पेट्रोल वा डीजल की कीमतें बढ़ाई ज्यादा और घटाई कम?

पेट्रोल वा डीजल की कीमतें बढ़ाई ज्यादा और घटाई कम?

पेट्रोल वा डीजल की कीमतें बढ़ाई ज्यादा और घटाई कम?

पेट्रोल वा डीजल की कीमतें बढ़ाई ज्यादा और घटाई कम?

 ( अर्थ प्रकाश / बोम्मा रेडड्डी ) अमरावती  ::  ( आंध्रा )  पब्लिक एफायर वा शासकीय सलाहकार सज्जला रामकृष्ण रेड्डी ने यहां पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य से ईंधन की कीमतों में कमी की मांग करना उचित नहीं है क्योंकि यह केंद्र था जिसने पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ाई थीं बहुत ज्यादा और घटाई बहुत कम ऐसा क्यों ?

 वाई.एस.आर.सी.पी. सरकार लोगों के बीच गलत धारणा को फैलने से रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को उजागर कर रही है उन्होंने कहा की विपक्षी दल पेट्रोल और बिजली के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण प्रचार कर रहे हैं जबकि चंद्रबाबू नायडू ने राज्य को लूटा परन्तु वर्तमान सरकार पारदर्शी उपायों के साथ आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है जिसके परिणामस्वरूप आम लोगों की जेबें जल गईं और केंद्र सरकार के विभिन्न सेस और सरचार्ज के माध्यम से सालाना 3,35,000 करोड़ रुपये से अधिक आय प्राप्त हो रहे हैं।
उत्पाद शुल्क केवल 47,500 करोड़ रुपये है जिसमें से 19,475 करोड़ रुपये राज्यों को जाते हैं और शेष 3,15,525 करोड़ रुपये सीधे केंद्र को सौंपा जाता हैं।
भाजपा नेताओं की आलोचना करते उन्होंने कहा की राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले और लोगों को गुमराह करने की कोशिश करने के लिए एक दुर्भावनापूर्ण षड्यंत्र रचा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने पहले ही ईंधन की कीमतों से संबंधित एक सार्वजनिक बयान दिया था कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि के लिए केंद्र जिम्मेदार है इसलिए इसे कम करने की जिम्मेदारी केंद्र की है।
सज्जला ने कहा कि केंद्र सरकार सड़कों और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए प्रति वर्ष 1,98,000 करोड़ रुपये एकत्र कर रही है और इसी तरह राज्य सरकार उन सड़कों की मरम्मत के लिए 1 रुपये एकत्र कर रही है जिसका विरोध ते.दे.पा. शासन के दौरान गहरी उपेक्षा से की गई थी।
इस संबंध में उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा लिया गया ऋण 2014-15 से 2020-21 तक 57,94,533 करोड़ रुपये से बढ़कर 116,21,780 करोड़ रुपये हो गया है जो कि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 60 प्रतिशत है।
भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) से सौर ऊर्जा खरीद के विषय में सज्जला ने विपक्षी नेताओं की आलोचना की ते.दे.पा. शासन के दौरान 7 रुपये प्रति यूनिट की दर से सौर ऊर्जा और 5 रुपये प्रति यूनिट की पवन ऊर्जा खरीदा गया जबकि पूरे देश में अतिरिक्त बिजली थी। 
उन्होंने कहा कि एसईसीआई से क्रय शक्ति की लागत 2.49 रुपये प्रति यूनिट होगी जो कि आंध्र प्रदेश ग्रीन एनर्जी कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एपीजीईसीएल) द्वारा स्थापित की जाने वाली प्रस्तावित परियोजनाओं की तुलना में राज्य के लिए एक बेहतर एवं प्रभावी विकल्प है। 
उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश सीमावर्ती राज्य तमिलनाडु की तुलना में सस्ती दर पर बिजली खरीदेगा जिसने 2.69 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी और कहा कि अगले 25 वर्षों के लिए दिन में नौ घंटे मुफ्त कृषि बिजली उपलब्ध कराना अधिक किफायती होगा। 
उन्होंने कहा कि सौर संयंत्र के लिए स्वीकृत भूमि का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है और इस पहल से राज्य की ओर से बुनियादी ढांचे की लागत को बचाया जा सकेगा।