People chose to change

जनता ने चुन लिया बदलाव को

जनता ने चुन लिया बदलाव को

People chose to change

चंडीगढ़ की जनता ने नगर निगम चुनाव में बदलाव को चुना है। यह बदलाव शहर के मुद्दों की अनदेखी, देश में महंगाई और अन्य मामलों के समाधान के लिए एक नए राजनीतिक दल पर विश्वास जताने का है। आम आदमी पार्टी ने पहली बार निगम चुनाव में हिस्सा लिया था, लेकिन कुल 35 सीटों में पार्टी ने 14 अपने उम्मीदवार निर्वाचित करवा कर जहां शहर की राजनीति में धमक कायम कर दी है, वहीं नगर निगम में अपने मेयर के लिए भी दावा पेश कर दिया है। पार्टी के पार्षदों को अब अपने वादे और इरादे साबित करने होंगे। इस बार के चुनाव में भाजपा 12 सीट जीत कर दूसरे नंबर पर रही है, वहीं कांग्रेस को 8 और शिअद के खाते में एक सीट गई है। निगम चुनाव में ज्यादातर पुराने चेहरे हार गए और राजनीति में पहली बार कदम रखने वाले युवाओं को जनता ने चुना है। चंडीगढ़ बौद्धिक सोच का शहर है, यहां जो सोचा जाता है, उसका असर आसपास के राज्यों ही नहीं अपितु देशभर में देखने को मिलता है। पंजाब समेत पांच राज्यों में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में इन चुनावों को संकेत समझा जाएगा। पंजाब की राजनीति तो चंडीगढ़ से ही चलती है, ऐसे में चंडीगढ़ में जीत का दावा करने वाली कांग्रेस के लिए पंजाब में अब रणनीति बदलने की जरूरत होगी।  

   निगम चुनाव में इस बार जनता का मन बाकी राजनीतिक दल पहले ही भांप चुके थे। बावजूद इसके अपनी-अपनी जीत के दावे किए जाते रहे, लेकिन टिकट देने में जैसे अपनी-अपनी पसंद के चेहरे देखे गए, उसकी वजह से भी गलत संदेश गया। कांग्रेस में टिकट देने में परिवारवाद के आरोप मुखरता से लगे। यही हालात भाजपा में भी रहे। पार्टी में केंद्रीय नेतृत्व एकता का दावा करता है, लेकिन चंडीगढ़ में ही अनेक गुट बने हुए हैं, जोकि दूसरे को पछाड़ने में लगे रहते हैं। कोरोना लॉकडाउन की वजह से पैदा हुआ आर्थिक संकट, महंगाई और चंडीगढ़ में सफाई व्यवस्था के बुरी तरह खराब होने को भी मतदाता ने बखूबी समझा है। शहर में पार्किंग का मुद्दा बहुत बड़ा बन चुका है, नगर निगम पार्किंग के ठेके देता है लेकिन पार्किंग में न जगह मिलती है और न ही सुविधाएं। सडक़ों की हालत खराब है, नगर निगम के ओहदेदारों ने न अपने से जुड़े मुद्दों को दुरुस्त कराने की कोशिश की है और न ही प्रशासन के हिस्से के काम के लिए कहा। कभी भाजपा, कभी कांग्रेस के मेयर देख चुकी शहर की जनता ने दोनों राजनीतिक दलों को सबक सीखाया है, हालांकि बावजूद इसके भाजपा को 12 सीटें मिलना यह बताता है कि उसकी उम्मीदें खत्म नहीं हुई हैं, ऐसा केंद्रीय नेतृत्व की वजह से है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव में किरण खेर के प्रचार के लिए चंडीगढ़ आए थे तो उन्होंने चंडीगढ़ की चिंता उन पर छोडऩे की जनता से गुजारिश की थी। अब चंडीगढ़ के परिणामों पर उनकी भी नजर होगी, उनकी ओर से यह पूछा भी जाएगा कि आखिर पार्टी को ऐसी नाउम्मीदी क्यों मिली।

   बहरहाल, आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार बनने के बाद किसी अन्य राज्य, प्रदेश में यह पहली शानदार जीत है। पंजाब में बीते विधानसभा चुनाव में आप ने जीत हासिल की थी, लेकिन पांच वर्ष पूरे होते-होते पार्टी के ज्यादातर विधायक बिखर गए। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव को एक राज्य के विधानसभा चुनाव की भांति ही लिया। उनकी ओर से शहर में अनेक घोषणाएं की गईं। आप ने शहर में हर महीने 20 हजार लीटर फ्री पानी देने, पेड पार्किंग हटाने, कर्मचारियों को रेगुलर करने, चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के घरों में हुए अतिरिक्त निर्माण को रेगुलराइज करवाने का वादा किया है। यह सभी मुद्दे शहर के लिए हमेशा से परेशानी का सबब रहे हैं, भाजपा और कांग्रेस की ओर से अपने घोषणा पत्रों में इनके समाधान का बार-बार वादा किया गया है, लेकिन कुछ नहीं हुआ। हाउसिंग बोर्ड के मकानों का मामला तो केंद्र सरकार से सुलझेगा बावजूद इसके भाजपा निगम में काबिज रह कर भी इसका समाधान नहीं करवा पाई।

   बेशक, एक निकाय चुनाव और विधानसभा चुनाव में अंतर है, चंडीगढ़ के लोग वोट देते वक्त यह भी देखते हैं कि देश कौन चला सकता है और शहर किस के हवाले किया जा सकता है। आम आदमी पार्टी का दिल्ली में रिकॉर्ड है कि वह काम करते दिखती है। उसकी घोषणाएं लुभावनी नजर आती हैं, लेकिन जनता को सिर्फ अपनी सहुलियत से मतलब है, यह राजनीतिकों का काम है कि वे कैसे उन्हें प्रदान कराते हैं। हालांकि आप की कामयाबी को तब और बड़ा माना जा सकता था, जब उसे 18 या इससे ज्यादा सीटें हासिल होती। सर्वाधिक सीटें पार्टी ने जरूर जीती हैं, लेकिन अब उसे अपना मेयर बनाने के लिए 4 और पार्षदों का समर्थन चाहिए होगा। यह 4 पार्षद कांग्रेस के होंगे या भाजपा के, यह जानना दिलचस्प होगा। मेयर के चुनाव में पहले भी खरीद-फरोख्त होती रही है, लेकिन इस बार यह काफी खुलकर हो सकती है। पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति पुख्ता करने में जुटी आप के लिए चंडीगढ़ में अपना मेयर होना उसकी सफलता का आगाज होगा, लेकिन इस कुर्सी को पाने के लिए भाजपा और कांग्रेस भी अपनी जुगत लगाएंगी। बहरहाल, कहना होगा कि चंडीगढ़ ने बदलाव को चुना है, लेकिन जिन्हें चुना है, अब उनकी जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है।