चीनी ड्रैगन को टक्कर देगा भारत का 'अग्निबाण', जानें किसकी मिसाइल में कितना दम
चीनी ड्रैगन को टक्कर देगा भारत का 'अग्निबाण', जानें किसकी मिसाइल में कितना दम
नई दिल्ली। नई दिल्ली और बीजिंग के बढ़ते तनाव के बीच भारत ने अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण करके अपनी क्षमता से सबको चौंका दिया है। भारत की अग्नि-5 मिसाइल से आखिर क्यों चिंतित हुआ चीन। ड्रैगन की चिंता की क्या है बड़ी वजह ? इस मिसाइल से भारत की सैन्य क्षमता पर क्या होगा असर ? आखिर इस मिसाइल को भारत का अग्निबाण क्यों कहा जा रहा है ? क्या है इसकी मारक क्षमता ? इसके साथ यह भी जानेंगे कि चीन की सेना में किस प्रकार के हथियार हैं। चीन की बड़ी योजना क्या है। चीन और भारत की मिसाइल क्षमताओं का एक तुलनात्मक विश्लेषण।
चीन की चिंता की बड़ी वजह
1- दरअसल, भारतीय इंटरकान्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-5 अपनी मारक क्षमता के कारण चीन के लिए चिंता का सबब है। अभी तक भारतीय मिसाइलों की जद से चीन के प्रमुख शहर शामिल नहीं थे। अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद अब इसकी पहुंच चीन के प्रमुख शहरों तक है। इसकी मारक क्षमता 5000 किलोमीटर है। खासकर चीन के प्रमुख औद्योगिक शहरों को यह जलाकर राख कर सकती है। यह मिसाइल परमाणु बम गिराने में सक्षम है। इसका निशाना अचूक है। यह अपने लक्ष्य को भेदने में बेहद कारगर है। उधर, चीन का कहना है कि अग्नि-5 की मारक क्षमता आठ हजार किलोमीटर तक है। चीन का कहना है कि इस मिसाइल की जद में पूरे एशिया और यूरोप के 70 फीसद हिस्से है।
2- यह 29,401 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। अग्नि-5 मिसाइल 1500 किलोग्राम तक के परमाणु हथियार अपने साथ ले जा सकती है। दुश्मन के किसी भी शहर को यह देखते ही देखते नेस्तनाबूद कर सकती है। इसका वजन करीब 50 हजार किग्रा है। मिसाइल 1.75 मीटर लंबी है। इसका व्यास 2 मीटर है। यह अपने साथ 1.5 टन वारहेड ले जाने में समर्थ है। यह मिसाइल भारत की सतह से सतह पर मार करने वाली सबसे घातक मिसाइल है। इसे डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने तैयार किया है। एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से भारत ने इसका सफल परीक्षण किया। डीआरडीओ अग्नि के अलग-अलग वैरियंट को महाविनाशक बनाने की तैयारी में जुटा है।
3- डीआरडीओ 'मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (एमआइआरवी) भी तैयार कर रहा है। एमआइआरवी पेलोड में एक मिसाइल में चार से छह वारहेड ले जा सकेगी। इन्हें अलग-अलग टारगेट को हिट करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है। अपनी इस क्षमता के बाद भारत उन चुनिंदा देशों की कतार में पहुंच जाएगा, जिनके पास इस तरह की क्षमता है। इसकी खास बात यह है कि अग्नि-5 का कैनिस्टर वर्जन परीक्षण किया गया है जो बहुत आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है।
चीन की डीएफ मिसाइल में है दम
1- आइए जानते हैं कि भारत की तुलना में चीन की सैन्य क्षमता क्या है। चीन के पास डीएफ सीरीज की खतरनाक मिसाइलें मौजूद हैं। चीन की डीएफ-41 मिसाइल धरती के किसी कोने तक हमला करने में सक्षम है। इतना ही नहीं यह मिसाइल एक साथ कई ठिकानों को तबाह कर सकती है। चीन के पास खतरनाक डीएफ-26 मिसाइल बेहद खतरनाक है। इसकी मारक क्षमता अचूक और सटीक है। यह मिसाइल 1200 से 1800 किलोग्राम परमाणु बम गिराने ले जाने में सक्षम है। चीन में इसे गुआम किलर के नाम से जाना जाता है। गुआम अमेरिकी सैन्य अड्डा है।
2- चीन की डोंगफेंग मिसाइल बेहद खतरनाक है। यह भारत में ही नहीं अमेरिका तक तबाही मचाने में सक्षम है। डोंगफेंग मिसाइलों का निर्माण चीन ने सोवियत संघ की मदद से 1950 के दशक में शुरू किया था। डोंगफेंग-1 और डोंगफेंग-2 मिसाइलें सबसे पहले बनाई गईं। इनकी मारक क्षमता क्रमश: 500 और 1250 किलोमीटर है। हालांकि, अब ये मिसाइलें सैन्य सेवा में नहीं हैं। चीन के डोंगफेंग सीरीज में डीएफ-41 सबसे ज्यादा (12 से 15 हजार किमी तक) मारक क्षमता वाली मिसाइल है। डीएफ-41 मिसाइल एक साथ 10 परमाणु बम ले जाने में सक्षम है।
3- गौरतलब है कि दुनिया पर राज करने के लिए चीन लगातार अपने किलर मिसाइलों का जखीरा बढ़ा रहा है। इतना ही नहीं चीन इन मिसाइलों को छिपाने के लिए भी अपने रेगिस्तानी इलाके में कई गुप्त अड्डे बना रहा है। चीन ने हाल ही में अंतरिक्ष से धरती पर हाइपरसोनिक मिसाइल दागकर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के पास 12 से 15 हजार किलोमीट तक मार करने वाली डोंगफेंग अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलें हैं। साल 2018 में चीन के पास 75 से लेकर 100 मिसाइलें थीं। चीन की ये मिसाइल कम दूरी, मध्यम दूरी और लंबी दूरी तक मार करने वाली हैं।
अग्नि मिसाइलों की रेंज
मिसाइल - रेंज - परीक्षण
अग्नि-1 - 700 - 22 मई, 1989
अग्नि-2 - 2000 - 11 अप्रैल, 1999
अग्नि-3 - 3000 - 09 जुलाई, 2006
अग्नि-4 - 4000 - 10 दिसंबर, 2010
अग्नि-5 - 5000 - 19 अप्रैल, 2012