ज्ञान का फल विनम्रता है विद्या को जन्म देती है - परम पूज्य मुनि श्री विशोक सागर जी महाराज
ज्ञान का फल विनम्रता है विद्या को जन्म देती है - परम पूज्य मुनि श्री विशोक सागर जी महाराज
दिल्ली। परम पूज्य मुनि श्री विशोक सागर जी महाराज ने कहा ज्ञान का फल विनम्रता है विद्या को जन्म देती है वृक्षों पर फल आते हैं तो उसकी शाखाएं झुक जाती हैं मनुष्य में ज्ञान आता है तो विनम्र हो जाता है अगर आज के पढ़े-लिखे लोग विनम्र होने की वजह ज्यादा अकड़ हो रहे इसीलिए स्वाध्याय तो वह है जो भीतर के लिए है ऊपरी ज्ञान अक्सर खतरनाक हो जाता है जब ज्ञान इतना घमंडी बन जाए कि झुकना सके इतना कठोर बन जाए कि रोना सके इतना गंभीर बन जाए कि हंस ना सके तो इतना आत्म केंद्रित बन जाए कि आपने सिवा और किसी की परवाह न करें तो वह ज्ञान अज्ञान से भी खतरनाक है।
प्रतिष्ठा चार्य पुष्पेंद्र शास्त्री ने कहा पंडितों की जीवन में तुम्हें कोई रूपांतरण नहीं दिखेगा उनकी चरिया में जीवन शैली में आचरण आत्मक कोई सुधार नहीं दिखेगा लेकिन उनके मन में भरे हुए हैं वासना और कामना में लगा रहता है उपदेश करते हैं लेकिन दक्षिणा लेते हैं यह तो व्यवसाय है विनिमय है धर्म की चर्या और धन की दृष्टि यह तो बेईमानी है तो पंडित की जीव क्या बोल रहा है यह महत्वपूर्ण नहीं है पंडित का जीवन क्या बोल रहा है यह महत्वपूर्ण है।