A new era has begun in India-US relations

Editorial: भारत-अमेरिका संबंधों में हो चुकी नए दौर की शुरुआत

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A new era has begun in India-US relations

A new era has begun in India-US relations: अमेरिका में 20 जनवरी को सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है, और बीते वर्ष हुए चुनावों में शानदार जीत हासिल कर चुके डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं। निश्चित रूप से उनके राष्ट्रपति बनने के बाद दुनियाभर की राजनीति बदलने वाली है, वहीं वैश्विक आर्थिक नीतियों में भी बड़ा परिवर्तन आना तय है। ट्रंप ने इस भरोसे पर चुनाव जीता है कि वे अमेरिका को आगे रखेंगे, उनके भाषणों और बयानों से भी यह साफ हो चुका है कि उनके लिए अमेरिकी हित सर्वोपरि रहने वाले हैं। हालांकि इस दौरान अमेरिका ने भारत पर कितना भरोसा जताया है और नई सरकार का भारत के साथ कैसा संबंध रहने वाला है, इसका अनुमान इससे लगाया जा रहा है कि 20 जनवरी से पहले दोनों देशों के एनएसए के बीच बैठक प्रस्तावित है और इस बैठक में अनेक अहम मसलों पर चर्चा होगी।

इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर अप्रत्याशित रूप से एक हफ्ते की अमेरिका यात्रा से लौटे हैं। इस यात्रा का मकसद यह बताया जा रहा है कि बाइडेन सरकार की विदाई और ट्रंप की ताजपोशी के दौरान दोनों देशों के संबंधों में आई तेजी पर ब्रेक न लग जाएं। जाहिर है, अमेरिका भी इस बात को बखूबी समझता है और इसकी जरूरत भी मानता है कि दोनों देशों के बीच आई इस नजदीकी को बरकरार रखा जाए। अमेरिका की भूमिका वैश्विक समाज में कभी कमजोर पड़ने वाली नहीं है, लेकिन पूरे विश्व में अमेरिका ने जिस प्रकार से भारत के साथ दोस्ती का यह हाथ आगे बढ़ाया है, वह भविष्य की दृष्टि से भारत के लिए बहुत अहम रहने वाला है। हालांकि इस दौर भारत को अपने हितों का ख्याल रखते हुए आगे बढ़ना होगा।  

इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की शानदार जीत यह बताने को काफी रही कि इस देश की जनता क्या चाहती है। अमेरिका की बीते कुछ वर्षों में छवि धूमिल हुई है और उसकी अर्थव्यवस्था को धक्का पहुंचा है। डोनाल्ड ट्रंप का जीवन तमाम विडम्बनाओं से भरा हुआ है। वे सजायाफ्ता हैं, बीते चुनाव में अपनी हार को नहीं स्वीकार करने और समर्थकों को उपद्रव के लिए उकसाने जैसे आरोप भी उन पर हैं। ट्रंप ने अपनी हार को कभी स्वीकार नहीं किया, वे एक जिद्दी राजनेता की भांति यही बताते रहे कि वे ही जीत रहे थे। हालांकि इस चुनाव में उन पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें वे बाल-बाल बचे। अगर उन्होंने इसकी जिद नहीं की होती कि एक बार फिर उन्हें अमेरिका का राष्ट्रपति बनना है तो शायद ही वे जीत हासिल कर पाते। इसी वजह से यह सामान्य व्यक्ति के लिए भी एक संदेश है कि जीवन में अपने संकल्प के लिए हमेशा सक्रिय और संजीदा रहो और उसे हासिल करने के लिए जद्दोजहद करते रहो।

आज के समय चीन की विस्तारवादी नीति का फैलाव तेजी से जारी है। रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है, वहीं इजरायल और फिलीस्तीन के बीच भी संघर्ष जारी है। अमेरिका में एक प्रभावी सरकार के नेतृत्व में इसकी उम्मीद की जा सकती है कि वह चीन को नियंत्रित करने में सफल रहेगी वहीं युद्धों की रोकथाम के लिए भी प्रयास करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को रुकवाने की दृष्टि से दो बार दोनों देशों की यात्राएं की हैं। इन यात्राओं के बाद बाइडेन सरकार ने जिस प्रकार से भारत के प्रति नाराजगी जाहिर की थी, उससे अमेरिका और भारत के बीच अविश्वास की स्थिति पैदा हुई। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच दोस्ती का लाभ भारत को मिलने की उम्मीद है। हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए ट्रंप ने अपने पूर्व कार्यकाल में एक नीति तैयार की थी, उसमें भारत की अहम भूमिका है, जोकि अब और ज्यादा निखर कर सामने आने वाली है। ट्रंप सरकार की आर्थिक नीतियों का भी भारत पर असर पड़ने वाला है। दूसरे देशों से आने वाले उत्पादों पर 10-20 प्रतिशत शुल्क लगाने से लेकर वे भारत पर भी सबसे ज्यादा आयात शुल्क लगाने की बात कहते आए हैं, हालांकि नए परिप्रेक्ष्य में ट्रंप सरकार की नीतियां क्या रहेंगी, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।

बावजूद इसके डोनाल्ड ट्रंप की जीत से भारत के हित और ज्यादा सुरक्षित होने की संभावना प्रबल हुई है। ट्रंप ने चीन, पाकिस्तान समेत दूसरे एशियाई देशों में भारत को सर्वाधिक प्राथमिकता दी थी और अब फिर इसकी उम्मीद की जा रही है। निश्चित रूप से अमेरिका में यह बदलाव की बयार है। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप और उनकी सरकार को इसका ध्यान रखना होगा कि वे जनता की उम्मीदों पर खरा उतरें। अमेरिका के साथ चलते हुए भारत अपने लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। दोनों देशों के बीच कारोबार बीते वर्षों में 195 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। जाहिर है, यह महज शुरुआत हो सकती है। यह सफर आगे और बढ़ेगा, इसकी पूरी उम्मीद है। 

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