ईसाई धर्म बचाने के लिए होने लगा पंजाब में मोर्चे का गठन, जानें क्या है पूरा मामला
- By Kartika --
- Monday, 28 Nov, 2022
धर्म परिवर्तन को ले कर लम्बे समय से चर्चा में रहने वाली ईसाईयत (Christanity) अब मसीही धर्म बचाओ मोर्चे (Dharam Bachao Morcha) का गठन कर रही है। यह मोर्च पंजाब (Punjab) में एक बड़ा सम्मेलन कर के अपनी नई रणनीति के अंतर्गत बड़े पैमाने पर आंदोलन (Agitation) खड़ा करने वाला है। इसकी घोषणा करते हुए मसीही धर्म के सक्रिय नेता अल्बर्ट दुआ (Albert Dua) ने कहा कि अगर दिसंबर (December) में आ रहे हमारे अंतर्राष्ट्रीय (International) त्योहार क्रिसमस (Christmas) पर किसी किस्म की कोई पाबंदी लगाई गई या फिर कुछ और इसी तरह का कदम उठाया गया तो अच्छा नहीं होगा। यह घोषणा (Declaration) अल्बर्ट दुआ ने लुधियाना (Ludhiana) में रविवार 27 नवंबर की शाम को की।
ग्राहम स्टेंस मर्डर केस का इतिहास (Histroy of Graham Stains Murder Case)
बाप समेत दोनों बेटों को भी उतारा मौत के घाट
इसके अलावा यह भी बताया गया है कि वह लोगों को रस्सी, सबाई घास और पेड़ के पत्तों से बनने वाली चटाई और टोकरियाँ बनाना भी सिखाते थे। इस तरह वह वहां के लोगों को आत्मनिर्भर और स्वतंत्र भी बना रहे थे। जिस दिन यह जघन्य घटना घटी उस रात अचानक 50-60 लोगों की भीड़ दारा सिंह के साथ आई जो कुल्हाड़ी और इस तरह के अन्य हथियारों से लैस थी। यह बजरंग दल के सदस्य बताए गए थे। भीषण सर्दी की वह रात कहर की रात साबित हुई।
मानवाधिकार संगठनों ने की घटना की थी निंदा
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस घटना की चर्चा भी हुई। मानवाधिकार संगठनों (Human Rights Organizations) ने इस पूरे घटनाक्रम की सख्त निंदा की। बाद में मामले के मुख्य आरोपी दारा सिंह को सीबीआई अदालत ने 2003 में तिहरे हत्याकांड (Triple Murder Case) का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी।
इस सज़ा को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आईं थीं। इसी बीच ओडिशा उच्च न्यायालय ने मौत की सजा को 2005 में उम्रकैद में बदल दिया था। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पहुंचा तो सन 2011 में उच्चतम न्यायालय ने इस फैसले को बरकरार रखा था।
इस घटना के बाद से ही दारा सिंह का एक सक्रिय करीबी सहयोगी बुद्धदेव नाइक (Budhdev Naik) फरार था। करीब 20 साल बाद सितंबर 2019 में सीबीआई ने बुद्धदेब नाइक (45) को सीबीआई के अधिकारियों ने मयूरभंज जिले के ठाकुरमुंडा थाना क्षेत्र स्थित उसके आवास से गिरफ्तार किया।
सीबीआई ने मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर उसे गिरफ्तार किया। इसी मामले में एक अन्य आरोपी महेंद्र हेमब्रम (Mahendra Hembram) भी उम्रकैद की सजा काट रहा है। हालांकि उच्च न्यायालय ने साक्ष्यों के अभाव में 11 अन्य आरोपियों (Culprits) को बरी कर दिया था।
स्टेन्स और उनकी पत्नी ग्लैडिस (Gladys Stains) मयूरभंज एवांजेलिकल मिशनरी (Mayurbhanj Evengelical Missionary Society) की ओर से बारीपदा में कुष्ठ रोग के लिए काम करते थे। 2005 में पद्मश्री पाने वाली ग्लैडिस ने कहा था कि उन्होंने अपने पति और बच्चों के हत्यारों को माफ कर दिया है। उनके लिए दिल में कोई कड़वाहट नहीं है। जानती है कि एक दिन इन हत्यारों को पश्चाताप होगा। लेकिन इस जघन्य घटनाक्रम के बाद भी छिटपुट विरोध चलते रहे।
फिल्म 'ग्राहम स्टैंस: एक अनकही सचाई - द लीस्ट ऑफ़ दीज़' 'Graham Stains: Ek Ankahi Kahani - The Least of These'
इस ट्रिपल मर्डर केस पर निर्देशक अनीश डेनियल (Aneesh Denial) द्वारा निर्देशित एक फिल्म 'ग्राहम स्टैंस: एक अनकही सचाई - दी लीस्ट ऑफ़ दीस' भी बन चुकी है। इस फिल्म को 2019 में भारत तथा USA में रिलीज़ किया गया था।
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ईसाइयत को बचाने के लिए मोर्चे का हो रहा है गठन