डायबिटीज रोगियों में आंखों की रौशनी जाने का खतरा

डायबिटीज रोगियों में आंखों की रौशनी जाने का खतरा

डायबिटीज रोगियों में आंखों की रौशनी जाने का खतरा

डायबिटीज रोगियों में आंखों की रौशनी जाने का खतरा

भारत में डायबिटीज के 77 मिलियन से ज्‍यादा रोगी हैं और इसलिए हमारा देश विश्‍व में डायबिटीज की राजधानी के रूप में उभरा है। यही कारण है कि डायबिटीज से होने वाली और रोकथाम के योग्‍य दृष्टिहीनता (विजन खोने) के मामलों में भी तेजी से बढ़त देखी गई है। आंकलन के अनुसार, भारत में लगभग 1.1 करोड़ लोगों को रेटिना के रोग हैं और ज्‍यादा चिंताजनक यह है कि डायबिटीज के हर तीन में से एक मरीज को किसी न किसी स्‍तर की डायबिटिक रेटिनोपैथी है, जो कि डायबिटीज के कारण पैदा होने वाली परेशानी है और आंखों को प्रभावित करती है।

सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्‍स, नई दिल्‍ली के मेडिकल डायरेक्‍टर और चेयरमैन डॉ. महिपाल सचदेव ने कहा, “डायबिटीज के बढ़ते मामलों के साथ यह आंकलन किया गया है कि डायबिटीक रेटिनोपैथी (डीआर) डायबिटीज के 3 में से एक मरीज को प्रभावित करती है और यह कामकाजी उम्र के वयस्‍कों में दृष्टिहीनता का मुख्‍य कारण है। डायबिटीज के कारण होने वाली दृष्टिहीनता को रोकने के लिए जल्‍दी डायग्‍नोसिस और सही समय पर इलाज सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण हैं, खासकर युवाओं के लिए।” जुवेनाइल डायबिटीज (टाइप 1 डायबिटीज) से पीड़ित युवा आबादी डायबिटिक रेटिनोपैथी को लेकर संवेदनशील है, खासकर यदि उन्‍हें 10 साल से ज्‍यादा समय से डायबिटीज है। टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में भी दृष्टि खोने के जोखिम हैं, जिसका कारण डायबिटीज से होने वाले रेटिना के रोग हैं। उन्‍होंने आगे कहा, “महामारी के साथ बीते डेढ़ साल में स्थिति विशेष रूप से खराब हुई है। डायबिटीज के मरीजों को लंबे समय तक अपनी सेहत दुरुस्‍त बनाए रखने के लिये समय-समय पर चेक-अप कराना जरूरी है।”

डीएमई, डायबिटिक रेटिनोपैथी का सबसे आम रूप है, जो तब होता है, जब क्षतिग्रस्‍त रक्‍तवाहिकाएं सूज जाती हैं और रेटिना के मैक्‍युला में प्रवाह होता है। इससे सामान्‍य दृष्टि में दिखाई देने की समस्‍याएं पैदा होती हैं। चिकित्‍सा में हुई प्रगतियों ने उपचारों को आसान और प्रभावी बनाया है, लेकिन रोग का पता चलने में देरी के कारण डायबिटिक रेटिनोपैथी के मामलों का प्रतिशत बढ़ रहा है। विशेषज्ञों की राय में, व्‍यवस्थित जांच की पहुंच सर्वव्‍यापी बनाने में अनुपालन का अभाव उसे सीमित करने वाला प्रमुख कारक है; एक हालिया रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि डायबिटीज के लगभग 70% मरीजों ने कभी डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिये अपनी आंखों की जांच नहीं करवाई।

डायबिटिक रेटिनोपैथी का पता चलने के बाद, उपचार का अनुपालन और स्‍वस्‍थ जीवनशैली अपनाना महत्‍वपूर्ण है, ताकि डायबिटीज पर प्रभावी नियंत्रण हो सके और आँखों की बीमारियों की शुरूआत या प्रगति को रोका जा सके।