एक चरखा वा एक करघा देश की रूपरेखा बदल देता है- जगन मोहन रेड्डी
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"एक चरखा वा एक करघा" देश की रूपरेखा बदल देता है- जगन मोहन रेड्डी

एक चरखा वा एक करघा देश की रूपरेखा बदल देता है- जगन मोहन रेड्डी

"एक चरखा वा एक करघा" देश की रूपरेखा बदल देता है- जगन मोहन रेड्डी

( अर्थ प्रकाश / बोम्मा रेडड्डी )

 अमरावती :: (आंध्र प्रदेश) मछलीपट्टनम जिले के पेडाना मंडल मुख्यालय में मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने गुरुवार को यहां 80,546 बुनकर परिवारों के बैंक खातों में "वाईएसआर नेतन्ना नेस्तम" के तहत लगातार चौथे वर्ष भी 193.31 करोड़ रुपये जमा किए।
सभा को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री ने क्षेत्र के बुनकरों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की स्वतंत्रता आंदोलन को याद किया जाय तो जहां चरका और धागा ने देश की गतिशीलता को बदल दिया तथा जिसकी योगदान आज भी गांधी का मार्गदर्शन गरीबों की हित गरीबों को सहायता और सहकारिता यह योजनाओं से आज भी हम आजादी का आंदोलन को स्मरण करने में मजबूर होते हैं कहा। 

 उन्होंने कहा कि उन्होंने वाईएसआर नेथन्ना नेस्तम योजना लाकर अपनी 3,648 किलोमीटर की पदयात्रा के दौरान बुनकरों से किए गए अपने वादे को पूरा किया है, जो हर साल 24,000 रुपये की वित्तीय सहायता के माध्यम से बुनकरों को अपने कौशल को उन्नत करने में अपने स्वयं लाभान्वित कर लेते है।

  हमारे बुनकर करघे पर जो बुनते हैं, वह सिर्फ अलग-अलग धागों को मिलाकर कपड़ा नहीं बना रहा है.. एक चरखा, एक करघा ने इस देश का चेहरा ही बदल दिया है।
  अगर हम अपने स्वतंत्रता संग्राम को देखें तो हमारे नेता ने राष्ट्रीय आंदोलन को विभिन्न धर्मों, विभिन्न जातियों, विभिन्न क्षेत्रों, विभिन्न भाषाओं और रीति-रिवाजों के साथ पूरी तरह से एक कर दिया है यही है महात्मा गांधी की विशेषता उन्हें चरखा को स्वयं चलाया और दूसरों को भी प्रोत्साहित किया यही देश की दिशा को बदल दिया गंभीर से सोचे हैं उनकी विचारधारा कितनी गहरी थी कहा।

  हमारे नेता और हमारी उदासी हमारी महान संस्कृति, हमारे इतिहास का धरोहर और हमारे स्वतंत्रता संग्राम के प्रमाणिक है जिनके नींव के ऊपर आप और हम में खड़े हैं। 

उधर श्रीकाकुलम से इधर अनंतपुर तक, हम उस स्थिति को देख रहे हैं जहां हम इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में भी जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे करघे और हजारों वर्षों के ऐसे हथकरघा में विश्वास करते हुए।  ऐसे हालात में रहते हुए भी उन्होंने कभी. नहीं सोचा था कि कोई उनके साथ हो और उनका साथ दे।  ऐसे ही विचारशील, दृढ़ कदम आज आपके बच्चे के अधीन हो रहे हैं।

  पदयात्रा पर मैंने बुनकरों का हालात देखा था ...
मैंने  अपने 3648 किमी लंबे पदयात्रा के दौरान, मैं कई जगहों पर देखा कि कैसे इन बुनकरों का जीवन अद्भुत कपड़े बुनने जैसा है।  मैंने अपनी आँखों से देखा।  मैंने उक्त सभी दर्दों को सुना है।  जब मैंने सुना कि मैं था... उस दिन मैंने जो कहा, उसे मैं नहीं भूल पाया।  सत्ता में आते ही हमने उस दिशा में कदम बढ़ाया।