Editorial: खनौरी बॉर्डर पर किसानों की एकता का नया दौर शुरू
- By Habib --
- Wednesday, 15 Jan, 2025
A new phase of farmers unity begins at Khanauri border:
A new phase of farmers unity begins at Khanauri border: खनौरी बॉर्डर पर किसानों की एकजुटता का नया दौर यह बताने को काफी है कि यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और आगे बहुत कुछ बाकी है। सबसे बड़ी बात यह है कि सभी किसान संगठनों ने एक मंच पर आने का फैसला लिया है और अब 111 और किसानों ने आमरण अनशन शुरू करने का निर्णय लिया है। यानी अब तक एक जगजीत सिंह डल्लेवाल अगर अनशन पर थे तो अब 112 डल्लेवाल अनशन करेंगे। ऐसा तब है, जब केंद्र सरकार की ओर से अनशनकारी डल्लेवाल एवं अन्य किसान नेताओं से बातचीत का जरा संकेत तक नहीं दिया गया है। वहीं पंजाब भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की ओर से एमएसपी को अनावश्यक एवं किसानों के लिए बोझ बताया गया है।
जाहिर है, यही गतिरोध का विषय है। क्योंकि सरकार एवं विशेषज्ञों की कमेटी किसानों को यह आश्वस्त नहीं कर पा रही है कि आखिर किस वजह से एमएसपी की कानूनी गारंटी नहीं दी जा सकती। हालांकि किसान संगठनों के लिए यही सर्वोपरि मांग है कि उनकी फसल की खरीद के लिए एमएसपी की गारंटी मिले। इस बीच किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल जोकि बीते 50 दिनों से अनशन पर हैं, का स्वास्थ्य बेहद नाजुक स्थिति में पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट में उनकी तबीयत को लेकर सुनवाई हुई है।
गौरतलब है कि किसानों के आंदोलन को अब और बल मिल गया है, क्योंकि संयुक्त किसान मोर्चा ने भी संगत देनी शुरू कर दी है। आंदोलन में अभी तक पंजाब और हरियाणा के किसान ही दिखाई दे रहे थे लेकिन अब अन्य राज्यों के किसानों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर यह जाहिर कर दिया है कि वे अपनी मांगों को लेकर पुरजोर तरीके से लड़ रहे हैं और यह आंदोलन अनवरत जारी रहेगा। यह किसान नेताओं और विशेषकर डल्लेवाल के संकल्प का साकार रूप है कि इतने संघर्ष के बावजूद वे डटे हुए हैं। निश्चित रूप से लोकतंत्र में प्रत्येक को अपनी बात रखने का हक है, अपनी मांगों को लेकर अनशन और आंदोलन का हक है। लेकिन बीते कुछ समय के दौरान सरकार और किसानों के बीच जिस प्रकार से टकराव बढ़ा है, वह चिंताजनक है।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट लगातार निगरानी कर रहा है। अदालत ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को अस्पताल में दाखिल कराने के निर्देश दिए थे, हालांकि अभी तक यह संभव नहीं हुआ है। अदालत ने यहां तक भी कहा है कि अस्पताल में इलाज के दौरान डल्लेवाल अपने अनशन को जारी रख सकते हैं। अब उनके स्वास्थ्य को लेकर यह सामने आ रहा है कि उन्हें पानी तक नहीं पच रहा है। आजकल देश में यह सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर डल्लेवाल के साथ क्या घटने वाला है। सरकारें न जाने क्यों उस दिन का इंतजार कर रही हैं, जब एक बुरी खबर सामने आ सकती है। यह समझ से परे की बात लगती है कि पूरा सिस्टम संवेदनहीनता को प्राप्त हो गया है। किसान जिस प्रकार से संघर्ष को आगे से आगे बढ़ाने का ऐलान कर चुके हैं, उसके मद्देनजर ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि डल्लेवाल अस्पताल में भर्ती होना चाहेंगे। लेकिन यह जरूरी है कि पहले उनके स्वास्थ्य की परवाह की जाए। किसान नेताओं को इस तरफ ध्यान देना चाहिए कि यह आंदोलन आगे बढ़े और उसमें सफलता मिले, लेकिन यह जरूरी है कि इस आंदोलन के दौरान किसी को जान का नुकसान न हो।
जाहिर है, किसान नेता डल्लेवाल और संगठन इसकी उम्मीद में बैठे हैं कि उनकी सुनवाई होगी और सरकार उनकी मांगों पर कार्रवाई करेगी। पंजाब सरकार की ओर से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य पर बारीक नजर रखी जा रही है, लेकिन उसके समक्ष संकट यह भी है कि अगर उसने किसानों को यहां से हटाया या फिर डल्लेवाल को ही अस्पताल में भर्ती कराया तो किसान संगठन सरकार के खिलाफ भी आंदोलन छेड़ सकते हैं। बेशक, किसान संगठनों ने अब गांधीवादी तरीका अपनाया है, यही वजह है कि अब आंदोलन की धार बढ़ रही है। लेकिन क्या यह जरूरी नहीं है कि डल्लेवाल अपने स्वास्थ्य की भी चिंता करें, किसानों की मांगें अपनी जगह हैं, जिनका निवारण होना चाहिए। लेकिन अगर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है तो इससे मामला गंभीर हो सकता है। इस मामले में दोनों पक्षों के बीच वार्ता होनी जरूरी है, ऐसा नहीं होना चाहिए कि हालात बेकाबू हो जाएं और फिर एकाएक सरकार को इसकी चिंता हो कि कुछ किया जाना चाहिए था।
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