Terror could not return to Punjab

पंजाब में न लौटने पाए आतंक

पंजाब में न लौटने पाए आतंक

Terror could not return to Punjab

पंजाब को फिर आतंक की आग में झोंकने की खालिस्तानी सोच अब उजागर होने लगी है। 23 दिसंबर को लुधियाना की जिला अदालत परिसर में हुए बम धमाके में विदेशी साजिश ही दिख रही थी और अब जर्मनी में आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस के आतंकी की गिरफ्तारी यह साबित करती है कि पंजाब की शांति क्यों किसी को परेशान कर रही है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिश पंजाब में अशांति फैलाकर इसे भारत के नासूर बनाए रखने की है, और इस साजिश में सहयोगी बन रहे हैं, जोकि खालिस्तान की सोच को कायम रखे हुए हैं और उसे आगे बढ़ा रहे हैं। पंजाब के मुकेरियां के रहने वाले बम विस्फोट के मास्टरमाइंड जसविंदर सिंह मुल्तानी की शह पर लुधियाना में बम विस्फोट करके दहशत फैलाने की कोशिश की गई थी। केंद्र सरकार ने बीते दिनों तीनों कृषि कानून वापस लेकर किसान आंदोलन को खत्म कराया है, इसके लिए केंद्र सरकार की मंशा राजनीतिक समझी गई है, हालांकि यह भी सच है कि केंद्र की सुरक्षा एजेंसियों के पास ऐसे इनपुट हैं, जिनमें किसान आंदोलन के जरिए पंजाब और देश में आतंकी साजिश को अंजाम दिया जाना था। क्या कोई सहज ही यकीन कर सकता है कि जर्मनी में बैठकर कोई एक अदालत में बम विस्फोट करवा रहा है, क्योंकि उसे पंजाब के अंदर माहौल खराब करना है। किसान आंदोलन के दौरान अनेक ऐसे तत्व सक्रिय थे, जोकि विदेश में भी बैठे थे और मिलकर भारत और पंजाब की छवि को खराब कर रहे थे। पंजाब एक संवेदनशील राज्य है, जोकि पाकिस्तान से सटा हुआ है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने यहां बीएसएफ के जांच के दायरे को भी बढ़ाया है। इसे लेकर प्रदेश के राजनीतिकों ने खूब हायतौबा मचाई है, क्या वे राजनीतिक उस खतरे का आभास कर पाते हैं, जोकि आम आदमी की जान लेने पर तुला है।  

ऐसा सामने आ रहा है कि सिख फॉर जस्टिस की ओर से विदेश व पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों को आईएसआई की मदद से एक मंच पर लाने की कोशिश हो रही है। इसके बाद रेफरेंडम 2020 की कॉल दी गई, वहीं पंजाब की पाक सीमा के जरिए विदेश से मॉड्यूल तैयार कर कभी ड्रोन तो कभी अन्य तरीकों से हथियार, हेरोइन व विस्फोटक भेजने शुरू किए। हालांकि बीते वर्ष मार्च में कोरोना की वजह से आतंकी अपने कृत्यों में सफल नहीं हुए, लेकिन अब फिर उनकी ओर से रेफरेंडम 2022 की कॉल दी गई है। इसका भी खुलासा हो रहा है कि लुधियाना बम धमाके का मास्टरमाइंड बहुत पहले से पंजाब विरोधी गतिविधियों में लगा हुआ है, उसने एक किसान नेता की हत्या समेत 3 साजिशें रची हैं। मुल्तानी ने किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल की टारगेट किलिंग के लिए मानसा के एक व्यक्ति को चुना था। इसके अलावा अमृतसर और मोहाली में मुल्तानी पर आतंकी गतिविधियों में पहले से दो केस दर्ज हैं। प्रदेश में पुलिस विभाग के नए मुखिया डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने माना है कि राज्य में आतंकवाद फिर चुनौती बन रहा है। इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को और दुरुस्त किया जा रहा है। डीजीपी ने स्वीकार किया है कि आतंकी गतिविधियों में पड़ोसी देश पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई का हाथ माना जाता है। इस दौरान जहां बीएसएफ ने अपनी सतर्कता बढ़ाई है वहीं पंजाब पुलिस ने भी चौकसी बढ़ा दी है। कहने का अभिप्राय यह है कि पंजाब के अंदर एकाएक आतंकी घटनाओं की शुरुआत नहीं हुई है, अपितु इसकी चिंगारी को भडक़ाने के लिए तमाम आतंकी संगठन सक्रिय हैं। इन लोगों का मोहरा बन रहे हैं, प्रदेश के वे लोग जोकि पैसे के लालच में अपने ही लोगों की जान के लिए बम प्लॉट कर रहे हैं।

पंजाब में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में आतंकी घटनाओं का सिलसिलेवार घटना चिंता की बात है। पंजाब पुलिस के समक्ष इसकी चुनौती है कि वह राज्य के लोगों को सुरक्षित माहौल मुहैया कराए। राज्य में प्रत्येक चुनाव के समय ऐसी वारदातें अंजाम दी जाती हैं, जिनका एकमात्र मकसद माहौल को खराब करना होता है। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान भी मौड़ मंडी में विस्फोट हुआ था, अब लुधियाना में हुए बम विस्फोट की वारदात को भी इसी रूप में देखा जा रहा है। डीजीपी चट्टोपाध्याय का कहना है कि पुलिस लोगों के बीच रहकर काम करेगी और उन्हें सुरक्षित माहौल का अहसास कराएगी। वैसे, यह जरूरी है कि राज्य के लोग भी आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों की पहचान करें और उन्हें पुलिस के सामने जाहिर करें।  पंजाब में इस समय गैंगस्टर कल्चर भी हावी है और युवा नशे की गिरफ्त में भी आ रहे हैं। पाकिस्तान की ओर से नशीले पदार्थों की खेप लगातार जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भेजी जा रही है, जिसे बीएसएफ लगातार पकड़ रही है।

केंद्र की सुरक्षा एजेंसियों में पंजाब पुलिस के लिए यह बेहद आवश्यक है कि राज्य में आतंकी गतिविधियों को पनपने से हर हाल में रोका जाए। किसान आंदोलन को खत्म कराकर केंद्र सरकार ने उचित ही किया है, क्योंकि इसकी आड़ में अनेक आतंकी संगठन पंजाब का माहौल खराब करने का अवसर तलाश चुके थे। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में यह भी मुद्दा बनेगा कि राज्य की सुरक्षा के लिए सत्ताधारी पार्टी ने क्या किया। वहीं उन राजनीतिक दलों को भी जवाब देना होगा जोकि बीएसएफ के दायरे को बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं, बीएसएफ की स्थापना पंजाब के निवासियों की आजादी को खत्म करने नहीं अपितु पंजाब और देश की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए की गई है। ऐसे में राजनीति के लिए नेताओं को दूसरे मुद्दे तलाशने चाहिएं।