महाकाल की महामाया को समझने वाले का कल्याण निश्चित : जगद्गुरु वसंत विजयानंद गिरी जी

Jagadguru Vasant Vijayanand Giri Ji

Jagadguru Vasant Vijayanand Giri Ji

अवंतिका नगरी उज्जैन में राजाधिराज के दर्शन पूजन कर बोले कृष्णगिरी पीठाधीश्वर, मंदिर परिसर में हुआ भव्य स्वागत सत्कार 

"ब्रह्माण्ड की एक मात्र दक्षिणमुखी तृतीय ज्योतिर्लिंग पूरी करती है हर मनोकामना, मिटता है डर व चिंता"

उज्जैन। Jagadguru Vasant Vijayanand Giri Ji: परमहंस परिव्राजकाचार्य अनन्त श्री विभूषित कृष्णगिरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु 1008 परम पूज्यपाद श्री वसन्त विजयानन्द गिरी जी महाराज ने यहां अवंतिका नगरी में दक्षिणमुखी तृतीय ज्योतिर्लिंग भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन पूजन किया। सनातन परंपरा में साधु समुदाय में सर्वोच्च पद पूज्यपाद जगद्गुरु के पट्टाभिषेक के बाद पहली बार उज्जैन आए श्री वसंत विजयानंद गिरी जी महाराज का इस दौरान भव्य स्वागत सत्कार भी किया गया। इस दौरान अपने संक्षिप्त आशीर्वचनीय संदेश में उन्होंने कहा कि बाबा महाकाल की महिमा अद्भुत, अलौकिक और निराली है। डमरू वाले भोले बाबा श्रीमहाकाल की महामाया को समझने वाले का कल्याण हर प्रकार से निश्चित है। वे बोले दुनियावी चकाचौंध को छोड़ कर इस तीर्थ स्थान से लगाव लगाने वाला धन्यभागी कैलाशपति शिव का अत्यंत प्रिय ही होता है। वे बोले अपने भोले भक्तों पर दर्शन मात्र से प्रसन्न होने वाले बाबा श्रीमहाकाल यानी पार्वती पति शिव शंभू भोलेनाथ का मध्य प्रदेश का यह भू भाग भी अपने आप में भौगोलिक तथा विचित्र वैज्ञानिक महत्व एवं पूरी धरती की काल गणना लिए हुए है, जो कि यहीं से शुरु होती है। कलिकाल मर्मज्ञ, चमत्कारी दृष्टिपात करने वाले साधना के शिखर पुरुष, सर्वधर्म दिवाकर पूज्यपाद जगद्गुरु ने उपस्थित अनेक भक्तों को श्री महाकालेश्वर बाबा के गुणगान करते हुए यह भी बताया कि अलसुबह भगवान शिव की अलौकिक शक्तियों एवं उनके अस्तित्व के सांकेतिक विधान को बताने वाली दुर्लभ भस्म आरती और कहीं नहीं होती है। व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण करने, जीवन के डर एवं चिंताओं को दूर करने वाली अनादि काल से चली आ रही धुनी भस्म से श्रृंगार कराने वाले बाबा स्वयंभू एवं ऊर्जा का संपूर्ण लिंग रूप है। उन्होंने बताया कि तीन खंडों में विभाजित इस ज्योतिर्लिंग की अपनी विशेषता है, रहस्यमई मान्यताओं के अनुसार धार्मिक स्थल के साथ-साथ धार्मिक पर्यटन नगरी के रूप में विख्यात हुए दक्षिणमुखी बाबा श्रीमहाकालेश्वर अशुभ को भी शुभ में बदलते हैं अर्थात दक्षिण दिशा जिसे अशुभ माना जाता है। उन्होंने बताया कि इस धरती ही नहीं, पूरे ब्रह्मांड में कहीं भी शिव का मुख दक्षिण मुखी नहीं है। पूज्य गुरुदेवश्रीजी ने कहा कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक शक्तिशाली दूषण नाम के दैत्य के संहार के लिए ज्योति रुप में प्रकट हुए तथा ज्योतिषीय खास विधान लिए यह तृतीय ज्योतिर्लिंग काल को भी समाप्त कर महाकाल रूप में मृत्युलोक के अधिपति के तौर पर विराजित है। आस्था और शक्ति के अद्भुत संगम, कर्क रेखा पर स्थित उज्जैन नगरी जहां, प्रत्येक 6 वर्षों में अर्धकुंभ तथा 12 वर्षों में सिंहस्थ आयोजन की यह पावन भूमि है। इससे पूर्व मंदिर के पुजारी डॉ दिनेश गुरुजी एवं संदीप गुरु जी ने विधिवत पूजन संपन्न कराया। इस अवसर पर श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासनिक अधिकारी मूलचंद जूनवाल ने पूज्यपाद जगद्गुरु को प्रसाद भेंटकर एवं विधिवत्त सम्मान कर स्वयं भी आशीर्वाद लिया।