MSME लोन गारंटी स्कीम से 1.5 करोड़ नौकरियां बचीं, 13.5 लाख कंपनियों पर दिवालिया होने का खतरा टला
MSME लोन गारंटी स्कीम से 1.5 करोड़ नौकरियां बचीं, 13.5 लाख कंपनियों पर दिवालिया होने का खतरा टला
नई दिल्ली। कोरोना संकट के पहले चरण में एमएसएमई के लिए लाई गई इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) से करीब डेढ़ करोड़ लोगों की नौकरियां बच गई। एसबीआइ रिसर्च ने एक अध्ययन रिपोर्ट में यह बात कही है। रिसर्च का कहना है कि ईसीएलजीएस ने करीब 13.5 लाख छोटी कंपनियों को भी डूबने से बचा लिया। कुल मिलाकर कहें तो ईसीएलजीएस ने कम से कम छह करोड़ परिवारों की जिंदगी बचाई हैं। केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु व मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) के लिए वर्ष 2020 में यह योजना लांच की थी।मई, 2020 में केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये की योजनाएं लांच की थीं। इसका उद्देश्य कोरोना संकट के दौरान लगाए गए लाकडाउन से प्रभावित उद्योगों को बचाना और उन्हें दबाव-मुक्त करना था। ईसीएलजीएस इसी अभियान के एक हिस्से के तौर पर पेश की गई थी।
एसबीआइ रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हमारे अनुमानों के हिसाब से ईसीएलजीएस के चलते करीब 13.5 लाख एमएमई कंपनियां डूबने से बच गई। इनमें वे कंपनियां भी शामिल हैं जिनके कर्ज का पुनर्गठन किया गया है। ईसीएलजीएस की मदद से बचाई गई कंपनियों में 93.7 प्रतिशत कंपनियां सूक्ष्म व लघु आकार की हैं।एसबीआइ रिसर्च के अनुसार रुपये की गणना में कहें तो ईसीएलजीएस की मदद से करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को फंसे कर्ज (एनपीए) में फिसलने से रोका जा सका। यह एमएसएमई उद्योग के कुल कर्ज का करीब 14 प्रतिशत है। रिपोर्ट ने कहा कि अगर यह कर्ज एनपीए में चला जाता तो कम से कम डेढ़ करोड़ लोगों की नौकरी जा सकती थी।
एसबीआइ रिसर्च के अनुसार ईसीएलजीएस का सबसे अधिक लाभ गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश को मिला।रिपोर्ट में एक दिलचस्प बात यह कही गई है कि क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फार माइक्रो एंड स्माल इंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) को नए सिरे से आगे बढ़ाने की जरूरत है। इसकी वजह यह है कि सीजीटीएमएसई की रिकवरी दर 55 प्रतिशत से अधिक है और इसके तहत पूंजी की जरूरत भी कम है। इसके बावजूद यह उत्पाद प्रचलित नहीं हो सका है। दूसरी तरफ नान-सीजीटीएमएसई की रिकवरी दर 25 प्रतिशत से भी कम है, लेकिन यह अधिक प्रचलित उत्पाद है। सीजीटीएमएसई को लांच हुए दो दशक से अधिक हो गए हैं, फिर भी इसकी लोन कवरेज 10 प्रतिशत से भी कम है। इसकी मुख्य वजह यह है कि सीजीटीएमएसई में कई तरह की जटिलताएं हैं।
यह है ईसीएलजीएसमई, 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में ईसीएलजीएस की घोषणा की थी। इसके तहत एमएसएमई को बिना किसी गारंटी के लोन दिया गया। इस लोन स्कीम की अवधि लगातार बढ़ती रही और बाद में लोन वितरण राशि सीमा को 3.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4.5 लाख करोड़ कर दिया गया। पिछले वर्ष इस स्कीम के तहत सर्विस सेक्टर और प्रोफेशनल्स को भी लोन देने की शुरुआत की गई। पिछले साल 21 नवंबर तक इस स्कीम के तहत 2.9 लाख करोड़ रुपये के लोन की मंजूरी दी जा चुकी थी।
इन उद्योगों ने लिया फायदारिपोर्ट के मुताबिक ईसीएलजी स्कीम का सबसे अधिक फायदा छोटे किराना दुकानदारों ने लिया। उसके बाद खाद्य प्रसंस्करण, टेक्सटाइल व व्यावसायिक रियल एस्टेट सेक्टर ने इस स्कीम के तहत लोन लिए।
बात पते की- 9.5 लाख करोड़ रुपये के लोन दिए गए वित्त वर्ष 2020-21 में देश भर में एमएसएमई को - 6.8 लाख करोड़ रुपये के लोन दिए गए थे वित्त वर्ष 2019-20 में में इन कंपनियों को