शास्त्री मार्किट चुनाव में करारी हार से आप पार्टी के जनाधार की पोल खुली : भीमसेन अग्रवाल
Aam Aadmi Party
10 दिन में दो बार प्रधान बने मुकेश गोयल
चण्डीगढ़ : Aam Aadmi Party: आप पार्टी पार्षद दमनप्रीत सिंह, जो शास्त्री मार्किट के ही सदस्य हैं, ने 2021 में तत्कालीन भाजपाई मेयर रविकांत शर्मा को नगर निगम चुनावों में हरा कर सनसनी फैला दी थी, परंतु अब शास्त्री मार्किट के प्रधान पद के लिए हुए चुनाव में दमनप्रीत के पिता अरविंदर सिंह हैप्पी की करारी हार से आप पार्टी के जनाधार की पोल खुल गई है। ये कहना है भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उपाध्यक्ष भीमसेन अग्रवाल का।
उन्होंने कहा कि अब चण्डीगढ़ की जनता को भी आम आदमी पार्टी के असली चेहरे का पता लगने लग गया है। दिल्ली में इस पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं व जेलों में बंद हैं। भीमसेन अग्रवाल ने कहा कि मेयर चुनाव व लोकसभा चुनावों से पूर्व आप पार्टी को लगे झटके से भाजपा कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है।
उल्लेखनीय है कि आज शास्त्री मार्किट, सेक्टर 22 के प्रधान पद के द्विवार्षिक चुनाव में हैप्पी के खिलाफ पूर्व भाजपाई मुकेश गोयल ने एकतरफा जीत हासिल की है। हालांकि मुकेश गोयल ने पिछले नगर निगम चुनावों में वार्ड नंबर 22 से भाजपा से बागी होकर चुनाव लडा था, क्योंकि तत्कालीन भाजपा मुखिया अरुण सूद ने अपने चहेते जसमनप्रीत को टिकट दिला दी थी व जसमनप्रीत ने जीत भी हासिल की थी। इस मार्किट के चुनाव में संजय टंडन के ग्रुप ने मुकेश गोयल को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया हुआ था।
आज की जीत के बाद मुकेश गोयल की भाजपा में वापसी की चर्चा भी हो रही है। इस बाबत नए पार्टी प्रधान जितेंद्र मल्होत्रा पर सबकी नजरें हैं।
यहां ये भी गौरतलब है कि सितम्बर 2021 में हुए मार्किट के चुनाव में हैप्पी के भाई जसविंदर नागपाल, जो इससे पिछली टर्म में भी प्रधान रहे थे, ने मुकेश गोयल को कड़े मुकाबले में तीन वोटों से हराया था। उसके तीन महीने बाद हुए निगम चुनावों में जसविंदर नागपाल के भतीजे दमनप्रीत सिंह ने सिटिंग मेयर रविकांत शर्मा को हरा कर सबको चौंका दिया था।
गोयल पहले सर्वसम्मति से प्रधान बने, और अब बाकायदा वोटों के बहुमत से
एक समझौते के तहत मुकेश गोयल को लगभग दस दिन पूर्व एक वर्ष के लिए सर्वसम्मति से मार्किट का प्रधान चुना गया था, परन्तु बाद में दूसरे पक्ष ने उनके भाजपा परस्त होने पर आपत्ति जता दी, जिस पर मतदान कराना पड़ा।
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