बेरोजगारी, बेरोजगारी भत्ता, आउटसोर्सिंग और कच्चे कर्मचारियों के लिए `व्हाइट पेपर' जारी करे चन्नी सरकार- अमन अरोड़ा
बेरोजगारी, बेरोजगारी भत्ता, आउटसोर्सिंग और कच्चे कर्मचारियों के लिए `व्हाइट पेपर' जारी करे चन्नी सरक
-सरकार बताए कि टैंकियों-सड़कों पर बैठे बेरोजगारों को रेगुलर नौकरियां देने का फैसला क्यों नहीं लेती- मीत हेयर
-बेरोजगारी, आउटसोर्सिंग और गेस्ट फैकल्टी अध्यापकों के मुद्दे पर भी कांग्रेस को सदन में घेरेगी `आप'
-`आप' ने चन्नी सरकार द्वारा बढ़ा-चढ़ा कर बताए जा रहे आंकड़ों पर सवाल उठाए
चंडीगढ़, 10 नवंबर
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के वरिष्ठ नेता एवं विधायक अमन अरोड़ा और यूथ विंग पंजाब के अध्यक्ष एवं विधायक मीत हेयर ने चन्नी सरकार से प्रदेश के कुल बेरोजगारों की गिनती, बेरोजगारी भत्ता हासिल कर रहे बेरोजगारों के जिला स्तरीय आंकड़े, विभिन्न विभागों में ठेका और आउटसोर्सिंग के तहत नौकरी कर रहे कच्चे कर्मचारियों की संख्या, सरकारी कॉलेजों में कई वर्षों से बतौर गेस्ट फैकल्टी सेवाएं दे रहे अध्यापकों समेत बीते पौने पांच वर्षों में की गई नई भर्ती और पक्के किए कच्चे कर्मचारियों की विभागीय स्तर पर संख्या के संबंध में `व्हाइट पेपर' जारी करने की मांग की है, ताकि पंजाब के हर नागरिक को पता हो कि कांग्रेस अपने घर-घर नौकरी वाले वादे पर कितना खरा उतरी है? इसके साथ ही `आप' ने कांग्रेस सरकार द्वारा नई नौकरियां, कच्चे कर्मचारी पक्के करने समेत बिजली और डीजल-पेट्रोल सस्ते करने संबंधी बयानों और इश्तेहारबाजी के जरिए बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए जा रहे आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं।
पार्टी मुख्यालय से बुधवार को जारी संयुक्त बयान में विधायक अमन अरोड़ा और मीत हेयर ने कहा कि पौने पांच वर्षों से रेगुलर नौकरियों के लिए जद्दोजहद कर रहे योग्यता प्राप्त बेरोजगारों, गेस्ट फैकेल्टी अध्यापकों, ठेका भर्ती और आउटसोर्सिंग के कच्चे कर्मचारियों को पीटती आ रही कांग्रेस सरकार अब अपने अंतिम समय पर लोगों को एक बार दोबारा गुमराह करने की चालें चल रही है।
अमन अरोड़ा ने कहा कि चन्नी सरकार सिर्फ गुमराह ही नहीं कर रही बल्कि इस झूठे प्रचार के लिए सरकारी खजाने का भी दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि भले ही काफी देर से ही सही लेकिन चन्नी सरकार द्वारा कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के फैसले का स्वागत है। लेकिन चन्नी सरकार को विभागों के अनुसार ब्यौरा देना पड़ेगा, क्योंकि चन्नी सरकार द्वारा पेश किए जा रहे आंकड़ों और घोषित किए जा रहे फैसलों पर अमल हो पाना सवालों के घेरे में है। जिसकी मिसाल चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा बतौर तकनीकी शिक्षा मंत्री लगाए गए कथित रोजगार मेलों के संबंध में दावे और हकीकत में दिन-रात का अंतर सभी ने देखा है। सरकार 20 लाख नौकरियों के दावे करती रही है लेकिन असल में यह सभी रोजगार मेले ढोंग और फर्जीवाड़ा ही साबित हुए।
अमन अरोड़ा ने कहा कि घर-घर नौकरी का दावा करने वाली सरकार 15-20 वर्षों से अस्थाई रूप में सेवाएं दे रहे सैंकड़ों-हजारों लोगों का नाममात्र (खानापूर्ति) का रोजगार भी छीन रही है। सरकारी कॉलेजों में बतौर गेस्ट फैकल्टी सेवाएं दे रहे सैकड़ों अध्यापक इसकी ताजा मिसाल है। यहां तक कि मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री और मंत्रियों की सरकारी कोठियों व कैंप दफ्तरों में 20-20 वर्षों से बतौर कच्चे कर्मचारी काम कर रहे सैंकड़ों लोग हैं, जिन्हें पक्का करने के बजाय आउटसोर्सिंग के जरिए निजी ठेकेदारों के हाथों आर्थिक शोषण करवाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
मीत हेयर ने कहा कि चन्नी सरकार यह स्पष्ट करे कि पक्के किए जा रहे 36 हजार कच्चे कर्मचारियों में सभी विभागों में काम करने वाले आउटसोर्सिंग कर्मचारी हैं या नहीं? सरकार यह भी बताए कि सड़कों, चौक-चौराहों और टैंकियों पर चढ़े योग्यता प्राप्त बेरोजगारों को रेगुलर नौकरियां देने का फैसला क्यों नहीं लेती? सरकार यह भी बताए कि कांग्रेस अपने वादे के अनुसार बेरोजगारों को 2500 रुपये प्रति महीना बेरोजगारी भत्ता क्यों नहीं दे सकी? `आप' नेताओं ने बताया कि बेरोजगारों, गेस्ट फैकल्टी अध्यापकों और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के मुद्दे पर भी 11 नवंबर को सदन में चन्नी सरकार की घेराबंदी की जाएगी।