गवर्नर सत्यपाल मलिक का केंद्र पर एक और हमला, देखें क्या कहा....
- By Krishna --
- Monday, 03 Jan, 2022
Governor Satya Pal Malik's another attack on the Centre
चंडीगढ़। मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। हरियाणा के दादरी स्थित स्वामी दयाल धाम में माथा टेकने पहुंचे मलिक ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन जारी रहने के दौरान वे पीएम मोदी से मिले थे। जब मुलाकात हुई तो वे बहुत घमंड में थे। मलिक ने यह भी कहा कि जब वे गृह मंत्री अमित शाह से मिले तो उनका कहना था कि किसान आंदोलन को लेकर पीएम को गलत फीडबैक दिया गया है।
सत्यपाल मलिक मेघालय से पहले जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रह चुके हैं। वे किसान आंदोलन के समय भी केंद्र सरकार पर हमला करते रहे हैं। दादरी में उन्हें फौगाट खाप ने सम्मानित किया। इसके बाद उन्होंने यह बातें कहीं।
मलिक ने कहा, 'मैं किसानों के मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गया। वहां मेरी 5 मिनट में लड़ाई हो गई। प्रधानमंत्री बहुत घमंड में थे। जब मैंने उन्हें कहा कि 500 लोग मर गए हैं, तो उन्होंने कहा- मेरे लिए मरे हैं? इस पर मैंने कहा कि आपके लिए तो मरे हैं, जो आप राजा बने हुए हो। वहां झगड़ा हो गया।'
सत्यपाल मलिक ने कहा कि पीएम मोदी ने उन्हें गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की सलाह दी। इसके बाद वे शाह से मिले तो शाह ने उनसे कहा कि सत्यपाल लोगों ने उन्हें गलत फीडबैक दिया है। तुम बेफिक्र रहो, मिलते रहो। किसी न किसी दिन उन्हें यह बात समझ आ जाएगी।
मलिक ने कहा कि किसान आंदोलन अभी खत्म नहीं, बल्कि स्थगित हुआ है। किसानों के साथ कोई नाइंसाफी या अत्याचार हुआ, तो यह दोबारा शुरू हो सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों को रूस्क्क पर कानूनी गारंटी देनी चाहिए। सरकार को ईमानदारी दिखाते हुए किसानों पर दर्ज केस तुरंत वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए जरूरत पड़ी, तो वे गवर्नर का पद छोडऩे के लिए तैयार हैं।
दिल्ली के बॉर्डर पर सालभर से बैठे किसानों ने 11 दिसंबर 2021 को केंद्र सरकार के लिखित आश्वासन के बाद घर वापसी की थी। केंद्र सरकार से किसान संगठनों को आश्वासन दिया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी जिसमें सरकारी अधिकारियों के अलावा खेती विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और किसान यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। हालांकि अभी तक इस कमेटी का गठन नहीं हुआ है।
आंदोलन के दौरान किसानों पर पुलिस ने हजारों केस दर्ज किए। सरकार ने ये केस वापस लेने का भी भरोसा दिलाया था मगर ऐसा नहीं हुआ है। हरियाणा में 48 हजार से ज्यादा किसानों पर दर्ज कुल 272 केसों में से 178 की चार्जशीट कोर्ट में फाइल हो चुकी है। 57 केस अनट्रेस थे जबकि 29 मामलों को रद्द करने की प्रक्रिया पेंडिंग है। सिर्फ 8 केसों के कैंसलेशन पेपर तैयार हुए हैं।