एक और नई मुसीबत में Anil Ambani, इस बैंक ने रिलायंस कम्यूनिकेशन्स के खातों को फ्रॉड घोषित किया
Reliance Communications Accounts Fraud
Reliance Communications Accounts: केनरा बैंक ने अनिल अंबानी की रिलायंस कम्यूनिकेशन्स को एक और झटका दिया है. केनरा बैंक ने रिलायंस कम्यूनिकेशन्स, रिलायंस इंफ्राटेल और रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड को फ्रॉड अकाउंट के तौर पर घोषित कर दिया है. केनरा बैंक ने रिलायंस कम्यूनिकेशन्स को एक नोटिस जारी किया है और इसके लोन अकाउंट को धोखाधड़ी वाले खाते के तौर पर वर्गीकृत कर दिया है.
रिलायंस कम्यूनिकेशन्स के लोन अकाउंट्स फ्रॉड घोषित
दिवालिया टेलीकॉम कंपनी आरकॉम को शुक्रवार को भेजे गए एक नोटिस के मुताबिक, केनरा बैंक ने अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और उसकी सहायक कंपनियों के लोन अकाउंट्स को फ्रॉड घोषित कर दिया है. यह ऐसा करने वाला चौथा लेंडर है. इससे पहले दिसंबर 2020 में भारतीय स्टेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक ने कंपनी के खातों को धोखाधड़ी या फ्रॉड घोषित कर दिया था.
क्या है पूरा मामला
28 अक्टूबर को केनरा बैंक की ओर से रिलायंस कम्यूनिकेशन्स को नोटिस जारी कर दिया गया था और इसी 5 नवंबर को रिलायंस कम्यूनिकेशन्स को केनरा बैंक से भेजा लेटर मिल गया था. शुक्रवार 16 नवंबर को कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों को ये जानकारी दे दी है कि इसे केनरा बैंक की ओर से इसके खातों को फ्रॉड क्लासीफाई करने का पत्र मिला है.
ऑडिट में पाए गए धोखाधड़ी के साक्ष्य
इस लेटर में तीनों कंपनियों के ऑडिट के बाद पाए गए फ्रॉड के साक्ष्य के आधार पर लोन खातों को धोखाधड़ी वाले खाते घोषित करने का ऐलान कर दिया है. इसमें बताया गया है कि आरकॉम ने ना केवल री-पेमेंट में चूक की है, बल्कि ये मंजूरी की शर्तों का भी उल्लंघन कर चुकी है. ऑडिट के मुताबिक रिलायंस कम्यूनिकेशन्स और इसकी सहयोगी कंपनियों- रिलायंस टेलीकॉम और रिलायंस इंफ्राटेल ने अलग-अलग बैंकों से सामूहिक रूप से 31,580 करोड़ रुपये का लोन लिया था. मार्च 2017 में कंपनी ने लोन को नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट के तौर पर दिखा दिया और इसमें लोन के साथ लेटर ऑफ गारंटी भी शामिल थे जो पूरी तरह बैंक के लोन रीपेमेंट नियम व शर्तों का उल्लंघन है. बैंक ने आरकॉम और को फर्जी देनदारों को पैसा माफ करने और बिक्री चालान फंडिंग के दुरुपयोग के लिए भी दोषी ठहराया है.
एक्सचेंज फाइलिंग में कंपनी ने बताया कि ये क्रेडिट सुविधाएं चल रही दिवालिया प्रक्रिया से पहले की हैं और जैसा भी मामला हो, इनका इन्सॉल्वेंसी प्रोसेस या परिसमापन के हिस्से के रूप में हल किया जाना जरूरी है.