इन मुख्य कारणों से हार का सामना करना पड़ा आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को
Election commission of india: शनिवार को भाजपा ने 10 साल से ज्यादा समय बाद दिल्ली से आम आदमी पार्टी को सत्ता से उखाड़ फेंका और एक बड़ा राजनीतिक उलट फेर कर दिया। हालांकि भारतीय जनता पार्टी खुद 27 सालों के बाद दिल्ली में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो पाएगी। भाजपा 70 सीटों वाली विधानसभा में लगभग 47 सीट जीत सकती है और केजरीवाल की पार्टी लगभग 23 सीट। 27 साल के बाद दिल्ली के सत्ता पर फिर से ताबीज होने जा रही भाजपा के लिए आम आदमी पार्टी को हराना क्यों इतना आसान था? चलिए जानते हैं इसके पीछे के मुख्य कारणों को।
दस सालों की सत्ता
दिल्ली पर एक दशक तक शासन करने के बाद आम आदमी पार्टी को भारी सत्ता विरोधी भावना का सामना करना पड़ा, जबकि आम आदमी पार्टी ने अपने पहले दो कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य और शिक्षा में काफी अच्छे रिजल्ट्स हासिल किया और बिजली और पानी की सब्सिडी से मतदाताओं को खुश किया लेकिन अधूरे वादे जैसे कि बेहतर वायु गुणवत्ता प्रमुख चुनावी मुद्दे बन गए हैं।
ईमानदारी की इमेज खराब
भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा के रूप में अरविंद केजरीवाल की छवि को कई कारणों से झटका लगा। सबसे खास तौर पर अब खत्म हो चुकी शराब नीति को लेकर विवाद। भाजपा ने आप सरकार पर नई नीति के साथ दिल्ली को शराबी शहर में बदलने और शराब की दुकान खोलने वाले से करोड़ों की रिश्वत लेने का भी आरोप लगाया। इसके अलावा शीश महल जैसे मुद्दों की वजह से भी आम आदमी पार्टी की छवि काफी खराब हो गई खासकर केजरीवाल और उनकी पार्टी की भ्रष्टाचार विरोधी छवि पर मार्च 2024 में भ्रष्टाचार के ही आरोप लगे और जिसके कारण उन्हें एक सीएम होते हुए भी हवालात में दिन गुजारना पड़ा।
मुफ्त की सुविधाओं की बाढ़
आम आदमी पार्टी की कल्याणकारी योजनाओं जैसे कि महिलाओं के लिए मुफ्त बिजली और बस यात्रा ने शुरुआत में समर्थन हासिल किया। लेकिन बुनियादी ढांचे के विकास और रखरखाव पर ध्यान ना देना एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया। दिल्ली भर में सड़कों और शिवरो की खराब स्थिति में मतदाताओं को काफी नाराज कर दिया। ओवरफ्लो करने वाली नालियां, गड्ढे, सड़के और नियमित कचरा संग्रहण ने पार्टी की अलोकप्रियता में भरपूर योगदान दिया।
केजरीवाल सबके निशाने पर
भाजपा की अभियान रणनीति मुख्य रूप से अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार को निशाना बनाने पर केंद्रित थी। बजाय हिंदुत्व पर जोर देने के जैसे कि उसने अक्सर अन्य राज्य चुनाव के साथ-साथ पिछले दिल्ली चुनाव में प्रचार के दौरान भी किया था। यही दृष्टिकोण आबादी के व्यापक हिस्से को पसंद आया जिसमें वे लोग भी शामिल थे, जो धार्मिक रूप से प्रभावित अभियान का समर्थन करने में इच्छुक नहीं थे। भ्रष्टाचार और शासन जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके भाजपा ने प्रभावी रूप से आम आदमी पार्टी की विश्वसनीयता को कम कर दिया और मतदाताओं की एक विस्तृत श्रृंखला को भी आकर्षित किया।
AAP नेताओं का पार्टी बदलना
समय के साथ ही साथ आम आदमी पार्टी से वरिष्ठ नेताओं के लगातार पार्टी छोड़कर चले जाने की भी खबरें आई जिसने आम आदमी पार्टी की छवि को पूरी तरह से हीलाकर रख दिया। प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, मयंक गांधी और कुमार विश्वास जैसे प्रमुख लोगों का पार्टी से जाना और अरविंद केजरीवाल से असहमत होने के साहस ने बार-बार केजरीवाल पर नेतृत्व की निरंकुश शैली का भी आरोप लगाया।
नकारात्मक प्रचार का प्रभाव
यमुना नदी प्रदूषण दिल्ली पुलिस और चुनाव आयोग जैसे मुद्दों पर केंद्रीय आम आदमी पार्टी द्वारा किए गए नकारात्मक प्रचार ने आम आदमी पार्टी सरकार के बारे में लोगों की धारणा को काफी बदल दिया। चुनाव से पहले केजरीवाल ने भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार पर यमुना नदी को जहरीला बनाने का भी आरोप लगाया जो दिल्ली को पीने का पानी उपलब्ध कराती है, उन्होंने दावा किया कि हरियाणा सरकार ने जानबूझकर दिल्ली में प्रदूषित पानी भेजो ताकि कृत्रिम जल संकट पैदा हो और आपको दोषी ठहराया जा सके इन वजहों से पार्टी काफी नकारात्मक हो गई और लोगों का भरोसा भी केजरीवाल से हटने लगा।