सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने शिलांग के सिखों के निष्कासन के विरोध में आवाज़ बुलंद की
सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने शिलांग के सिखों के निष्कासन के विरोध में आवाज़ बुलंद की
सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने शिलांग के सिखों के निष्कासन के विरोध में आवाज़ बुलंद की ,केंद्रीय गृह मंत्री और मेघालय के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर रोष प्रकट किया
चंडीगढ़, 10 अक्टूबर:
पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने मेघालय सरकार द्वारा शिलांग में बसने वाले सिखों को उजाडऩे के फ़ैसले का सख़्त विरोध करते हुए उनके हक में आवाज़ बुलंद की है। स. रंधावा द्वारा इस फ़ैसले के खि़लाफ़ केंद्रीय गृह मंत्री और मेघालय के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर रोष ज़ाहिर करने का फ़ैसला किया गया है।
जि़क्रयोग्य है कि दो वर्ष पहले स. रंधावा के नेतृत्व में पंजाब सरकार के प्रतिनिधिमंडल द्वारा शिलांग का दौरा करके वहां बसने वाले सिख समुदाय के सदस्यों को मिलकर भरोसा दिलाया गया था कि उनके विस्थापन के खि़लाफ़ आवाज़ बुलंद की जाएगी।
हाल ही में मेघालय के उप मुख्यमंत्री प्रेस्टन टायन्सॉन्ग के नेतृत्व अधीन बनी उच्च स्तरीय समिति द्वारा सिफारिशों के आधार पर मेघालय कैबिनेट द्वारा थेम ल्यू मालौंग क्षेत्र (पंजाबी लेन) में रहने वाले सिखों को दूसरी जगह बसाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई है।
पंजाब के उप मुख्यमंत्री ने मेघालय सरकार के इस ताज़ा फ़ैसले का सख़्त विरोध करते हुए कहा कि भू-माफिया के दबाव में दशकों से शिलांग में रहने वाले सिखों को विस्थापित करना अन्यायपूर्ण है और पंजाब सरकार इस फ़ैसले का सख़्त विरोध करती है। उन्होंने कहा कि 200 सालों से भी अधिक समय से शिलांग में बसे इन सिखों के नागरिक अधिकारों की किसी भी कीमत पर उल्लंघना नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि भाजपा के गठबंधन वाली मेघालय की एन.डी.ए. सरकार यह फ़ैसला तुरंत वापस ले।
स. रंधावा ने कहा कि एन.डी.ए. सरकार पूरे देश में बसने वाले अल्पसंख्यकों को सुरक्षा का माहौल प्रदान करने में और विश्वास पैदा करने में नाकाम रही है। पूरे देश में अल्पसंख्यक वर्ग असुरक्षित महसूस कर रहा है जिसकी ताज़ा उदाहरण जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश में देखने को मिली हैं। उन्होंने कहा कि यह संविधान की मूल भावना के उलट है जिसमें सबको समान अधिकार मिला है।
जि़क्रयोग्य है कि जून 2019 में स. रंधावा के नेतृत्व में पंजाब सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने शिलांग स्थित गुरू नानक दरबार का भी दौरा किया, जहाँ गुरूद्वारे के प्रधान गुरजीत सिंह ने प्रतिनिधिमंडल को बताया था कि उनको यहाँ से जबरन हटाया जा रहा है।