सेक्स रेशो को लेकर आमने सामने केंद्र और चंडीगढ़ प्रशासन
सेक्स रेशो को लेकर आमने सामने केंद्र और चंडीगढ़ प्रशासन
केंद्र के आंकड़ों पर भी संदेह, चंडीगढ़ में प्रति हजार लडक़ों के पीछे जन्म रही 838 लड़कियां
रजिस्ट्रार बर्थ एंड डैथ के आंकड़े दर्शा रहे, प्रति हजार लडक़ों के पीछे बीते पांच साल में कभी पैदा नहीं हुई 910 से कम लड़कियां
अर्थ प्रकाश/साजन शर्मा, चंडीगढ़, 28 नवंबर। चंडीगढ़ प्रशासन और केंद्र एक मर्तबा फिर फीमेल सेक्स रेशो के आंकड़ों को लेकर आपस में उलझ गए हैं। केंद्र की ओर से हाल ही में जारी आंकड़ों में चंडीगढ़ की फीमेल सेक्स रेशो प्रति हजार लडक़ों के पीछे 838 बताई जा रही है, जबकि चंडीगढ़ प्रशासन के आंकड़े 2021-22 में सितंबर माह तक इसे प्रति हजार लडक़ों के पीछे 935 बता रहे हैं। चंडीगढ़ प्रशासन के आंकड़ों पर गौर करें तो बीते 5 साल में भी प्रति हजार लडक़ों के पीछे कम से कम 910 लड़कियों की पैदाइश हुई है। चंडीगढ़ का हेल्थ विभाग केंद्र की इस गलती पर जल्द ही उन्हें पत्र लिखने जा रहा है।
उधर हेल्थ विभाग की ओर से देश के हाल ही में जारी आंकड़ों में भले ही 1000 (एक हजार) लडक़ों के पीछे 1020 (एक हजार बीस) लड़कियों की सेक्स रेशो दिखाकर हम गर्व महसूस कर रहे हों लेकिन देश के सबसे पढ़े लिखे शहरों में शुमार चंडीगढ़ इस बाजी को पूरी तरह हार गया है। चंडीगढ़ में 2021-22 में फीमेल सेक्स रेशो प्रति हजार लडक़ों के पीछे महज 935 लड़कियां आई है। यानि चंडीगढ़ के लोगों के जहन में अभी भी पुरानी ही सोच कायम है। चंडीगढ़ के लोग आज भी लडक़ी की तुलना में लडक़ा होने को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। ऐसा स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़े जाहिर कर रहे हैं। स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग के मुताबिक केंद्र ने जो आंकड़े अपने सर्वे में दर्शाए हैं, चंडीगढ़ के मामले में वह सही नहीं हैं। चंडीगढ़ में प्रति हजार के लडक़ों के पीछे 2021-22 के सितंबर माह तक 935 लड़कियां जन्म ले रही हैं। केंद्र ने प्रति हजार लडक़ों के पीछे 838 लड़कियों की रेशो बताई है। इन आंकड़ों से तो ऐसा जाहिर होता है कि कहीं न कहीं हमारे शहर में भ्रूण हत्या का दौर जारी है हालांकि हम सख्ती से इस पर काम कर रहे हैं और लोग भी खुद पढ़े लिखे होने के चलते इस गलत प्रथा से वाकिफ हैं।
आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में अप्रैल से सितंबर के बीच 3209 लडक़ों के पीछे महज 3000 लड़कियां पैदा हुई। फीमेल सेक्स रेशो में कहें तो प्रति हजार लडक़ों के पीछे 935 लड़कियां ही पैदा हुई। हैरानी वाली बात यह है कि 2020-21 में प्रति हजार लडक़ों के पीछे 955 लड़कियां पैदा हुई थी। यानि फीमेल सेक्स रेशो बीते सालों से भी 2021-22 में घट गई। 2020-21 में 6351 लडक़ों के पीछे 6067 लड़कियों ने जन्म लिया था। इसी तरह 2019-20 में भी प्रति हजार लडक़ों के पीछे 6608 महिलाएं जन्मी। यानि फीमेल सेक्स रेशो 950 दर्ज किया गया। 2021-22 में सितंबर तक के मिले आंकड़ों में फीमेल सेक्स रेशो बीते दो वित्तिय वर्षों से भी पिछड़ती नजर आ रही है। 2018-19 में फीमेल सेक्स रेशो प्रति हजार लडक़ों के पीछे 920 लड़कियां थी। इस साल 6935 लडक़ों के पीछे 6406 लड़कियां पैदा हुई। 2017-18 में 7046 लडक़े जबकि 6412 लड़कियां पैदा हुई व प्रति हजार पुरुषों के पीछे फीमेल सेक्स रेशो 910 रही। रजिस्ट्रार बर्थ एंड डैथ के आंकड़ों में से यह तथ्य सामने आया है।
आंकड़ों के कई मसलों पर उलझते रहे केंद्र व चंडीगढ़ प्रशासन
चंडीगढ़ प्रशासन और केंद्र कई मसलों पर जारी आंकड़ों में बीते कुछ समय से उलझते नजर आ रहे हैं। केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर चंडीगढ़ की जनसंख्या के अलग आंकड़े बताए थे जबकि आंकड़े कुछ और निकले। प्रशासन जनसंख्या के अलग आंकड़े बताता रहा। चंडीगढ़ 100 प्रतिशत वेक्सीनेशन का दावा करता रहा लेकिन केंद्र ने इस दावे को खारिज कर दिया। हाल ही में चंडीगढ़ चुनाव आयोग ने 2011 के जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार नगर निगम चुनाव में वार्डबंदी की बात कही थी। लेकिन इसको लेकर कुछ पार्टियां हाईकोर्ट में चली गई थीं, कि जनसंख्या के आंकड़े ही बिल्कुल गलत हैं और 2011 की जनगणना के आधार पर की गई वार्डबंदी बिल्कुल गलत है। हालांकि हाईकोर्ट ने वार्डबंदी को सही ठहराते हुए शिअद की याचिका को खारिज कर चुनावों में आगे बढऩे को हरी झंडी दिखा दी।
केंद्र के आंकड़ों पर फिर सवाल!
केंद्र के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी सर्वे में आंकड़े कितने सही हैं इसकी पोल भी तब खुल गई जब चंडीगढ़ प्रशासन के रजिस्ट्रार बर्थ एंड डैथ की ओर से जारी आंकड़ों में स्पष्टीकरण दिया गया कि प्रति हजार लडक़ों के पीछे चंडीगढ़ में 2021-22 के सितंबर माह तक 935 लड़कियां पैदा हुई। बीते पांच साल के जारी आंकड़ों में भी सबसे कम प्रति हजार लडक़ों के पीछे 910 लड़कियां पैदा हुई। केंद्र की ओर से दो दिन पूर्व जो आंकड़े जारी किये गए हैं उसमें चंडीगढ़ को बहुत फिसड्डी बताया गया है। कहा गया है कि चंडीगढ़ में प्रति हजार के पीछे 838 लड़कियां पैदा होती हैं। केंद्र के आंकड़ों पर एक बार फिर कोरोना के आंकड़ों की तरह संदेह पैदा हो गया है कि आखिर ये गलत आंकड़े कहां से उठाए गए?