गठबंधन को अंतिम रूप देने दिल्ली पहुंचे कैप्टन अमरिंदर सिंह, बीजेपी नेताओं के साथ होगी चर्चा

गठबंधन को अंतिम रूप देने दिल्ली पहुंचे कैप्टन अमरिंदर सिंह, बीजेपी नेताओं के साथ होगी चर्चा

गठबंधन को अंतिम रूप देने दिल्ली पहुंचे कैप्टन अमरिंदर सिंह

गठबंधन को अंतिम रूप देने दिल्ली पहुंचे कैप्टन अमरिंदर सिंह, बीजेपी नेताओं के साथ होगी चर्चा

चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी और पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी के गठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली पहुंच गए हैं। वह अगले तीन दिनों तक दिल्ली में ही रहेंगे और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे। दोनों पार्टी के बीच मुख्य रूप से सीट बंटवारे को लेकर चर्चा होनी है, क्योंकि कैप्टन ने जिला स्तर पर अपनी पार्टी का संगठनात्मक ढांचा खड़ा करना शुरू कर दिया है। ऐसे में सीटों को लेकर तस्वीर स्पष्ट होने के बाद दोनों पार्टियां अपने-अपने क्षेत्र में जोर लगा सकती है।

बताया जा रहा है कि कैप्टन सबसे पहले भाजपा के केंद्रीय जल शक्ति मंत्री व पंजाब में भाजपा के चुनाव प्रभारी गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात के उपरांत ही उनके भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात होगी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कैप्टन के इसी दिल्ली दौरे के दौरान सीटों को लेकर तस्वीर स्पष्ट होगी या नहीं। अभी तक यह माना जा रहा है कि भाजपा पंजाब में 70 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जबकि कैप्टन की पार्टी के लिए 35 सीटें छोड़ी जाएंगी।

चूंकि कैप्टन की पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी का यह पहला चुनाव है। अत: निचले स्तर पर अभी पार्टी का ढांचा भी नहीं बन पाया है और बाकी 12 सीटों को सुखदेव सिंह ढींडसा की पार्टी के लिए छोड़ा जाएगा। हालांकि जबकि कैप्टन की भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक नहीं हो जाती तब तक तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पाएगी। वहीं, कैप्टन के करीबी सूत्र बताते हैं कि अब चुनाव आयोग की टीम ने दौरा कर दिया है। जिससे यह संकेत मिलते है कि आचार संहिता जनवरी के पहले या दूसरे सप्ताह में लग जाएगा। अत: अब गठबंधन को लेकर अधिक देरी करने का औचित्य नहीं रह जाता है, क्योंकि गठबंधन और सीटों को लेकर तस्वीर स्पष्ट होने के बाद दोनों ही पार्टियां अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में जोर लगा सकती है।

वहीं, भाजपा भले ही पंजाब में स्थापित पार्टी हो लेकिन यह पहला मौका है जब वह पूरे पंजाब में चुनाव लड़ने का दम भर रही है। अकाली दल के साथ गठबंधन में रहते हुए भाजपा कभी भी 23 सीटों से ज्यादा पर चुनाव नहीं लड़ी है। भाजपा भले ही पूरे पंजाब में अपने संगठनात्मक ढांचा होने के दाम भरती हो लेकिन मालवा के कई ऐसे विधान सभा क्षेत्र हैं जहां पर भाजपा का ढांचा तो है, लेकिन आधार नहीं है। वहीं, भले ही किसान आंदोलन खत्म हो गया हो, लेकिन किसानों के मन में अभी भी कसक बाकी है। ऐसे में भाजपा का अधिक फोकस शहरी क्षेत्रों पर ही है। जहां पर किसान आंदोलन का असर या तो कम था या न के बराबर था। वहीं, भले ही कैप्टन ने कांग्रेस को छोड़ दिया हो लेकिन वह शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी दमखम रखते है।