Construction Fraud: हरियाणा में निर्माण श्रमिकों का फर्जीवाड़ा उजागर. ऐसे खुला राज
Construction Fraud
Construction Fraud: चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा परिवार पहचान पत्र लागू करने के बाद जहां एक तरफ प्रदेश वासियों का रिकार्ड तैयार हो रहा है वहीं कई फर्जीवाड़े भी उजागर हुए हैं। प्रदेश में अब तक जहां हजारों की संख्या में फर्जी पेंशन भोगी तथा सरकारी योजनाओं का फर्जीवाड़े के साथ लाभ लेने ले सामने आ चुके हैं वहीं ढाई लाख ऐसे मजदूर सामने आए हैं जिन्होंने पंजीकरण तो भवन एवं निर्माण कल्याण बोर्ड में करवा रखा है और काम कोई और कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने ऐसे मजदूरों का वास्तविक धंधा पता लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
दिसंबर 2020 में सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं को पीपीपी से जोडऩे का निर्णय लिया गया था। इसके बाद कर्मकार कल्याण बोर्ड ने जनवरी 2021 में सभी पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के डाटा को पीपीपी से लिंक करना शुरू कर दिया।
इनमें से करीब दो लाख 55 हजार 526 निर्माण श्रमिक ऐसे पाए गए Construction Fraud), जिनका व्यवसाय पीपीपी में दर्ज व्यवसाय से मैच नहीं खाया। कुछ मजदूर ऐसे मिले हैं जिन्होंने खुद को कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत करवा रखा है और वह निजी क्षेत्र के उद्योगों में काम करते हैं। कुछेक ऐसे भी मिले हैं जो रेहड़ी-फड़ी आदि लगा रहे हैं।
लिहाजा बोर्ड ने इन सभी निर्माण श्रमिकों का डाटा एकत्रित करके वेरीफिकेशन करवाने का निर्णय लिया है ताकि इन निर्माण श्रमिकों के असल व्यवसाय की पहचान हो सके (Construction Fraud)। हरियाणा भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत करीब छह लाख निर्माण श्रमिकों को परिवार पहचान पत्र से लिंक कर दिया गया है। मगर इनमें से करीब 2 लाख 55 हजार 526 निर्माण श्रमिकों का व्यवसाय पीपीपी में अलग होना दर्शाया गया है। लिहाजा बोर्ड और पीपीपी में अलग-अलग व्यवसाय के चलते उपरोक्त श्रमिक जांच के दायरे में आ गए हैं। अब श्रम विभाग इन श्रमिकों के असल कार्य का पता लगाने के लिए वेरीफिकेशन कर रहा है। जिसे लेकर जिलास्तर पर टीमों का भी गठन किया गया है। जिला स्तर पर टीमें