पंजाब में निवेश की अपार संभावनाएं

Editorial

Immense investment opportunities in Punjab : पंजाब को इस समय आर्थिक प्रगति की सबसे ज्यादा जरूरत है। यह आवश्यकता पंजाब ही नहीं अपितु देश के हर राज्य की है। पिछले साल भर से किसान आंदोलन की वजह से अव्यवस्थित हुए पंजाब में आर्थिक गतिविधियों पर बेहद नकारात्मक असर पड़ा। राज्य की नई चन्नी सरकार की ओर से प्रोग्रेसिव पंजाब इन्वेस्ट समिट का आयोजन प्रदेश में उद्यमियों और कारोबारियों को प्रोत्साहित करने के दिशा में सकारात्मक पहल है। सरकार को उद्यमियों के साथ संवाद कभी बंद नहीं करना चाहिए और चाहे कोई भी सरकार आए, उनकी सहभागिता बढ़ाने के लिए प्रयास जारी रहने चाहिएं। बीती सरकारों के वक्त भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, लेकिन जिस विदेशी निवेश की राज्य में डिमांड की जा रही है, वह इस बार भी नहीं आया, हालांकि घरेलू उद्योगपतियों ने ही 3700 करोड़ के एक्सपेंशन प्लान की घोषणा की है।

मौजूदा सरकार का कार्यकाल अगले वर्ष फरवरी तक है और राज्य में जिस प्रकार के राजनीतिक हालात हैं, उनसे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को बड़ा संघर्ष करना होगा। ऐसे में उद्योगपति नई सरकार के गठन का इंतजार भी कर रहे हो सकते हैं, बावजूद इसके मौजूदा कांग्रेस सरकार का यह दावा नई उम्मीद जगाने वाला है कि राज्य में बीते पांच वर्षों के दौरान एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का पूंजी निवेश हुआ है। वैसे यह दावा पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर उनके विरोधियों के उन आरोप का खुद ही जवाब देता नजर आता है, जिसमें उन पर अक्षम मुख्यमंत्री होने का आरोप लगाया गया है।

पंजाब में लघु से लेकर भारी उद्योग स्थापित हैं, लेकिन पिछले कुछ समय के दौरान राज्य से उद्योगों का पलायन हुआ है, वहीं बीते वर्ष लॉकडाउन और कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान रेल पटरियों पर किसानों के बैठने, हाईवे जाम करने जैसे कदमों से भारी नुकसान हुआ। मुख्यमंत्री रहते कैप्टन अमरिंदर सिंह का किसानों को यह आह्वान किया कि वे राज्य में धरना-प्रदर्शन न करके हरियाणा में दिल्ली बॉर्डर पर चले जाएं, इसी के मद्देनजर था कि राज्य में उद्योग गतिविधियों में कोई बाधा न खड़ी हो पाए।

खैर, राजनीति के सामने हर कोई बौना हो जाता है, फिर न उद्योग दिखते हैं और न ही अन्य आर्थिक गतिविधियां। अब कोरोना काल धीरे-धीरे बीत गया है तो बाजार में भी मजबूती लौट आई है, ऐसे में पूरे जोश और जज्बे के साथ उद्योगों के हालात ठीक करने के लिए काम करना होगा। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के समक्ष इस समय बड़ी चुनौती यही है कि वे अपनी अल्पावधि की सरकार की उपलब्धियों को बढ़ाएं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में उद्योग लंबे समय से एयरपोर्ट की मांग कर रहे हैं, ऐसे में सरकार ने अब हलवारा एयरपोर्ट का काम शुरू कराया है। उनकी यह स्वीकारोक्ति सराहनीय है कि उद्योग और व्यापार के उज्जवल भविष्य पर ही पंजाब का भविष्य टिका हुआ है।

   चन्नी सरकार ने राज्य में उद्योग और व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए बड़े फैसले लिए हैं। चंडीगढ़ से बाहर लुधियाना में पंजाब कैबिनेट की बैठक में सरकार ने जहां मीडियम इंडस्ट्री को बिजली फिक्स चार्ज में 50 फीसदी की छूट दी है, वहीं 40 हजार से ज्यादा के वैट डिस्प्यूट खत्म किए हैं। सरकार फोकल पॉइंट्स के विकास पर 150 करोड़ रुपये खर्चेगी, नए उद्योगों के लिए 6 कर्मा के रास्ते की शर्त को आसान कर 4 कर्मा किया जाएगा, सीएलयू प्रक्रिया आसान की जाएगी। अमृतसर में एग्जीबिशन सेंटर बनाने को मंजूरी दी गई है, वहीं चंडीगढ़ में फिल्म सिटी का निर्माण किया जाएगा।

इसके अलावा इंस्टीट्यूशनल टैक्स खत्म किया जाएगा, कर विभाग को फेसलेस करने का फैसला भी इसमें शुमार है। वहीं रेल के जरिए व्यापार एवं उद्यमशीलता बढ़ाने के लिए पट्टी मखू रेल लिंक के लिए जमीन एक्वायर कर रेलवे को दी जाएगी। बेशक, इन फैसलों के अमल में आने के बाद राज्य के कारोबारी हालात बदल सकते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री को चाहिए कि ये फैसले कागजी न रहें अपितु इन्हें तुरंत प्रभाव से लागू कराया जाए। उनके कार्यकाल का काउंटडाउन जारी है, प्रदेश की जनता देख रही है।

   गौरतलब है कि उद्योगपतियों ने सरकार के समक्ष कुछ प्रस्ताव और मांगें रखी हैं, जिनका स्वागत होना चाहिए। उद्यमियों का कहना है कि उन्हें विदेशी तकनीक मुहैया कराई जानी चाहिए, ऐसा करके उन्हें ओवरसीज मार्केट के लिए तैयार किया जा सकता है। पंजाब को पोर्ट से दूर होने की मुश्किल भी झेलनी पड़ रही है, ऐसे में यहां से पोर्ट तक माल भेजने में काफी भाड़ा लगता है। उद्यमी चाहते हैं कि राज्य सरकार लुधियाना ड्राई पोर्ट से सी पोर्ट तक अपनी दो से तीन ट्रेन भी चला सकती हैं। इससे किराये से उद्यमियों को राहत मिलेगी। एक उद्यमी का सरकार के समक्ष सुझाव था कि निवेश के लिए एनआरआई पर निर्भरता की जगह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है। वहीं बड़े निवेश के लिए ईज आफ डूइंग बिजनेस के साथ कास्ट आफ डूइंग बिजनेस, राजनीतिक स्थिरता, लंबी अवधि की नीतियां बनाए जाने की भी जरूरत बताई गई है।

  पंजाब में विकास की अनंत संभावनाएं हैं, बशर्ते राजनीति सीमित हो। उद्योगपतियों के साथ चर्चा के अलावा राज्य सरकार किसानों के साथ भी अगर चर्चा करे तो नए कृषि कानूनों के फायदे या फिर इनके नुकसान पर भी कुछ निष्कर्ष निकल सकता है। कृषि सेक्टर सब्सिडी पर ज्यादा समय के लिए जिंदा नहीं रखा जा सकता। उद्यमी अपना पैसा लगाते हैं और तमाम दुश्वारियों का सामना करते हुए उत्पाद मुहैया कराते हैं, जिनकी खरीद से प्रदेश और देश की आर्थिकी मजबूत होती है।

कृषि कानूनों के विरोध के लिए राजनीतिक चश्मे हटाए जाने की आवश्यकता है, जिस एमएसपी के खत्म होने की आशंका जाहिर की जा रही है, वह अब भी जारी है। तब वे सभी शंकाएं निर्मूल हैं, जिनको लेकर किसान आंदोलनकारी सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक रूकावटें कायम किए हुए हैं। प्रदेश की तरक्की में ही देश की तरक्की है। नए दौर में किसान और उद्यमी दोनों को साथ चलना होगा, नए कृषि कानून दोनों को साथ आने का अवसर दे रहे हैं।