AAP can become a headache for Congress

हरियाणा विधानसभा चुनाव: कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन सकती है आप

AAP can become a headache for Congress

AAP can become a headache for Congress

AAP can become a headache for Congress- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I हरियाणा विधानसभा चुनावों में अगर सीवनी (भिवानी) के बेटे अरविंद केजरीवाल की भावनात्मक अपील चली तो आप को चुनावों में फायदा मिल सकता है। खासतौर से कांग्रेस के लिये यह स्थिति सिरदर्द देने वाली है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों और ग्रैंड ओल्ड पार्टी के नेताओं का मानना है कि आप न केवल भाजपा विरोधी वोटों को विभाजित करेगी बल्कि कांग्रेस के मूल वोटों में भी डैंट डालेगी। अरविंद केजरीवाल की जेल से रिहाई भी ग्रैंड ओल्ड पार्टी को परेशान कर रही है। राजनीतिक पंडित बता रहे हैं कि भाजपा ने बड़े योजनाबद्ध तरीके से यह दॉव चला है।

चुनावों से ठीक पहले उनकी रिहाई, आप के ग्रॉफ को ऊपर उठाने और कांग्रेस के ग्राफ को नीचे गिराने की सोची समझी रणनीति  है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि आप केवल वहां चुनाव लड़ती है जहां कांग्रेस या तो मजबूत स्थिति में होती है या सत्ता में होती है। आप नेता राघव चड्ढा ने कांग्रेस और भाजपा को आम आदमी पार्टी को कमतर आंकने पर चेतावनी दी है। चड्ढा ने कहा, पिछले छह महीने नई दिल्ली के लोगों और आप के लिए बहुत कठिन रहे हैं। अरविंद केजरीवाल हरियाणा में चुनाव अभियान का नेतृत्व करेंगे, जहां लोग पारंपरिक राजनीतिक दलों से थक चुके हैं और विकल्प की तलाश कर रहे हैं।

इस्तीफे के बाद, केजरीवाल  हरियाणा पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। खासकर लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद इस चुनाव में उनकी सक्रियता है। हरियाणा के 9 जिलों में आप, कांग्रेस को टक्कर दे सकती है। यह राज्य के 34 विधानसभा क्षेत्रों में फैले हैं। ये जिले दिल्ली और पंजाब की सीमा पर स्थित हैं। सोनीपत और गुरुग्राम दिल्ली की तरफ हैं जबकि अंबाला, पंचकूला, जींद, कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, कैथल और सिरसा पंजाब की सीमा पर हैं। इन सात जिलों में सिखों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी भी है। पंजाब के मुख्यमंत्री  भगवंत मान को पंजाब के साथ सटते जिलों में कमान दे रखी है।

अरविंद केजरीवाल की मतदाताओं से भावनात्मक अपील

आप सुप्रीमो की जेल से रिहाई हरियाणा चुनाव की गतिशीलता को बदल सकती है क्योंकि केजरीवाल और पार्टी के अन्य नेता हरियाणा के मतदाताओं से भावनात्मक अपील कर रहे हैं। भिवानी जिले के सिवानी गांव से अपने संबंध रखने वाले अरविंद केजरीवाल खुद को हरियाणा का बेटा बताते हैं। रैलियों के दौरान केजरीवाल और उनकी पत्नी सुनिता केजरीवाल मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह  हरियाणा का बेटा है। केजरीवाल, उनकी पत्नी सुनीता और अन्य प्रमुख नेता भी डोर-टू-डोर अभियान चला रहे हैं।

ये है हरियाणा में आप की कमजोरी

आप अपने भावनात्मक कार्ड पर पूरी तरह से आश्वस्त है, लेकिन वरिष्ठ कांग्रेस नेता बीरेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि पार्टी के पास हरियाणा में कोई ठोस आधार नहीं है और भावनात्मक अपील काम नहीं करेगी। चौधरी ने कहा, उन्होंने दिल्ली में यह रणनीति आजमाई, लेकिन सभी लोकसभा सीटें हार गए। दिल्ली और पंजाब की तुलना में राज्य में पार्टी के पास मजबूत संगठन का अभाव है। आप के पास राज्य में सीमित प्रमुख चेहरे हैं, जिन पर वह भरोसा कर सकती है इनमें अरविंद केजरीवाल, अनुराग ढांडा और प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार गुप्ता ही शामिल हैं। इसके अलावा आप की कट्टर ईमानदार पार्टी की छवि और एक अलग पार्टी के रूप में इसकी ब्रांडिंग को अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जैसे शीर्ष नेताओं के खिलाफ कई भ्रष्टाचार के मामलों के कारण काफी नुकसान हुआ है।

कांग्रेस-आप में गठबंधन की कोशिशें पड़ी उल्टा

हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) को साथ लाने की कोशिशें उल्टी पड़ गईं, क्योंकि वे सीट बंटवारे की योजना पर सहमत नहीं हो सके। आप बड़ी संख्या में सीटें चाहती थी, जिनमें वे महत्वपूर्ण सीटें भी शामिल थी, जिन्हें कांग्रेस छोडऩे में हिचकिचा रही थी, लिहाजा सीट बंटवारे की बातचीत उम्मीद के मुताबिक आगे नहीं बढ़ पाई। हाल के लोकसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन के कारण उत्साहित कांग्रेस ने 2019 के राज्य चुनावों में आप के प्रदर्शन के आधार पर उसे दरकिनार कर दिया। 2019 में आप ने जिन 46 सीटों पर चुनाव लड़ा, वे सभी हार गई थी और उसे नोटा से भी कम वोट मिले। भले ही 2024 के लोकसभा चुनाव में आप कुरुक्षेत्र सीट से जीत दर्ज न कर सकीलेकिन पार्टी को इस सीट पर जो जनसमर्थन मिला उससे पार्टी का मनोबल बढ़ गया। खासतौर से चार विधानसभा क्षेत्रों  जिसमें कलायत, पेहोवा, गुहला और शाहाबाद शामिल है में उसे फिर से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन की बातचीत के दौरान 9-10 विधानसभा क्षेत्रों की सीट दिये जाने की मांग की। आप हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बजाय सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की वकालत की। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दोनों पार्टियों के बीच इंडिया ब्लॉक का हवाला देते हुए गठबंधन के लिए दबाव डाला था जो सिरे नहीं चढ़ सका।