जनसरोकार रैली नहीं ये जेजेपी की विश्वासघात रैली थी – दीपेन्द्र हुड्डा

जनसरोकार रैली नहीं ये जेजेपी की विश्वासघात रैली थी – दीपेन्द्र हुड्डा

जनसरोकार रैली नहीं ये जेजेपी की विश्वासघात रैली थी – दीपेन्द्र हुड्डा

जनसरोकार रैली नहीं ये जेजेपी की विश्वासघात रैली थी – दीपेन्द्र हुड्डा

•    फ्लॉप शो साबित हुई जेजेपी की रैली - दीपेंद्र हुड्डा

•    वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के निधन से पूरा देश शोक में है, जेजेपी को सेना के सम्मान में रैली कैंसिल कर देनी चाहिए थी- दीपेंद्र हुड्डा 

•    चुनाव प्रचार में जिनको भेजते थे यमुनापार, उन्हीं के साथ मिलकर बना ली सरकार - दीपेंद्र हुड्डा

•    अगर जेजेपी नेता जनता को दी गयी अपनी जबान पर खरे उतरते तो प्रदेश में आज बीजेपी की सरकार नहीं होती - दीपेंद्र हुड्डा

•    जनभावनाओं का अनादर करके सत्ता की मलाई खाने वालों को अगले चुनाव में नहीं बख्शेंगे लोग - दीपेंद्र हुड्डा

झज्जर, 9 दिसंबर। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने जेजेपी की जनसरोकार रैली को फ्लॉप-शो बताते हुए कहा कि ये जनसरोकार नहीं बल्कि विश्वासघात रैली थी। क्योंकि, जेजेपी ने हरियाणा की जनता के साथ विश्वासघात किया है। अगर जेजेपी नेता जनता को दी गयी अपनी जबान पर खरे उतरते तो प्रदेश में आज बीजेपी की सरकार नहीं होती। उन्होंने तंज कसा कि चुनाव प्रचार में जिनको भेजते थे यमुनापार, उन्हीं के साथ मिलकर बना ली सरकार।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सेना के अन्य उच्च अधिकारियों की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुई शहादत से पूरे देश में शोक की लहर है। अभी तो सीडीएस जनरल बिपिन रावत और अन्य सैन्य अधिकारियों का अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ था। ऐसे समय में कम से कम देश की सेना के सम्मान में जेजेपी को रैली कैंसिल कर देनी चाहिए थी। जैसे चौ. देवीलाल के निधन के बाद हुड्डा साहब ने पानीपत की रैली कैंसिल कर दी थी। उस समय पानीपत में कार्यकर्ताओं के लिये लाखों लोगों के बैठने के लिए विशाल शामियाना लगाया था। कार्यकर्ताओं ने हज़ारों वाहनों की एडवांस बुकिंग करा रखी थी, लेकिन देवीलाल के निधन के कारण हुड्डा साहब ने रैली रद्द करने का फैसला किया था।  

उन्होंने कहा कि अगर जजपा नेताओं में जरा भी नैतिकता बची है तो जेजेपी के सभी 10 विधायकों को इस्तीफा देकर दोबारा लोगों का विश्वास हासिल करने चुनाव में जाना चाहिए। इसके बाद वे यदि चुनाव जीत जाते हैं तो फिर भले ही भाजपा को समर्थन देकर सरकार में शामिल हों। इसमें किसी को कोई ऐतराज नहीं होगा। जेजेपी को न तो जनसरोकार से मतलब है न ही हरियाणा की जनता से कोई मतलब है। उन्हें तो सिर्फ सत्ता की मलाई खाने से मतलब है। जनभावनाओं का अनादर करके सत्ता की मलाई खाने वालों को लोग अगले चुनाव में नहीं बख्शेंगे।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि राजनैतिक पतन का इससे बड़ा उदाहरण संभवतः किसी ने नहीं देखा होगा। भाजपा को यमुनापार भगाने का विश्वास देकर जेजेपी ने हरियाणा की जनता से वोट बटोरे, लेकिन यमुना पार भगाने की जगह खुद भाजपा की गोद में जा बैठे और जनादेश का सौदा कर लिया। जेजेपी ने हर कदम पर जनता के विश्वास को ठगा है। कुर्सी के लालच में जनादेश को सरे बाजार नीलाम किया है। जेजेपी की इस दगाबाजी को हरियाणा का मतदाता कभी नहीं भूलेगा और समय आने पर इसका सूद समेत हिसाब करेगा।