हरियाणा में अब सरकारी कर्मचारी ले सकेंगे आरएसएस की गतिविधियों में भाग
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हरियाणा में अब सरकारी कर्मचारी ले सकेंगे आरएसएस की गतिविधियों में भाग

हरियाणा में अब सरकारी कर्मचारी ले सकेंगे आरएसएस की गतिविधियों में भाग

हरियाणा में अब सरकारी कर्मचारी ले सकेंगे आरएसएस की गतिविधियों में भाग

 चण्डीगढ़। हरियाणा सरकार के सरकारी कर्मचारी अब से बिना किसी आधिकारिक अवरोध के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में भाग ले सकेंगे। प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव के अधीन आने वाले सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सोमवार 11 अक्तूबर को जारी एक सर्कुलर पत्र द्वारा वर्षों पहले सरकारी हिदायतों, जिनके द्वारा इस पर प्रतिबन्ध वापस ले लिया गया है। अब ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं होगा। 

अप्रैल, 1980 में तत्कालीन सरकार ने निर्देश जारी किए थे कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। यह निर्देश अब तक लागू थे। पत्र में उल्लेख है कि हरियाणा सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारी आचरण ) नियम, 2016 के नियम संख्या 9 और 10 की ही सरकारी अनुपालना सुनिश्चित की जाए। आरएसएस प्रतिबंधित संगठन नहीं है। वर्तमान में आरएसएस की सदस्य संख्या देश में कई लाखों में है। विशेष तौर पर बीते 7 वर्षो में यानी जब से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से लाखों लोग विशेषकर युवा वर्ग इस सामाजिक एवं राष्ट्रवादी संगठन के साथ जुड़े हैं। हरियाणा में भी 7 वर्ष पूर्व अक्टूबर, 2014 में भाजपा अपने दम पर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई एवं मनोहर लाल के रूप में पूर्व आरएसएस स्वयंसेवक को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। 

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि उन्हें 2 अप्रैल 1980 को तत्कालीन प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक सरकारी पत्र मिला, जिसमें कर्मचारियों द्वारा आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश को जारी रखने का निर्देश दिया गया था। हेमंत ने बताया कि सर्वप्रथम 11 जनवरी, 1967 को तत्कालीन हरियाणा सरकार द्वारा जारी एक पत्र में राज्य के सरकारी कर्मचारियों द्वारा आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने को प्रतिबंधित किया गया था। राज्य सरकार ने पंजाब सरकारी कर्मचारी (आचार) नियमावली, 1966 (तब हरियाणा पर भी लागू) के नियम 5 (1) के तहत आरएसएस को एक राजनीतिक संगठन माना था। इसकी गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचारियों के विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए थे। 4 मार्च, 1970 को एक अन्य सरकारी आदेश जारी कर तत्कालीन हरियाणा सरकार ने उक्त कार्यवाही करने पर रोक लगा दी गयी। क्योंकि तब एक सम्बंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था। 

 2 अप्रैल, 1980 को जारी एक अन्य सरकारी पत्र में स्पष्ट किया गया कि सुप्रीम कोर्ट में एक सम्बंधित मामले के लंबित होने के बावजूद हरियाणा में आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने में कोई रोक नहीं होगी। हेमंत ने बताया कि वो हैरान हुए कि वर्ष 1980 के पश्चात भाजपा कई बार सहयोगी दल के रूप में हरियाणा की गठबंधन सरकारों में सत्ता में रही। वर्ष 1987 -89 में देवी लाल-चौटाला सरकार दौरान सरकार में, फिर 1996-99 दौरान बंसी लाल सरकार में और फिर 1999-2004 तक फिर चौटाला सरकार में। इसके बावजूद भी आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने सम्बन्धी प्रतिबन्ध को नहीं हटवाया जा सका। 

इस सम्बन्ध में हेमंत ने अढ़ाई वर्ष पूर्व 5 मार्च 2019 को हरियाणा के मुख्य सचिव कार्यालय के सामान्य प्रशासन विभाग में एक आरटीआई याचिका दायर कर दो बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी। पहले बिंदु के जवाब में उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा वर्ष 1967 , 1970 और 1980 में जारी सरकारी पत्रों की प्रतियां प्रदान की गई। इसके साथ-साथ हरियाणा सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारी आचरण ) नियम का भी हवाला दिया गया था। इसके अलावा 2 अप्रैल 1980 के जारी उक्त सरकारी पत्र में बारे में यह सूचना दी गयी कि आज तक उसे वापिस नहीं लिया गया। हेमंत ने इस सम्बन्ध में कई बार हरियाणा के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, आरएसएस सरसंघचालक (प्रमुख) मोहन भागवत आदि को लिखा था। जिस पर अब जाकर कार्यवाही की गई है।