चंडीगढ़ में किसी भी दल के पास नहीं बहुमत
चंडीगढ़ में किसी भी दल के पास नहीं बहुमत
अब चलेगी जोड़तोड़ की राजनीति
पंजाब के चुनाव पर पड़ेगा असर
चंडीगढ़। चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। जिसके चलते अब जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। देश की राजधानी दिल्ली के बाद पंजाब व हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी ने भाजपा का विजय रथ रोका है। जिसके कई मायने हैं। पंजाब में किसी भी समय चुनाव का ऐलान हो सकता है और आम आदमी पार्टी वहां विपक्ष में है।
चंडीगढ़ नगर निगम में सरकार बनाने के लिए कुल 35 में से 18 सीटों की जरूरत है। भाजपा के पास इस समय 12 पार्षद हैं। एक वोट सांसद किरण खेर की मानी जाएगी। ऐसे में आम आदमी पार्टी के पास 14 तो भाजपा के पास 13 पार्षद हैं। अकाली दल के एक मात्र पार्षद भाजपा के साथ गठबंधन के समय में यहां के डिप्टी मेयर रह चुके हैं। ऐसे में वह भी भाजपा को समर्थन कर सकते हैं।
आठ पार्षदों वाली कांग्रेस अगर सरकार बनाने के लिए आम आदमी पार्टी को बाहरी समर्थन देती है तो इसका असर पंजाब के चुनाव पर होगा। पंजाब में कांग्रेस व आप एक-दूसरे के विरोध में हैं। त्रिशंकु निगम के सत्ता में आने के बाद अब जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। अल्पमत की निगम के सत्ता में आने के बाद पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार ने भी कानूनी राय मांग ली है।
चंडीगढ़ निगम नियमावली के अनुसार यहां मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है। यहां सामान्यत मेयर का कार्यकाल एक जनवरी से 31 दिसंबर तक होता है। इस बार अल्पमत होने के चलते मेयर चुनाव में कई तरह की तकनीकी दिक्कतें आ सकती है।