Sundernagar and Bhuntar are colder than Shimla

शिमला से ठंडा है सुंदरनगर और भुंतर 

Himachal-Cold

Sundernagar and Bhuntar are colder than Shimla

शिमला। हिमाचल प्रदेश में नवंबर का महीना इस बार बिना बर्फबारी के ही गुजर जाएगा, क्योंकि मौसम विभाग के अनुसार 30 नवंबर तक मौसम साफ व शुष्क रहने की संभावना है. हालांकि, मौसम के ड्राई हाने से अधिकतम व न्यूनतम तापमान में गिरावट आ रही है, जिससे ठंड और बढ़ जाएगी। सबसे कम तापमान किन्नौर के केलांग में -3.5, जबकि अधिकतम तापमान सिरमौर जिला के पांवटा साहिब में 25.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। 

लाहौल स्पीति पुलिस ने जिले में वाहनों चालकों को सलाह दी है कि सुबह और देर रात को सिस्सु से केलांग रोड़ के बीच काफी जगह सडक़ फिसलन भरी है। क्योंकि ठंड से पानी जम रहा है। लोग आपात स्थिति को छोडक़र दिन में ही यात्रा करें. सुबह और रात के समय यात्रा करने से बचें। आपातकालीन और सडक़ की स्थिति के बारे में जानकारी के लिए जिला आपदा नियंत्रण कक्ष के नंबर 9459461355 और कंट्रोल रूम पर 8988092298 संपर्क किया जा सकता है।

लाहौल स्पीति पुलिस के अनुसार, 24 नवंबर को अटल टनल से 5113 वाहन आर पार हुए हैं। लगातार मैदानी इलाकों से टूरिस्ट पहुंच रहे हैं। हिमाचल में हवा काफी साफ है. जबकि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 400 से ज्यादा है। मनाली में एक्यूआई लेवल 50 के करीब है। यहां की हवा काफी साफ है. रोहतांग दर्रा बंद होने से भी सैलानी अब लाहौल और कोकसर की तरफ रुख कर रहे हैं।

कहां है कितना तापमान 

शिमला में अधिकतम तापमान 16.7 डिग्री और न्यूनतम 8.0, मंडी के सुंदरनगर में 23.3 और 2.3, भुंतर में 23.2, 2.5, कल्पा में 15.2, 0.5, धर्मशाला में 19.6 और 8.6, केलांग में 10.9 और -3.5, चंबा में 21.6 व 4.2 और मनाली 15.5 और 1.8 डिग्री दर्ज हुआ है.अहम बात है कि शिमला से ठंडा सुंदरनगर और भुंतर है. कल्पा में भी पारा जीरो डिग्री के करीब पहुंच गया है।


मौसम विभाग की मानें तो मैदानी, निचले, मध्य व उष्ण पर्वतीय क्षेत्र में चार दिनों तक मौसम शुष्क रहेगा. लाहौल-स्पीति सहित प्रदेश के अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में ठंड से झीलें, नदियां और नाले जमना लग गए हैं। लाहौल में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है और तापमान शून्य से नीचे लुढक़कर जमाव बिंदु तक पहुंच गया है। यहां की कई झीलों का पानी जम गया है और नदी-नालों का जलस्तर भी कम हुआ है. लाहौल के अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में मापमान माइनस 10 डिग्री के आसपास है. पानी जमने से सीधा असर विद्युत उत्पादन पर पड़ रहा है।