‘क्षमायाचना पर्व’जैन धर्म की समाज को अनुपंम और अनौखी भेंट - सत्य पाल जैन
‘क्षमायाचना पर्व’जैन धर्म की समाज को अनुपंम और अनौखी भेंट - सत्य पाल जैन
Jainism to the society : चण्डीगढ़ 31 अगस्त, 2022. चण्डीगढ़ के पूर्व सांसद, भारत सरकार के अपर महासालिसिटर एवं पंजाब विष्वविद्यालय की सीनेट व सिंडीकेट के सदस्य श्री सत्य पाल जैन ने कहा है कि यदि सारी दुनिया जैन धर्म की परम्परा के अनुरूप, वर्ष में कम से कम एक दिन अपनी गलतियों के लिये‘क्षमायाचना’करे तो समाज में बहुत सारे तनाव, झगड़े आदि समाप्त हो सकते हैं। श्री जैन ने कहा कि जैन धर्म के जीवन को सादा ढंग से जीने, दूसरों की भावनाओं का सम्मान करने, जीयो और जीने दो तथा प्रत्येक प्राणी मात्र का सम्मान करना आदि ऐसे नियम है जिन पर चलकर दुनिया शांति की ओर बढ़ सकती है।
श्री जैन आज जैन स्थानक, सैक्टर 18, चंडीगढ़ में ‘पर्वाधिराज पर्यूषण एवं महापर्व संवत्सरी’के सम्बंध में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के नाते उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित कर रहे थे।
श्री जैन ने कहा कि समाज में काम करते समय कई बार तनाव हो जाता है ओर व्यक्ति अपने शब्दों से दूसरों की भावनाओं को आहत कर देता है जो बाद में चलकर बड़े-बडे़ झगड़ों का कारण भी बनता है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में साल में एक दिन ‘क्षमायाचना’ अर्थात अपनी गलती या ज्यादती के लिये उसका अहसास करते हुये, दूसरे से क्षमा मांगना एक पर्व की तरह मनाया जाता है ताकि समाज में आपसी तनाव और झगड़े एक सीमा से आगे न बढ़ सके।
श्री जैन ने कहा कि इतिहास गवाह है कि कई बार छोटी-छोटी गलतियों से बड़े-बड़े युद्ध हुये ओर लाखों लोगों की जाने गई। यदि उन लोगों ने भी हर वर्ष एक दिन क्षमायाचना के लिये रखा होता तो दुनिया भारी विनाश से बच सकती थी।