विश्वास, भक्ति, आनंन्द’ का प्रतीक - 74वें वार्षिक निरंकारी, संत समागम की तैयारियों का शुभारम्भ
Symbol of 'Faith, Bhakti, Anand'
Symbol of 'Faith, Bhakti, Anand': चण्डीगढ: निरंकारी संत समागम विश्वभर के प्रभु प्रेमियों के लिए खुशियों भरा अवसर होता है जहां मानवता का अनुपम संगम देखने को मिलता है। निरंकारी मिशन आध्यात्मिक जागरूकता द्वारा संपूर्ण विश्व में सत्य, प्रेम एवं एकत्व के संदेश को प्रसारित कर रहा है जिसमें सभी अपनी जाति, धर्म, वर्ण, रंग, भाषा, वेशभूषा एवं खान-पान जैसी भिन्नताओं को भुलाकर, आपसी प्रेम एवं मिलर्वतन की भावना को धारण करते हैं। यह जानकारी श्रीमति राज कुमारी जी मेम्बर इंचार्ज प्रेस एवं पब्लिसिटी विभाग संत निरंकारी मण्डल ने दी।
74वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियां इस वर्ष वर्चुअल रूप में पूर्ण समर्पण भाव एवं सजगता के साथ की जा रही हैं जिसमें संस्कृति एवं संप्रभुता की बहुरंगी छठा इस वर्ष भी वर्चुअल रूप में दर्शायी जायेंगी। यह सभी तैयारियां सरकार द्वारा जारी किये गये कोविड-19 के निर्देशों को ध्यान में रखकर ही की जा रही है। इस वर्ष के समागम की तिथियां 27, 28 एवं 29 नवम्बर, 2021 को निर्धारित की गईं है। इस वर्ष के निरंकारी संत समागम का शीर्षक -‘विश्वास, भक्ति, आनंन्द’ विषय पर आधारित है जिसमें विश्वभर से वक्ता, गीतकार तथा कविजन अपनी प्रेरक एंव भक्तिमय प्रस्तुति व्यक्त करेंगे।
‘विश्वास, भक्ति और आनंद’ आध्यात्मिक जागृति का एक ऐसा अनुपम सूत्र है जिस पर चलकर हम इस परमात्मा का न केवल साक्षात्कार प्राप्त कर सकते है अपितु इससे इकमिक भी हो सकते है। इस सूचना से समस्त साध संगत में जहां हर्षाेल्लास का वातावरण है वहीं सभी भक्तों ने निरंकार की रज़ा में रहकर इसे सहज रूप में स्वीकार भी किया है। संपूर्ण समागम का सीधा प्रसारण ;सपअम जमसमबंेजद्ध मिशन की वेबसाईट पर तथा साधना टी.वी. चैनल के माध्यम द्वारा प्रस्तुत किया जायेगा। मिशन के इतिहास में ऐसा प्रथम बार होने जा रहा है, जब वर्चुअल समागम का सीधा प्रसारण किया जा रहा हो। समागम के तीनों दिन सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज अपने पावन प्रवचनों द्वारा मानवमात्र को आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
इस वर्ष का समागम पूर्णतः वर्चुअल रूप में आयोजित किया जा रहा है, किन्तु इसे जीवन्त स्वरूप देने के लिए मिशन द्वारा दिन-रात अथक प्रयास किये जा रहे हैं ताकि जब इसका प्रसारण किया जाये तब इसकी अनुभूति प्रत्यक्ष समागम जैसी ही हो और सभी इसका आनंद प्राप्त कर सके। यह सब सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के दिव्य मार्गदर्शन द्वारा ही संभव हो पाया है।
जैसा कि सर्व विदित ही है कि मिशन का प्रथम निरंकारी संत समागम सन् 1948 में बाबा अवतार सिंह जी की दिव्य उपस्थिति में हुआ। यद्यपि संत निरंकारी मिशन का आरम्भ बाबा बूटा सिंह जी के निर्देशन में हुआ जिसे गुरमत का रूप देकर बाबा अवतार सिंह जी ने आगे बढ़ाया। निरंकारी संत समागम को व्यवस्थित, सुसज्जित तथा प्रफुल्लित करने का श्रेय युगप्रवर्तक बाबा गुरबचन सिंह जी को जाता है। तदोपरान्त युगदृष्टा बाबा हरदेव सिंह जी ने न केवल समागम को अर्न्तराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया, अपितु ‘एकत्व’ के आधार पर ‘वसुदैव कुटुम्बकम्’ और ‘दीवार रहित संसार’ की सोच के साथ ‘यूनिवर्सल ब्रदरहुड’ की पहचान देकर, संसार को जाति, धर्म, वर्ग, वर्ण, भाषा और देश की विभिन्नताओं से ऊपर ‘अनेकता में एकता’ का दर्शन कराया। वात्सल्य एवं मातृत्व की साक्षात् मूर्ति माता सविन्दर हरदेव जी ने एक नये युग का सृजन किया और ‘युगनिर्माता’ के रूप में प्रकट होकर अपने कर्त्तव्यों को पूर्ण रूप से निभाया। वर्तमान समय में सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज नयी सोच, एकाग्रता और सामुदायिक सामंजस्य की भावना के साथ इसे आगे से आगे बढ़ा रहे हैं।
इस प्रकार ‘निरंकारी संत समागम’ अनेकता में एकता का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है।