कैप्टन की मनोहर से मुलाकात
Capt's meeting with Manohar
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस को अलविदा कह चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बीते दिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात कर पंजाब और देश की सियासत में और गर्माहट ला दी। कैप्टन इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं, हालांकि भाजपा का इंजन मोदी और शाह के हाथ है, लेकिन मनोहर लाल से मुलाकात हरियाणा और पंजाब की राजनीति के संदर्भ में बड़े मायने रखती है। हरियाणा, एक समय पंजाब का हिस्सा होता था। दोनों राज्यों ने अब विकास की नई कहानी लिखी है, हरियाणा की मांग एसवाईएल का पानी है, लेकिन पंजाब इसे लेकर हमेशा से अडिय़ल रूख रखता आया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बतौर मुख्यमंत्री हमेशा पंजाब के हितों की पैरवी की है, उनकी इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात हुई हैं, लेकिन उस समय वे एक राज्य के मुख्यमंत्री के नाते मनोहर लाल से मिलते रहे। राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं है, यहां कब कटुता प्रेम में बदल जाए और कब प्रेम घृणा का रूप ले ले, कोई नहीं जानता। कैप्टन को कभी इसका अहसास तक नहीं रहा होगा कि कांग्रेस हाईकमान उनके संबंध में ऐसा फैसला लेगा कि उन्हें कांग्रेस को अलविदा कहना पड़ेगा। कैप्टन का पूरा जीवन राजनीति से पगा है, वे शह और मात का खेल भी बखूबी समझते हैं, लेकिन नए दोस्तों की तलाश और उनके जरिए अपने मनोरथ को पूरा करना ऐसी दूरदर्शिता है, जोकि राजनीति में जरूरी होती है। यही वजह है कि अपने-अपने प्रदेश के हकों के लिए मूंछों को ताव देकर अडिग खड़े रहने वाले राजनेता एकदिन गलबहियां डालकर नई इबारत लिखने की राह पर चल पड़ते हैं।
पंजाब लोक कांग्रेस वह बीज है, जिसे कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब की जमीन पर रोपना चाहते हैं। 80 वर्षीय कैप्टन एक सैनिक हैं, उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते समय कहा था कि वे एक सैनिक हैं और लडऩा जानते हैं, जाहिर है उम्र कोई मायने नहीं रखती, अगर दिल जवान और जिंदा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात करते समय कैप्टन अमरिंदर सिंह का यही रूप देखने को मिला। वे एक ऐसी राह पर हैं, जहां अकेले भी पड़ सकते हैं और काफिला भी उनके पीछे हो सकता है। हालांकि पंजाब कांग्रेस में अभी तक कोई हलचल देखने को नहीं मिली है, बीते दिनों ऐसा दावा किया गया था कि अनेक कांग्रेसी विधायक कैप्टन के संपर्क में हैं। इस बीच नया घटनाक्रम यह भी घटा है कि पटियाला से कांग्रेस सांसद में कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर को प्रदेश कांग्रेस प्रभारी की ओर से कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। यह लाजिमी ही था, क्योंकि प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने कटाक्ष किया था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी तक उनके साथ नहीं है, दूसरे कांग्रेसी कहां से होंगे। ऐसे में महारानी परनीत के लिए पति के साथ जाना ही ज्यादा मुनासिब लग रहा है। खैर, यह काफी चुनौतीपूर्ण फैसला होगा कि सांसद परनीत कौर इस्तीफा देकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ आती हैं। हालांकि कैप्टन की मुख्यमंत्री पद से अपमानजनक विदाई और कांग्रेस में उनकी बेअदबी के बावजूद परनीत कौर अगर अब भी सांसद बनी रहती हैं तो यह पंजाब लोक कांग्रेस जिसको स्थापित करने की दिशा में कैप्टन काम कर रहे हैं, के विपरीत होगा। यह संभव है कि सांसद परनीत कौर भी इस्तीफा देकर कांग्रेस से बाहर आ जाएं। अगर ऐसा हुआ तो राज्य में जहां उपचुनाव तय हो जाएगा वहीं कैप्टन के समक्ष अपने वर्चस्व को साबित करने की नई चुनौती भी दरपेश होगी।
पंजाब में भाजपा नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह से अभी तक दूरी बनाए हुए हैं। इसकी वजह यही है कि भाजपा नेतृत्व की हामी के बावजूद कैप्टन और स्थानीय नेताओं के बीच की दूरी अभी तक नहीं पट सकी है। हो सकता है, कैप्टन की ओर से इसकी कोशिश भी न हो, क्योंकि अगर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह चाहते हैं कि कैप्टन भाजपा के साथ मिलकर चलें तो फिर कौन रोक सकता है। यही वजह भी है कि अब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दावा किया है कि वे भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। अभी तक उनके और भाजपा के बीच गठबंधन के कयास ही लग रहे थे, लेकिन अब यह तय हो गया है कि पंजाब में भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच गठबंधन होना तय है। कैप्टन जानते हैं कि इस मुश्किल घड़ी में नए दोस्तों की जरूरत पड़ेगी, इसलिए वे प्रधानमंत्री मोदी के बेहद करीबी मुख्यमंत्री मनोहर लाल के करीब आए हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल अब बेशक राजकाज संभाल रहे हैं, लेकिन वे भाजपा संगठन के पुरोधा हैं, सरकार में आने से पहले वे संगठन का काम बखूबी निभाते आए हैं। कैप्टन नई पार्टी खड़ी कर रहे हैं, अब यह तो मजाक ही होगा कि कैप्टन अपनी पार्टी के लिए उनसे कोई गुर सीख रहे हों। हालांकि दो दिग्गजों की मुलाकात में तमाम बातें उठ सकती हैं और जब राह एक हो तो फिर सबक और उपदेश भी लिए और दिए जा सकते हैं। मनोहर लाल भी यह कहने से नहीं चूके हैं कि पंजाब के सीएम रहते कैप्टन अमरिंदर सिंह की चाहे जो मजबूरियां रही हों, लेकिन वास्तव में वे खुले दिल के आदमी हैं। बहरहाल, राजनीति के माहिर कैप्टन सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपनी राह तैयार करनी जारी रखी है, पंजाब में कांग्रेस और कैप्टन विरोधी यह समझते हैं कि कैप्टन जल्द थककर घर बैठ जाएंगे तो उन्हें भूल जाना चाहिए। क्योंकि हरियाणा के मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद कैप्टन ने जिस चर्चा को जन्म दिया है, उसका सार यह है कि वे अभी और दौडऩा चाहते हैं।