Editorial: हरियाणा कांग्रेस नेताओं में तकरार का नया दौर
- By Habib --
- Thursday, 26 Dec, 2024
A new round of conflict between Haryana Congress leaders
A new round of conflict between Haryana Congress leaders: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी ही हार की मुख्य वजह रही है। दरअसल, प्रदेश कांग्रेस के नेता और पार्टी हाईकमान भी इस बात को मानने लगा है। यही वजह है कि प्रदेश कांग्रेस नेताओं को लेकर हाईकमान का रूख जहां सख्त हो गया है वहीं प्रदेश में पार्टी के अंदर के हालात भी हाईकमान संभव है बदलने की जुगत में है। वास्तव में इसकी जरूरत बहुत पहले से थी लेकिन पार्टी हाईकमान के लिए यह दुविधा हो सकती है कि वह आखिर बदलाव करे भी तो क्या। यानी किसे बदल कर किसे आगे लाए। गौरतलब बात यह भी है कि हरियाणा विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण के बाद एक सत्र बीत चुका है, लेकिन अभी तक पार्टी हाईकमान ने किसी को भी नेता विपक्ष की जिम्मेदारी नहीं सौंपी है। ऐसा कांग्रेस में पहली बार हो रहा है।
बीते दिनों लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की एकाएक चंडीगढ़ यात्रा और प्रदेश के नेताओं से दूरी भी इस तरह की बातों का आधार बन रही है कि हाईकमान को लग रहा है कि अगर प्रदेश में गुटबाजी नहीं होती तो इस बार कांग्रेस यहां सरकार बना चुकी होती। खैर, इन बातों को नया आकार उस समय भी मिल रहा है, जब प्रदेश प्रभारी और अध्यक्ष के बीच तकरार का सिलसिला जारी है। यह सिलसिला उस समय शुरू हुआ था जब एक पक्ष की ओर से यह कहा गया कि चुनाव में ईवीएम में गड़बड़ी का संदेश उन्होंने दूसरे पक्ष को पहुंचा दिया था लेकिन तब भी कार्रवाई नहीं की गई।
प्रदेश दीपक बाबरिया की स्थिति लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान काफी चुनौतीपूर्ण रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान तो टिकट के चाहवानों की संख्या एक अनार सौ बीमार वाली रही। तब सभी की उम्मीदें बाबरिया से थी कि वे टिकट दिलवाएंगे। हालांकि खुद बाबरिया बेहद दबाव में रहे और आखिर वे अस्पताल में भर्ती हो गए। जाहिर है, कांग्रेस में ऐसी स्थिति नहीं है कि राज्य स्तर के नेता या फिर प्रभारी अपने तौर पर कुछ ऐसा निर्णय लें, इसलिए हाईकमान की तरफ देखना पड़ता है। लेकिन प्रदेश कांग्रेस में नया विवाद तब खड़ा हो गया जब प्रदेश अध्यक्ष की ओर से जिला प्रभारियों की सूची को प्रदेश प्रभारी ने रद्द कर दिया। इस पर पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से कहा गया है कि चुनाव के दौरान कई नेता पार्टी छोड़ कर चले गए और अब उस सूची को अपडेट करना जरूरी था। बेशक, ऐसा करना जरूरी है, लेकिन यह विषय सभी के लिए उत्सुकता का है कि आखिर प्रदेश अध्यक्ष की सूची को प्रदेश प्रभारी ने रद्द कर दिया। यानी उन्हें उस सूची पर भरोसा नहीं था, या फिर यह माना जाए कि इसे उन्हें विश्वास में लिए बगैर जारी किया गया।
दरअसल, प्रदेश कांग्रेस के अंदर जितने नेता हैं, उतनी है बातें हैं। बीते दिनों में पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान के बीच शाब्दिक बाण चलते हुए नजर आए थे। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष ने यह जरूरी समझा कि वे बीरेंद्र सिंह की बातों का जवाब दें, हालांकि बीरेंद्र सिंह ने क्या बात कही थी, उस पर अमल की जरूरत नहीं समझी गई। लोकतंत्र के नाम पर कांग्रेस में दर्जनों गुट सक्रिय हैं और प्रत्येक गुट खुद को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहता है। क्या ऐसा संभव है। इस बीच कांग्रेस की ओर से यह भी दावा किया जा रहा है कि उसका वोट प्रतिशत भाजपा के बराबर है। बेशक, इस तरह के दावे अपनी जगह हैं, लेकिन जिसके पास संख्या बल है, वही सरकार बनाता है। तब यह बात भी गौर करने लायक हो जाती है कि आखिर कांग्रेस जब लगभग जीत की अवस्था में थी और उसके लिए पूरे प्रदेश में माहौल बन चुका था, उसके बावजूद वह हार गई। क्या पार्टी के नेताओं को अपनी दलित नेता के प्रति कही गई बातों और दूसरे कारणों पर गौर नहीं करना चाहिए जिन्होंने मतदाता का मन मोड़ दिया। मालूम हो, प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने खुद कहा है कि दस से प्रंदह सीटें गलत बांटी गई, जिनकी वजह से पार्टी की हार हुई। पार्टी नेताओं ने एक और शिगूफा यह छोड़ा था कि चुनाव से पहले ईवीएम में गड़बड़ का प्रदेश प्रभारी को तथाकथित मैसेज आया था, जिस पर उन्होंने एक्शन नहीं लिया।
हालांकि अब प्रभारी कह रहे हैं कि उन्होंने इस मैसेज को प्रदेश अध्यक्ष को भेज दिया था और उन्हें ही कार्रवाई करनी चाहिए थी। वास्तव में प्रदेश अध्यक्ष की ही यह जिम्मेदारी बनती थी कि अगर ऐसा हो रहा था तो वे कार्रवाई करते और पार्टी के बड़े नेताओं को इसकी सूचना देते। प्रदेश कांग्रेस को इस पर विचार करना चाहिए कि क्या गुटबाजी और एक-दूसरे से लडक़र क्या बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है। हाईकमान के लिए यह कदम उठाना जरूरी है कि वह प्रदेश संगठन को तैयार करने पर काम करे और यह भी आवश्यक है कि संगठन अनुशासित और लयबद्ध होकर चले।
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