हरियाणा लोक सेवा आयोग में चेयरमैन आलोक वर्मा को सबसे कम वेतन
हरियाणा लोक सेवा आयोग में चेयरमैन आलोक वर्मा को सबसे कम वेतन
चंडीगढ़ - हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी ) में 13 माह पूर्व चेयरमैन के तौर पर नियुक्त भूतपूर्व आईएफएस (भारतीय वन सेवा ) अधिकारी आलोक वर्मा को प्रतिमाह 1 लाख 44 हज़ार 384 रुपये कुल वेतन-भत्ते के रूप में प्राप्त हो रहे है जिसमें उनका मूल वेतन 1 लाख 12 हज़ार 800 रुपये जबकि महंगाई भत्ता (डीए) 31 हज़ार 584 रुपये है. यह धन राशि आयोग के शेष पांचो सदस्यों में सबसे कम है.
ज्ञात रहे कि हालांकि एचपीएससी चेयरमैन का वेतन वैसे तो नियमो के अनुसार प्रदेश के मुख्य सचिव के बराबर प्रतिमाह 2 लाख 25 हज़ार रुपये होता है परन्तु वर्मा को उनकी पिछली सेवा से मिल रही पेंशन अर्थात 1 लाख 12 हज़ार 200 रुपये उनके आयोग के चेयरमैन के मूल वेतन से कट जाते हैं.
इसी मंगलवार 30 नवंबर को आयोग द्वारा पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार को इस सम्बन्ध में 10 अगस्त 2021 को दायर एक आरटीआई याचिका के जवाब में यह सूचना प्रदान की गयी है. हालांकि पहले सितम्बर माह में आयोग ने चेयरमैन और सदस्यों को मिलने वाले वेतन की जानकारी नहीं दी थी जिसके बाद अक्टूबर में हेमंत ने आयोग के तत्कालीन डिप्टी सेक्रेटरी ( उप सचिव ) अनिल नागर के समक्ष आरटीआई कानून के अंतर्गत प्रथम अपील दायर की जिसपर 9 नवंबर 2021 को सुनवाई हुई. हालांकि उसके कुछ दिनों बाद नागर को प्रदेश के विजिलेंस ब्यूरो द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है.
बहरहाल, हेमंत ने बताया की आयोग द्वारा प्रदान सूचना अनुसार आयोग में सबसे अधिक वेतन अगस्त, 2016 में सदस्य के तौर पर नियुक्त अम्बाला कैंट की नीता खेड़ा का है जिन्हे प्रतिमाह 3 लाख 4 हज़ार 272 रुपये मिलते हैं जिसमें उनका मूल वेतन 2 लाख 11 हज़ार 300 रुपये जबकि महंगाई भत्ता 59 हज़ार 164 रुपये हैं एवं 33 हज़ार 808 रुपये हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए ) है. . नीता के साथ ही नियुक्त जींद के जय भगवान् गोयल का मासिक वेतन 2 लाख 70 हज़ार 464 रुपये मिलते हैं.
मई, 2017 में आयोग के सदस्य नियुक्त सुरेंद्र सिंह को प्रतिमाह 2 लाख 9 हज़ार 24 रुपये मिलते हैं. उनके मिलने वाले मूल वेतन अर्थात 2 लाख 5 हज़ार 100 रुपये में से उनकी पिछली सरकारी सेवा की पेंशन राशि अर्थात 41 हज़ार 800 रुपये कट जाती हैं.
इसी प्रकार दिसंबर, 2017 में सदस्य नियुक्त डॉ. पवन कुमार को 1 लाख 58 हज़ार 573 रूपये प्रतिमाह मिलते हैं. उनके मूल वेतन अर्थात 2 लाख 5 हज़ार 100 में से उनकी पिछली सरकारी सेवा के पेंशन के 81 हज़ार 215 रुपये कट जाते हैं.
इसी वर्ष जुलाई, 2021 में आयोग के पांचवे सदस्य के तौर पर नियुक्त आनंद कुमार को प्रतिमाह 1 लाख 71 हज़ार 72 रूपये मिलते हैं. उनको मिलने वाले मूल वेतन अर्थात 1 लाख 82 हज़ार 200 रूपये में से उनकी पिछली सरकारी सेवा के पेंशन के 63 हज़ार 400 रुपये कट जाते हैं.
हेमंत ने बताया कि 3 वर्ष पूर्व 17 दिसंबर, 2018 को खट्टर सरकार द्वारा एचपीएससी रेगुलेशंस, 2018 बनाये गए, जो हालांकि 1 जनवरी 2016 से लागू किये गए एचपीएससी के चेयरमैन का वेतन प्रदेश के मुख्य सचिव के समान अर्थात 2 लाख 25 हज़ार रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया जबकि आयोग के सदस्यों का वेतन प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव रैंक के आईएएस अधिकारी के वेतन बराबर किया गया. चूँकि वर्तमान लागू वेतन व्यवस्था में प्रधान सचिव का वेतन निश्चित नहीं होता बल्कि वह प्रतिमाह 1 लाख 82 हज़ार 200 रूपये और 2 लाख 24 हज़ार 100 रुपये के वेतनमान में होता है, इस प्रकार एचपीएससी के वर्तमान सदस्यों को भी प्रधान सचिव रैंक के आईएएस अधिकारी के सामान उक्त वेतन मान में वार्षिक इन्क्रीमेंट (वेतन -वृद्धि) के साथ वेतन प्रदान किया जा रहा है जो कि उपयुक्त नहीं है. हेमंत ने इस विषय पर जनवरी, 2019 में तत्कालीन राज्यपाल, मुख्यमंत्री, तत्कालीन मुख्य सचिव डीएस ढेसी (अब मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव) को अलग अलग प्रतिवेदन भी भेजे परन्तु आज तक इस सम्बन्ध में कोई जबाब नहीं प्राप्त हुआ है. उन्होंने लिखा कि संवैधानिक पदों (जैसे एचपीएससी ) में नियुक्त पदाधिकारियों को निश्चित वेतन प्रदान करने की ही परम्परा चली आ रही है. यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग ) के चेयरमैन को वर्तमान में प्रतिमाह 2 लाख 50 हज़ार रूपये जबकि सदस्यों को 2 लाख 25 हज़ार रूपये निश्चित वेतन प्रदान किया जाता है. 2018 एचपीएससी रेगुलेशंस से पहले लागू वर्ष 1972 के रेगुलेशंस में हालांकि एचपीएससी के चेयरमैन और सदस्यों दोनों का वेतन निश्चित ही होता था.