काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण की तैयारी तेज, गंगा किनारे से जलेगी 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' की ज्योत
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण की तैयारी तेज, गंगा किनारे से जलेगी 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' की ज्य
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 'विकास की गंगा' का संदेश दे रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अब गंगा किनारे से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अलख भी जगाने जा रही है। अयोध्या में मंदिर निर्माण से उत्साहित भाजपा चाहती है कि 'बम-बम काशी' की गूंज भी प्रदेशभर में गूंजे। इसके लिए संगठन ने कमर कस ली है। श्री काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर के लोकार्पण समारोह से मठ-मंदिर, संत-महंतों को जोड़ने के साथ ही गांव-गांव इसका सीधा प्रसारण कराया जाएगा। तीन दिन के दीपोत्सव में उत्तर प्रदेश में कितने दीप झिलमिलाते हैं, वह भी आगे की राजनीतिक राह पर कुछ प्रकाश डालेंगे।
उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालते ही योगी सरकार ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को अपनी प्राथमिकता में रखा। अयोध्या में मंदिर निर्माण के साथ वहां का विकास बड़ा संकल्प था तो मथुरा-वृंदावन, चित्रकूट, प्रयागराज, नैमिषारण्य आदि धार्मिक नगरियों में भी विकास कार्य कराए गए। वहां पर्व-त्योहार उल्लास के साथ मनाए गए। नए तीर्थ स्थल घोषित किए। अब जब विधानसभा चुनाव नजदीक है तो इसका संदेश भाजपा जन-जन तक पहुंचाना भी चाहती है। यही वजह है कि वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कारिडोर के लोकार्पण के सरकारी कार्यक्रम के साथ पार्टी संगठन ने अपने भी कार्यक्रम बना लिए हैं।
13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कारिडोर का लोकार्पण करेंगे तो स्क्रीन से प्रदेश के हर गांव और मठ-मंदिर में उसे दिखने का बीड़ा भाजपा ने ले रखा है। विस्तृत ब्योरा गत दिवस प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने रखा भी। उन्होंने बताया कि जहां भी कार्यक्रम दिखाया जाएगा, वहां साधु-संत, आम जनता के बीच पार्टी के कार्यकर्ता भी होंगे। वह काशी विश्वनाथ धाम पर आधारित साहित्य बांटेंगे। साथ ही सरकार के कामकाज पर चर्चा भी करेंगे।
यही नहीं, तीन दिन का दीपोत्सव भाजपा संगठन का अहम कार्यक्रम होगा। 13, 14 और 15 दिसंबर को शिव दीपोत्सव का आयोजन प्रदेश के हर जिले में कराया जाना है।
भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी गई है कि हर घर तक दीप पहुंचाएं, ताकि आस्था के इस महत्वपूर्ण आयोजन से उत्त प्रदेश के सभी नागरिक जुड़ सकें और योगी आदित्यनाथ सरकार में धर्म नगरी में हुए विकास को महसूस कर सकें। संगठन की नजर इन दीपकों पर होगी। तीन दिन जलने वाले दीप यह संदेश भी देंगे कि भाजपा अपना संदेश पहुंचाने में कितना सफल रही। उससे यह भी अंदाजा लगाया जा सकेगा कि विकास के तमाम दावों के साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की यह लहर आगामी चुनाव में भाजपा की नैया पार लगाने में कितनी सहायक साबित होती है।