उद्योगों पर असर डालने लगा कोयले का संकट, देखें क्या कहा

koila

कोयले का संकट

नई दिल्ली। coal crisis: देश में कोयले का संकट गहराता जा रहा है। महाराष्ट्र और पंजाब समेत कई राज्यों में थर्मल पावर प्लांट की कई यूनिट बंद हो चुकी हैं। इस बीच कोल इंडिया लिमिटेड ने गुरुवार को कहा है कि उसने गैर-बिजली ग्राहकों को कोयले की सप्लाई देना बंद कर दिया है। इसका असर उन कंपनियों पर सीधे तौर पड़ा है, जो गैर-विद्युत कारोबार में लगी हैं। कोल इंडिया ने कहा है कि भारत पिछले कुछ सालों में अपने सबसे खराब बिजली आपूर्ति घाटे में से एक से जूझ रहा है।

coal crisis : न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक दुनिया के चौथे सबसे बड़े भंडार के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक है। कोरोना महामारी के पहले से भी ज्यादा बिजली की मांग में वृद्धि के बाद दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी कोल इंडिया अब पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर पर रहा है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि उसने बिजली क्षेत्र को छोड़कर अन्य सेक्टर्स के लिए कोयले की ऑनलाइन नीलामी रोक दी है।

coal crisis : नीलामी रोकने को लेकर कोल इंडिया ने कहा है कि यह केवल एक अस्थायी प्राथमिकता है, राष्ट्र के हित में पावर प्लांट्स में कोयला के कम स्टॉक की स्थिति से निपटने के लिए और उन्हें आपूर्ति बढ़ाने के लिए हैं। एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने तत्काल पहले जैसी आपूर्ति फिर से शुरू करने की मांग की। इसने कहा कि कोल इंडिया का कदम उद्योग के लिए 'हानिकारकÓ है, जिन्हें बिजली की निर्बाध आपूर्ति की जरूरत है।

एसोसिएशन ने बुधवार को एक बयान में कहा कि दो घंटे से अधिक समय तक बिजली आपूर्ति ठप रहने से कंपनियों को भारी वित्तीय नुकसान हो सकता है। इसने कहा कि कई एल्युमीनियम संयंत्र पहले से ही कम क्षमता पर काम कर रहे हैं क्योंकि उनके कोयले का स्टॉक अप्रैल में लगभग 15 दिनों से घटकर 2-3 दिनों का हो गया है। 
एसोसिएशन ने कहा कि उनके पास स्थायी संचालन जारी रखने के लिए कोई योजना तैयार करने के लिए समय नहीं बचा है। उद्योग की उत्पादन लागत में कोयले का योगदान लगभग 40 फीसदी है। वहीं, देश में कोयला संकट को लेकर कोल इंडिया ने कहा है विदेशों में कोयले की बढ़ी कीमत की वजह से भारतीय कंपनियां स्थानीय कोयले पर निर्भर हो गए हैं।