पंजाब में चुनावी ऐलानों का मौसम
Election announcement season in Punjab : पिछले दिनों बिजली की दरों में कटौती के बाद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा था कि पंजाब के लोग बड़े खुद्दार हैं, वे मुफ्त में कुछ नहीं लेते। सरकार तो बिजली के बिल माफ करने को तैयार है, लेकिन जनता ने कहा कि माफ नहीं दरों में कटौती कर दो। खैर, राजनीतिकों के पास शब्दों का पिटारा होता है, वे उसमें से मनचाहे जुमले निकालते हैं और जनता की तरफ फेंक देते हैं। कुछ जुमले काम कर जाते हैं और कुछ नहीं। पंजाब में अगले वर्ष फरवरी में विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन आजकल जैसे राजनीतिक हालात बने हुए हैं, उन्हें देखकर लगता है, जैसे अगले महीने ही ये चुनाव होने जा रहे हैं।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब भी पंजाब आते हैं, यहां के माहौल को और गर्मा कर चले जाते हैं। इस बार उन्होंने वही फार्मूला जोकि वे दिल्ली में आजमा चुके हैं, यहां भी लागू करने की चाल चल दी है। यह फार्मूला मुफ्त बांटने का है। भारतीय राजनीति में मुफ्त बांटने की यह रवायत नई नहीं है, लेकिन केजरीवाल ने इसे जीत का सटीक फार्मूला बना दिया है, इसलिए अब दूसरे दलों के लिए यह लाजिमी सा हो गया है कि वे भी जनता को अपनी तरफ खींचने के लिए ऐसा कुछ करें जोकि उन्हें वोट दिला सके।
अरविंद केजरीवाल ने मोगा में पार्टी की महिला विंग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए ऐसा चुग्गा डाला है कि मुफ्तखोरी न करने वाले पंजाब के ज्यादातर लोगों के दिलो दिमाग में यह घर बनाने लगा है कि एक हजार रुपये अगर बैठे-बिठाए मिलेंगे तो फिर क्या दिक्कत है। बस शर्त यही है कि आम आदमी पार्टी की सरकार पंजाब में लानी होगी। आप की सरकार यह काम करेगी कि राज्य में प्रत्येक महिला के खाते में हर माह एक हजार रुपये डालेगी। यह घोषणा अपने-आप में अभूतपूर्व और सत्ता में बैठे और आप के विरोधी राजनीतिक दलों के रणनीतिकारों के लिए चक्करघिन्नी बन चुकी है।
खुद केजरीवाल भी दावा कर रहे हैं कि ऐसी घोषणा पूरी दुनिया में उनके अलावा किसी ने नहीं की है। वैसे, उन्होंने महिलाओं के लिए ही ऐसी महालुभावनी घोषणा नहीं की है, वे आप के सत्ता में आने के बाद कई और ऐसे काम करने का दावा कर रहे हैं, जोकि अभी तक कांग्रेस सरकार नहीं कर पाई है। मालूम हो, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने और कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद छात्राओं को मुफ्त स्कूटी देने की घोषणा की हुई है। राजनीतिक दलों के लिए ऐसी घोषणाएं करना अब सामान्य बात हो गई है।
एक समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विदेश में जमा काला धन वापस लाकर 15-15 लाख प्रत्येक भारतीय के खाते में डालने की घोषणा की थी। खैर, इस घोषणा की व्याख्या अब अपना अर्थ खो चुकी है, क्योंकि यह उस समय भी असंभव थी और अब भी है। लेकिन केजरीवाल की पंजाब में की गई घोषणा वाजिब हो सकती है, लेकिन सवाल यह है कि जिस प्रदेश में कर्मचारियों को वेतन देने के लिए फंड न हो और जिसे ठेकों से प्राप्त राजस्व से अपना घर चलाना पड़ रहा हो, उस प्रदेश की नई सरकार एकाएक कहां से इतना राजस्व जुटा लेगी कि वह घर बैठे खातों में पैसे डालेगी। वैसे, यह प्रयोग केंद्र की मोदी सरकार भी कर रही है, लेकिन मोदी सरकार ने कुछ लोगों को इसके लिए चुना है, लेकिन केजरीवाल तो पंजाब में 18 साल से ऊपर की हर महिला के खाते में एक हजार रुपये डालने का ऐलान किया है।
क्या पंजाब, दिल्ली है? हरगिज नहीं। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी एक बार कहा था कि केजरीवाल दिल्ली से पंजाब की तुलना न करें। उनका कहना भी सही था, क्योंकि केंद्र की गोद में बैठी दिल्ली की जो चुनौतियां हैं, उनसे कहीं ज्यादा बड़ी आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां पंजाब के समक्ष हैं। केजरीवाल को भी इसका अहसास है, इसलिए वे खुद ही इसका जवाब देते भी दिखते हैं कि आखिर इस अभूतपूर्व घोषणा के लिए फंड कहां से आएगा। वे झट से ट्रांसपोर्ट और रेत माफिया का नाम ले देते हैं। कहते हैं, इन पर कंट्रोल कर लिया तो पैसे का जुगाड़ भी हो जाएगा। उनके कहने के बावजूद यह समझना मुश्किल है कि यह कंट्रोल कैसे होगा। पंजाब की पूरी सियासत इस समय ट्रांसपोर्ट, केबल और रेत माफिया के बूते चल रही है। इन पर नकेल कसने की हिम्मत न कांग्रेस जुटा पा रही है और न ही उसकी पूर्ववर्ती अकाली कर पाए थे।
वैसे, ऐलानों के मौसम में मुख्यमंत्री चन्नी भी कसर नहीं छोडऩा चाहते। पंजाब में केबल व्यवसाय शिकंजे में है, एक राजनीतिक परिवार का इस पर वर्चस्व है। यही वजह है कि चन्नी ने केबल के इस एकाधिकार पर हाथ डाल दिया है, वे 100 रुपये में केबल दिखाने का वादा कर रहे हैं। कहते हैं- कोई दिखाने से मना करे तो बोल देना- सीएम चन्नी ने कहा है। इसके अलावा उन्होंने ऑटो चालकों के जख्मों पर भी मरहम लगाया है, कहते हैं- अब लाखों रुपये के चालान भुगतने की जरूरत नहीं, सिर्फ एक रुपया देकर पुलिस द्वारा जब्त कागज ले जाओ। वैसे, कांग्रेस सरकार चाहती तो यह पहले ही कर चुकी होती। दरअसल, चुनावी मौसम में इसकी प्रतियोगिता बढ़ गई है कि चौंकाने वाली घोषणाएं करो और सुर्खियां बनो। हालांकि चुनाव में जनता लोकलुभावन घोषणाएं सुनेगी लेकिन फिर यह भी देखेगी कि वे पूरी की जा सकती हैं या नहीं। पंजाब के अपने ही रंग हैं, यहां की सियासत सतरंगी है, अभी और बहुत कुछ सुनने-देखने को मिलेगा।