कंगना पर नवाब मलिक का निशाना : एक्ट्रेस से पद्मश्री वापस लिया जाए
मुंबई। Nawab Malik's target on Kangana : बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनोट के देश की आजादी को लेकर दिए गए बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने अपनी डेली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कंगना पर निशाना साधा।
मलिक ने एक्ट्रेस से पद्मश्री पुरस्कार वापस लेकर उनके खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है। मलिक ने कहा कि कंगना ने उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान किया है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दी। मलिक ने कहा कि उन्हें लगता है कि कंगना मलाना क्रीम (हिमाचली ड्रग) का ओवरडोज लेकर बयानबाजी कर रही हैं।
मलिक ने कहा कि भाजपा वाले कहते हैं कि वे नवाब मलिक का वक्फ बोर्ड का घोटाला उजागर करेंगे। ऐसी खबर फैलाई गई कि मेरे नियंत्रण में आने वाले वक्फ बोर्ड के कार्यालयों पर छापे पड़े हैं। मैं मांग करता हूं कि क्लीनअप ड्राइव शुरू कर दी जाए, जो भी मंदिर-मस्जिद और दरगाह की जमीन महाराष्ट्र में हड़पी गई हैं, उसे सामने लाया जाए। भाजपा के एक पूर्व मंत्री ने मंदिर की सैकड़ों एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है। पूर्व मंत्री ने यह जमीन कैसे हड़पी, हम भी इसका भंडाफोड़ करेंगे।
पुणे में एंडोमेंट आबू ट्रस्ट है, जिसकी जमीन एमआईडीसी ने जारी की थी। झूठे कागजात बनाकर लोगों ने सरकारी दफ्तर से पैसा निकाला था। इस केस में 5 लोगों की गिरफ्तारी हुई और पुलिस की जांच चल रही है। 7 मामलों में केस दर्ज किया गया है, एक डिप्टी कलेक्टर की भी गिरफ्तारी हुई है।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मलाना घाटी से आने वाली चरस या हैश को मलाणा क्रीम कहते हैं। चरस, जिसे हिमाचल प्रदेश के लोग भांग भी कहते हैं, उसे कैनाबिस पौधे के रेसिन से निकाला जाता है। यह पौधा घाटी में प्राकृतिक तरीके से उगता है और यहां इसकी अवैध खेती भी की जाती है। इस घाटी में एक अकेला गांव है- मलाना। यहां पर कैनबिस पौधे से निकाले जाने वाला रेसिन क्रीम या चिकनी मिट्टी जैसा होता है, इसलिए इसे मलाना क्रीम कहते हैं। राज्य के अन्य हिस्सों में मिलने वाली चरस ऐसी नहीं होती है।
एक नेशनल मीडिया नेटवर्क की वार्षिक शिखर समिट में कंगना गेस्ट स्पीकर थीं। इस दौरान उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में सावरकर, लक्ष्मीबाई और नेताजी बोस को याद करते हुए कहा ज् ये लोग जानते थे कि खून बहेगा, लेकिन यह हिंदुस्तानी खून नहीं होना चाहिए। वे इसे जानते थे। बेशक, उन्हें एक पुरस्कार दिया जाना चाहिए। वह आजादी नहीं थी, वो भीख थी। हमें 2014 में असली आजादी मिली है।