैं। शिमला में शिव मंदिर के ढहने से लोगों की जान चली गई।
पहाड़ पर हो रही बरसात की वजह से भाखड़ा और पौंग बांध से पानी छोड़ा गया है, जिससे पंजाब में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। बीते महीने ही राज्य के अनेक जिलों में भारी बारिश से बाढ़ का पानी भर गया था, जिसे निकालने के लिए मशक्कत अभी भी जारी है। अब इस नई आफत से जूझना राज्य के लोगों में एवं सरकार के समक्ष चुनौती है। हालांकि मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि राज्य में स्थिति नियंत्रण में है और इस पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने राज्य के लोगों को आश्वस्त किया है कि सरकार उनकी हरसंभव मदद सुनिश्चित कर रही है। बीते दिनों राज्य में आई बाढ़ के बाद मुख्यमंत्री मान ने खुद गांव-गांव जाकर इसका जायजा लिया था, उन्होंने कहा है कि बाढ़ के इन हालात में विशेष गिरदावरी कराई जाएगी, जिसके बाद मुआवजा प्रदान किया जाएगा।
बताया गया है कि इस समय भाखड़ा और पौंग बांध से पानी छोड़े जाने के बाद रूपनगर, होशियारपुर, गुरदासपुर और कपूरथला में बाढ़ आ चुकी है। पौंग बांध में इस समय 1.40 लाख, जबकि भाखड़ा से 83 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, इसके बाद सतलुज और व्यास से सटे कई गांवों में पानी घुस गया। हालांकि बाढ़ प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ, बीएसएफ व सेना की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में लगी हैं। ऐसी रिपोर्ट हैं कि होशियारपुर में लगभग 2500, नंगल में 200 ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
बेशक पंजाब के हालात चिंताजनक हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश ने इस वर्ष और अब तक सबसे बड़ी त्रासदी झेली है। पूरे राज्य में संसाधन क्षतिग्रस्त हुए हैं। हजारों करोड़ की निर्माण सम्पत्ति बाढ़ और नदियों की भेंट चढ़ गई। पहाड़ों ने ऐसा रौद्र रूप दिखाया है कि उनके हिस्से टूट कर राजमार्गों और सडक़ों पर आ गिरे। जिन रेल की पटरियों पर छुक-छुक करती ट्रेन दौड़ती थीं, उनके नीचे की मिट्टी ही बारिश का पानी बहा ले गया और अब वे हवा में झूल रही हैं। यह भी कितना विस्मयकारी है कि सावन के महीने में जब भगवान शिव की पूजा हो रही है, तब उनके मंदिर में पूजा के लिए आए भक्तों पर पहाड़ टूट गया और वे उसमें दब गए। यह भगवान की लीला हो सकती है। क्योंकि उन्हीं को मालूम है कि क्या सही है और क्या गलत लेकिन मानवीय नजर से देखें तो यह न केवल उन लोगों के लिए, अपितु उनके परिवारजनों, राज्य एवं देश के लिए भी बेहद दुखद विषय है।
हिमाचल प्रदेश में यह समय सेब एवं सब्जियों के उत्पादन का है, लेकिन इस बार की बारिश ने जहां सेब एवं अन्य फलों के उत्पादन को भारी नुकसान पहुंचाया है, वहीं उत्पादकों को अपना उत्पादन नदी-नालों के हवाले करना पड़ा है,क्योंकि उसे मैदान इलाकों तक लेकर कैसे जाएं। सभी रास्ते और मार्ग अवरूद्ध हो गए हैं। ऐसा अनुमान है कि हिमाचल में बारिश से सेब की फसल को 1हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। बागानों में तैयार हो रहे सेब गिर गए और उनका साइज भी छोटा हो गया। निश्चित रूप से राज्य के बागवानों के लिए यह बहुत बड़ी क्षति है, जबकि राज्य की अर्थव्यवस्था पर्यटन और बागान आधारित है, प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सेब की सालाना हिस्सेदारी 5 से 6 हजार करोड़ रुपये की है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में इस बार मानसूनी बारिश ने किस प्रकार का तांडव किया है। यह भी कितना दुखद है कि अब तक राज्य में विभिन्न स्थलों पर हादसों में 327 मौतें हो चुकी हैं।
यह भी कितना विडम्बनापूर्ण है कि देश के अन्य इलाकों में इस समय मानसूनी बारिश रूकी हुई है। लेकिन हिमाचल, उत्तराखंड में भीषण बारिश का दौर जारी है। विशेषज्ञ बताते हैं कि मानसूनी ब्रेक से बादल पहाड़ों पर जमा हो जाते हैं, और आजकल पहाड़ों पर ये ही बादल कहर ढाह रहे हैं। निश्चित रूप से पहाड़ पर हो रही बारिश का प्रभाव सिर्फ इन राज्यों पर नहीं पड़ रहा है, अपितु इससे पूरे देश के लिए समस्या पैदा हो गई है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने जत्न से राज्य में बचाव मुहिम चलाई हुई है, इसमें केंद्र सरकार का सहयोग भी उसे हासिल हो रहा है। यह समय प्रदेश के लिए मुश्किल भरा है, जिसमें से उसे बाहर आना है। लेकिन पूरा देश इस समय हिमाचल के साथ है और उसे इन हालात से बाहर आने में मदद कर रहा है।
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