नौसेना सूचना लीक मामले में कार्रवाई के लिए केंद्र से मंजूरी चाहती है सीबीआई

नौसेना सूचना लीक मामले में कार्रवाई के लिए केंद्र से मंजूरी चाहती है सीबीआई

नौसेना सूचना लीक मामले में कार्रवाई के लिए केंद्र से मंजूरी चाहती है सीबीआई

नौसेना सूचना लीक मामले में कार्रवाई के लिए केंद्र से मंजूरी चाहती है सीबीआई

नई दिल्ली। नौसेना में शामिल की जा रही तीन पनडुब्बी और अन्य संबंधित सूचना लीक करने के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) 'सरकारी गोपनीयता अधिनियम' के तहत कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी चाहता है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

सीबीआइ के मुताबिक, शुरुआत में एजेंसी ने भ्रष्टाचार संबंधी आरोपों के तहत मामला दर्ज किया था लेकिन जांच के दौरान उसने नौसेना से संबंधित कम से कम दो परियोजनाओं से जुड़े कागजात बरामद किए, जिसके बाद इस मामले में 'सरकारी गोपनीयता अधिनियम' के तहत कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। सीबीआइ ने मंगलवार को आरोपियों की जमानत पर सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष यह बात कही।

गौरतलब है कि राउज एवेन्यू में एक विशेष अदालत के समक्ष सीबीआइ ने दो अलग-अलग नौसैनिक परियोजनाओं के बारे में गोपनीय जानकारी के कथित लीक के संबंध में दो नवंबर को दो आरोपपत्र दाखिल किए थे। यह रक्षा भ्रष्टाचार के मामलों में सबसे तेज गति से की जाने वाली जांचों में से एक है क्योंकि एजेंसी ने 3 सितंबर को पहली गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर ही आरोपपत्र दाखिल कर दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गिरफ्तार आरोपितों को आसानी से जमानत न मिले। सीबीआइ के एक आरोपपत्र में, नौसैना के सेवानिवृत्त अधिकारियों - कमोडोर रणदीप सिंह और कमांडर एसजे सिंह के नाम हैं, जबकि दूसरे मामले में, इन दो के अलावा, सेवारत कमांडर अजीत कुमार पांडेय, और हैदराबाद स्थित एलन रीनफो‌र्स्ड प्लास्टिक्स लिमिटेड के तीन अधिकारियों - कार्यकारी निदेशक टीपी शास्त्री और निदेशकों एनबी राव एवं के चंद्रशेखर -के नाम शामिल हैं।

सीबीआइ ने तीन सितंबर से शुरू हुए एक अभियान में दो आरोपी सेवानिवृत्त अधिकारियों, पांडेय, उनके अधीन एक अन्य सेवारत अधिकारी और दो निजी व्यक्तियों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। हिरासत में बंद नौसैनिक अधिकारियों में से एक का नाम आरोपपत्र में नहीं है और उसके नाम को जल्द ही दाखिल किए जाने वाले पूरक आरोपपत्र में शामिल किया जा सकता है।